देखें फोटो/वीडियो: फौजिया दास्तानगो की दास्तान-ए-भंवरी
जवाहर कला केन्द्र के मध्यवर्ती सभागार में पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज व अन्य संस्थाओं की ओर से 12वां हेमलता प्रभु स्मृति कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें फौजिया दास्तानगो ने दास्तान-ए-भंवरी प्रस्तुत किया।
साथ ही मुंबई की नाट्य निर्देशक व नाट्यकर्मी नूतन राज का व्याख्यान हुआ। यह ‘दास्तान-ए-भंवरी’ लेखक अशोक लाल की लिखित है। इस प्रस्तुति को महिलाओं के लिए यौन हिंसा मुक्त अभियान के रूप में देखा जा सकता है।
दास्तान-ए-भंवरी प्रस्तुति में बताया कि जयपुर जिले के भटेरी गांव की महिला भंवरी, जो एक बच्ची के विवाह का विरोध करती है। इसके विरोध में दबंग लोग उसको शारारिक और मानसिक तौर प्रताड्ति करते है और निचली अदालत उन पांच आरोपियों को बरी कर देती है। साथ ही प्रस्तुति में बताया कि पिछले कई वर्षों से भंवरी को न्याय नहीं मिला।
लेकिन भंवरी को न्याय नहीं मिलने के बाद भी महिलाओं की सुरक्षा के लिए 1997 में कार्य स्थल पर यौन हिंसा के रोकथाम व शिकायत निवारण को लेकर दिशा निर्देश जारी किया। संसद ने इसे कानून का रूप दिया और कार्यस्थल पर यौन हिंसा से सुरक्षा, रोकथाम व निवारण कानून, 2013 बनाया। पीयूसीएल की प्रदेशाध्यक्ष कविता श्रीवास्तव ने बताया कि भंवरी को 30 साल से न्याय नहीं मिला, लेकिन उनकी पहचान एक न्याय के लिए संघर्षरत सामाजिक कार्यकर्ता के तौर पर स्थापित है।