Agricultural Law Back, Indian Industry Trade Board Welcomed – Farmers Law Repeal: कृषि कानून वापस, भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल ने किया स्वागत

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानूनों ( Three farm laws ) को वापस लेने की घोषणा का भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल ने स्वागत किया है। भारत के 7 करोड़ व्यापारियों ने इसके लिए प्रधानमंत्री को बधाई दी। केन्द्र सरकार ने जून 2020 को कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम जारी किया।

जयपुर। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ओर से तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल ने स्वागत किया है। भारत के 7 करोड़ व्यापारियों ने इसके लिए प्रधानमंत्री को बधाई दी। केन्द्र सरकार ने जून 2020 को कृषि उत्पाद व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सरलीकरण) अधिनियम जारी किया। इस अधिनियम में किसान को मण्डी के बाहर और मण्डी के भीतर कृषि उत्पाद बेचने की सुविधाएं दी गई, परन्तु इसमें यह प्रावधान किया गया कि कृषि उपज मण्डी समिति यानि मण्डी में जो किसान/व्यापारी कृषि जिंस का विक्रय करेगा, उसे मण्डी टैक्स के साथ कृषक कल्याण फीस आदि अन्य सेस भी अदा करने पड़ेंगे। परन्तु मण्डी के बाहर यदि कृषि जिंस विक्रय की जाती है तो उस पर किसी प्रकार का मण्डी टैक्स या अन्य सेस व सरचार्ज लागू नहीं होंगे।
भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल की शाखा राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इससे मंडियों का इन्फ्रास्ट्रक्चर खत्म हो जाएगा और बाहर माल बेचने पर किसान का शोषण होगा। कृषि मण्डियों के बर्बाद होने पर बड़ी कंपनियां अपनी मनमाने तरीके से कृषि जिंस का खरीद करेंगी। किसानों ने इसका विरोध करना चालू किया। किसानों का कहना था कि मण्डी मैनेजमेंट का संचालन आज किसानों के हाथ में हैं। मण्डी में माल बेचकर किसान संतुष्ट है। यदि कोई झगड़ा व्यापारी और किसान के बीच में पड़ भी जाता है तो कृषि मण्डी का कर्मचारी/अधिकारी, व्यापारी एवं किसान प्रतिनिधि बैठकर मसले को मण्डी में ही सुलझा देते हैं। इस कृषि कानून में प्रावधान किया गया है कि कृषक और व्यापारी के बीच में कोई झगड़ा पड़ता है तो कृषक को जिला मजिस्ट्रेट या अति. जिला मजिस्टे्रट के यहां वाद दायर करना होगा। इन दोनों अधिकारियों के पास हजारों की तादाद में किसानों के रेवेन्यू के मामले पेन्डिंग है। ऐसे में जिलाधीश व उप जिलाधीश से न्याय मिलना मुश्किल है। यह कानून पूरी तरह एमएनसीज के हित के लिए बनाया गया है, जो किसान का शोषण करेगा। किसानों ने इसको किसान विरोधी समझा और आन्दोलनरत हो गया।
दूसरा कानून आवश्यक वस्तु (संशोधन) अधिनियम 2020 बनाकर यह कहा गया कि कृषि जिंस का भण्डारण तथा उसका परिवहन किसान मनमर्जी कर सकेगा। यह छूट व्यापारी को प्रदान की गई। भारत सरकार की दोहरी नीति का उदाहरण अभी चार माह पहले ही दलहन की स्टॉक सीमा के रूप में सामने आया है। तीसरा कानून किसान (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) मूल आश्वासन और कृषि सेवा समझौता अधिनियम 2020 इस कानून के अन्तर्गत कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के नियम व उप नियम बनाने की बात कही गई और किसान को यह समझाया गया कि बड़ी कम्पनियां या कोई भी कंपनी आपके फसल की बोने से पहले अमुक मूल्य देने का समझौता करेगी और उस मूल्य पर वह कंपनी फसल आने पर आपकी कृषि जिंस लेने के लिए बाध्य रहेगी।
भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल के राष्ट्रीय चैयरमेन बाबूलाल गुप्ता ने तीनों कृषि कानून वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री का आभार प्रकट किया है तथा केन्द्रीय कृषि मंत्री से मांग की है कि जो समिति इस कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए बनाई जाए। उसमें भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल का एक सदस्य व्यापारी प्रतिनिधि के रूप में लिया जाए, ताकि सन् 1962 में बने एग्रीकल्चर मार्केटिंग एक्ट के अन्तर्गत बनी कृषि उपज मण्डी समितियों में कार्यरत व्यापारियों के अधिकारों की भी सुरक्षा की जास सके। भारतीय उद्योग व्यापार मण्डल के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय प्रकाश जैन तथा राष्ट्रीय महामंत्री मुकुन्द मिश्रा तथा स्वामी तेजानन्द ने कहा कि समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली कृषि जिंस को भी मण्डियों के मार्फत खरीदा जाए। ताकि किसान को भुगतान की सुविधा प्राप्त हो और समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली कृषि जिंस की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके।