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धान का चमत्कारी बीज, फसल पकने में लगेगा कम टाइम, प्रदूषण की समस्या का मिलेगा समाधान

New rice seed. प्रदूषण से राजधानी दिल्‍ली का ‘दम’ समय-समय पर फूलता रहता है. इसके दो प्रमुख कारण हैं, पहला यहां पर दिन रात दौड़ते लाखों वाहन और दूसरा हरियाणा व पंजाब में समय-समय पर जलने वाली पराली है. दिल्‍ली सरकार राज्‍य से उत्‍पन्‍न होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए समय-समय ग्रैप (ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान) जैसे सख्‍त कदम उठाती है. लेकिन दूसरे राज्‍यों से पराली जलाने से आने वाले प्रदूषण पर दिल्‍ली सरकार बेबस होती है. अब इस बड़ी समस्‍या का समाधान इंडियन एग्रीकल्‍चर रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (आरएआरआई-पूसा) ने तैयार कर लिया है. हालांकि यह सुनकर थोड़ा अजीब लग रहा होगा कि पदूषण को कम करने में पूसा क्‍या समाधान देगा, लेकिन समाधान जानकर आप भी जमकर तरीफ करेंगे.

समय समय यही खबर आती हैं कि हरियाणा और पंजाब के किसान पराली जलाते हैं, जिसका असर दिल्‍ली पर आता है, यहां के लोगों का सांस लेना मुश्किल हो जाता है. लेकिन कभी आपने यह नहीं सोचा होगा कि किसानों की ऐसी क्‍या मजबूरी होती है, जिसके चलते वो पराली जलाने को मजबूर होते हैं.

पराली जलाने की वजह

पंजाब और हरियाणा में किसान चावल का जो बीज बोते हैं. उसका तना मजबूत और लंबा होता था, जो गिरता नहीं था, इस वजह से फसल का नुकसान नहीं होता था. इसकी पैदवार 8 से 9 टन प्रति हेक्‍टेयर तक होती थी. लेकिन यह सफल 155 दिन से 160 दिन के बीच की होती थी. यह फसल इतनी लंबी होती थी कि कटने के साथ ही अगली फसल बोने का समय आ जाता था, इसलिए जल्‍दी की वजह से किसान इसे खेतों में ही जलाकर खेत खाली कर लेते थे और अगली फसल बोते थे. चूंकि इसमें पैदवार बंपर होती है और लंबा होने की वजह से कंबाइन हार्वेस्टर मशीन कटाई की जाती थी. इस वजह से किसान इसी को बोते थे.

पूसा ने खोजा यह ‘चमत्‍कारी’ बीज

इंडियन एग्रीकल्‍चर रिसर्च इंस्‍टीट्यूट (आरएआरआई-पूसा) के निदेशक डा. एके सिंह ने बताया कि दिल्‍ली में पराली की समस्‍या से राहत देने के लिए पूसा ने पूसा-2090 और पूसा 1824 धान की नई किस्‍म खोजी है. इसकी पैदावार 8.8 टन से लेकर 9.5 टन प्रति हेक्‍टेयर तक है. यानी जितनी पैदवार पहले किसान कर रहे थे, नई किस्‍म से ही उतनी ही मिलेगी. खास बात यह है कि यह फसल 125 दिन की है. यह बौनी फसल है, लेकिन पकने के बाद गिरेगी नहीं और कंबाइन हार्वेस्टर मशीन कटाई की जा सकती है.

इस तरह से प्रदूषण से मिलेगी राहत

इसकी बुआई जून के शुरू में की जा सकती है. 125 बाद यानी सिंतबर अंत या अक्‍तूबर शुरू में इसकी कटाई की जा सकती है. इस तरह किसानों को एक माह से अधिक समय मिलेगा. वो इस दौरान पराली जलाने के बजाए उसका निस्‍तारण कर सकते हैं. इस तरह दिल्‍ली वालों को राहत मिलेगी.

पहली बार किसानों को डेमेस्‍टेशन के लिए मिलेगा बीज

किसानों को पहली बार इन दोनों किस्‍मों का बीज उपलब्‍ध होगा, लेकिन अभी भरपूर मात्रा के बजाए केवल डेमोस्‍टेशन के लिए मिलेगा. पूसा के दिल्‍ली केन्‍द्र पर यह बीज उपलब्‍ध होगा. किसान सुविधा अनुसार यह बीज ले जा सकते हैं.

Tags: Agriculture, Delhi air pollution, Delhi-NCR Pollution, Paddy crop, Paddy Harvesting

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