राजस्थान में सरपंचों और पंचों पर शिकंजा कसने की तैयारी, आ सकते हैं लोकायुक्त की जांच के दायरे में

दरअसल 1973 के लोकायुक्त अधिनियम में सरपंचों और पंचों को जांच के दायरे से बाहर रखा गया था, लेकिन प्रदेश के नए लोकायुक्त पीके लोहरा सरपंचों और पंचों को जांच के दायरे में लाना चाहते हैं. लोकायुक्त संबंधित केंद्रीय कानून में लोकायुक्त को भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों और मंत्रियों पर लगे आरोपों की जांच करने के अधिकार देने का प्रावधान है. मंत्री से लेकर आईएएस अफसर के खिलाफ लोकायुक्त में शिकायत की जा सकती है. लेकिन सरपंचों के खिलाफ शिकायत नहीं की जा सकती. लोकायुक्त अब इसमें बदलाव करना चाहते हैं. लोकायुक्त मंत्री से लेकर आईएएस के खिलाफ शिकायत होने पर जांच कर सकता है और उसका खुलासा कर सकता है. लोक सेवकों द्वारा अपने पदीय स्थिति का दुरुपयोग करने पर लोकायुक्त संस्थान जांच का अधिकार रखता है.
जांच के दायरे में मंत्री से लेकर प्रधान तक
लोकायुक्त राज्य के मंत्रियों से लेकर आईएएस अफसरों की शिकायतों की जांच कर सकता है. विभागों के सचिव, विभागाध्यक्षों, लोकसेवक भी इसकी जांच के दायरे में हैं. जिला परिषदों के प्रमुखों व उप प्रमुखों, पंचायत समितियों के प्रधानों व उप-प्रधान, नगर निगम के महापौर, उपमहापौर, नगर परिषद और नगर पालिका के चेयरमैन की भी लोकायुक्त में शिकायत दर्ज कराई जा सकती है. नगर विकास न्यासों के अध्यक्षों व उपाध्यक्षों, राजकीय कम्पनियों व निगमों अथवा मण्डलों के अध्यक्षों, अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध शिकायतों की जांच का भी प्रावधान है.
ये नहीं आते लोकायुक्त की जांच के दायरे में
मुख्यमंत्री, महालेखाकार,आरपीएससी अध्यक्ष और सदस्य, सरपंच- पंच, विधानसभा सचिवालय के अधिकारी-कर्मचारी, सेवानिवृत्त लोकसेवक और सुप्रीम कोर्ट तथा हाईकोर्ट के न्यायाधीश.