दादा किसान, पिता कलाकार, लंदन तक सराही गई मिनिएचर आर्ट, अब बेटा आगे बढ़ा रहा है विरासत

Last Updated:October 14, 2025, 12:08 IST
Jaipur Miniature Artist Success Journey: जयपुर के मिनिएचर आर्टिस्ट अभिनव मेघवाल परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं. उनके पिता आशा राम मेघवाल को शिल्प गुरु अवॉर्ड और राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है. मिनिएचर आर्ट में बेहद सूक्ष्मता से पेंटिंग बनाई जाती है, जिसमें प्राकृतिक रंगों और गिलहरी के बालों से बने ब्रश का उपयोग होता है. यह कला धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की झलक पेश करती है. दीपावली फेस्टिवल सीजन में लोग इन पेंटिंग्स को घर सजाने के लिए खरीद रहे हैं.
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जयपुर. राजस्थान के कलाकारों की कला का लोहा दुनिया मानती है, क्योंकि यहां के आर्टिस्टों ने अपने नायाब हुनर से दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई है. खासतौर पर जयपुर में ऐसे मिनिएचर आर्टिस्ट हैं, जो चावल के दाने से लेकर अलग-अलग धातुओं, कपड़ों और कागज पर अनोखी पेंटिंग्स तैयार करते हैं, जिन्हें देखने के लिए सूक्ष्मदर्शी यंत्र का प्रयोग करना पड़ता है. अभी दीपावली का फेस्टिवल सीजन चल रहा है और बाजारों व अलग-अलग मेलों में मिनिएचर आर्टिस्टों द्वारा बनाई गई नायाब पेंटिंग्स को लोग खूब खरीद रहे हैं. लोकल-18 ने जयपुर के मिनिएचर आर्टिस्ट अभिनव मेघवाल से इस कला के बारे में बात की.
मेघवाल बताते हैं कि मिनिएचर आर्ट की यह कला उन्हें अपने पिता से विरासत में मिली है. हमारे परिवार में सबसे पहले मेरे पिता ने इस कला को सीखा, जबकि मेरे दादाजी पूराराम मेघवाल एक किसान रहे. लेकिन पिताजी ने अलग राह चुनी और 16 वर्ष की उम्र से उन्होंने इस काम को सीखते हुए हजारों पेंटिंग्स बनाई. इसी मिनिएचर आर्ट के चलते पिता आशा राम मेघवाल को 2019 में शिल्प गुरु अवॉर्ड और 2001 में राष्ट्रीय पुरस्कार मिला. इसके अलावा लंदन से प्रकाशित ‘इनसाइड द वर्ल्ड ऑफ आर्ट एंड बिजनेस’ किताब में विश्व के महान कलाकारों की कृतियों में ‘कोर्ट ऑफ लवर्स’ के रूप में उनके पिताजी का नाम शामिल है, जो उनके लिए बड़ी उपलब्धि है. अभिनव बताते हैं, पिता के बाद अब मैं दूसरी पीढ़ी का हूं, जो 10 वर्ष की उम्र से मिनिएचर आर्ट की इस कला से जुड़कर परिवार की विरासत को आगे बढ़ा रहा हूं.
सामान्य से क्यों अलग है मिनिएचर आर्ट?
मिनिएचर आर्टिस्ट अभिनव मेघवाल बताते हैं कि मिनिएचर आर्ट में तैयार होने वाली पेंटिंग सामान्य पेंटिंग से बिल्कुल अलग होती है, क्योंकि इसमें एक पेंटिंग के साथ उसकी परछाई के रूप में दूसरी पेंटिंग भी होती है, जो सामान्य रूप से दिखाई नहीं देती. इसे बारीकी से देखने पर ही दिखाई देती है. इसके अलावा मिनिएचर आर्ट में सबसे खास बात यह है कि इसमें ज्यादातर नैचुरल कलर का उपयोग किया जाता है, जिससे पेंटिंग की हर बारीक लाइन को आसानी से देखा जा सकता है. अभिनव बताते हैं कि मिनिएचर आर्ट में खासतौर पर पेंटिंग में उपयोग होने वाले ब्रश से लेकर कलर्स अलग होते हैं, जिसमें गिलहरी के कोमल बालों से बनी ब्रश का उपयोग किया जाता है, जो सामान्य पेंटिंग में नहीं किया जाता. मिनिएचर आर्ट में वैसे तो किसी प्रकार के चित्रों का चित्रण किया जा सकता है, लेकिन खासतौर पर इसमें धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं की झलक देखने को मिलती है, जिसे लोग सबसे ज्यादा पसंद करते हैं.
घरों की सजावट में चार चांद लगाता है मिनिएचर आर्ट
अभिनव मेघवाल बताते हैं कि अभी भी उनके पिता इस कला से जुड़े हुए हैं और लगातार पेंटिंग्स तैयार करते हैं. मैंने भी कम उम्र से ही इस काम को सीखते हुए अब तक सैकड़ों पेंटिंग्स बनाई हैं और भारत के अलग-अलग राज्यों व शहरों में होने वाली प्रदर्शनियों में अपनी मिनिएचर आर्ट लेकर पहुंचते हैं. अभी जयपुर के लोक रंग फेस्टिवल में लोग हमारी पेंटिंग्स को खूब पसंद कर रहे हैं और खूब खरीद रहे हैं, क्योंकि दीपावली फेस्टिवल सीजन में लोग घरों की सजावट के लिए सबसे ज्यादा पेंटिंग्स खरीदते हैं, जो उनके घर की सुंदरता में चार चांद लगा देती है. अभिनव बताते हैं कि वे न सिर्फ पेंटिंग्स बेचने के लिए प्रदर्शनियों में जाते हैं, बल्कि अपने पिता द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स को दिखाने के लिए भी जाते हैं, जिससे उन्हें गर्व महसूस होता है.
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट…और पढ़ें
दीप रंजन सिंह 2016 से मीडिया में जुड़े हुए हैं. हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर, ईटीवी भारत और डेलीहंट में अपनी सेवाएं दे चुके हैं. 2022 से हिंदी में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. एजुकेशन, कृषि, राजनीति, खेल, लाइफस्ट… और पढ़ें
Location :
Jaipur,Rajasthan
First Published :
October 14, 2025, 12:08 IST
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दादा किसान, पिता कलाकार, लंदन तक सराही मिनिएचर आर्ट, बेटा आगे बढ़ा रहा विरासत