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अजब-गजब: इस मंदिर में सोना-चांदी मिठाई का नहीं, चने का चढ़ता है प्रसाद, एक साल तक नहीं होता खराब

Last Updated:April 03, 2025, 13:19 IST

अजब-गजब: पश्चिम राजस्थान के बालोतरा तिलवाड़ा गांव का श्री रावल मल्लीनाथ मंदिर और इसके साथ जुड़ा तिलवाड़ा पशु मेला एक अनूठी परंपरा और आस्था का प्रतीक है. यहाँ मंदिर में भक्त सोने-चांदी या मिठाई के बजाय प्रसाद के…और पढ़ेंX
चन्ने
चन्ने की लगी दुकानें

 पश्चिम राजस्थान के बालोतरा तिलवाड़ा गांव का श्री रावल मल्लीनाथ मंदिर और इसके साथ जुड़ा तिलवाड़ा पशु मेला एक अनूठी परंपरा और आस्था का प्रतीक है. यहाँ मंदिर में भक्त सोने-चांदी या मिठाई के बजाय प्रसाद के रूप में चने चढ़ाते हैं, जो इसे अन्य धार्मिक स्थलों से अलग बनाता है. यह मेला न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ की मान्यताएँ और व्यापारिक गतिविधियाँ भी इसे अजब-गजब बनाती हैं.

हमने मंदिरो में सोने चांदी के चढ़ावे और नकदी की भेट के बारे में कई मर्तबा सुना होगा. आज हम बात कर रहे है. एक ऐसी जगह की जहां प्रसाद के रूप में चने चढ़ते है. सुनकर आप चौक जरूर गए होंगे. लेकिन यह सौ फीसदी सच है. आइए आपको लेकर चलते है सरहदी बाड़मेर के तिलवाड़ा में जहां राव मल्लीनाथ मंदिर में प्रसाद के रूप में चने चढ़ते है. सुप्रसिद्ध तिलवाड़ा मेले में करीब चने की 40-50 दुकानें एक ही कतार में लगती है.

एक साल तक खराब नही होता है मेले का चनाकुदरत का करिश्मा के कहे या कुछ और इस जमीन पर जब चने को भट्‌टी में पकाते है तो यह चना पूरे एक साल तक खराब नहीं होता है. व्यापारी जगदीश कुमार बताते है कि एक साल तक चने का स्वाद एक जैसा ही रहता है. इस मेले में पंजाब,गुजरात, राजस्थान सहित अन्य राज्यों से लोग आते है. आने वाला हर कोई इस चने को लेकर ही जाता है.

700 साल पुराना है तिलवाड़ा का पशु मेलातिलवाड़ा मेला करीब 700 साल पुराना है और इसकी शुरुआत वीर योद्धा रावल मल्लीनाथ की स्मृति में हुई थी. मान्यता है कि विक्रम संवत 1431 में रावल मल्लीनाथ के गद्दी पर आसीन होने के उपलक्ष्य में एक विशाल समारोह का आयोजन किया गया था. इस समारोह में दूर-दूर से आए लोगों और संतों ने हिस्सा लिया. आयोजन के अंत में लोग अपनी सवारी के लिए ऊंट, घोड़े और बैलों का आदान-प्रदान करने लगे जिससे इस मेले की नींव पड़ी. यह मेला हर साल चैत्र मास में लूणी नदी के तट पर आयोजित होता है.आपको बता दे कि राज्य भर में अपने पशुओं की वजह से खास पहचान बना चुके तिलवाड़ा पशु मेले की शुरुआत भी राव मल्लीनाथ मंदिर में आरती से होती है. बरसों से चला आ रहा यह मेला अपने इस अनूठे प्रसाद और चढ़ाने की वजह से सबसे जुदा, सबसे खास नजर आता है.

Location :

Barmer,Rajasthan

First Published :

April 03, 2025, 10:27 IST

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इस मंदिर में सोना-चांदी मिठाई का नहीं, चने का चढ़ता है प्रसाद

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