नाक साफ करने की आदत बढ़ा सकती है अल्जाइमर का खतरा: वैज्ञानिकों का दावा

सिडनी के वैज्ञानिकों का कहना है कि जो लोग बार-बार अपनी नाक साफ करते हैं, उनमें अल्जाइमर रोग विकसित होने का खतरा ज्यादा हो सकता है। हालांकि अभी तक अल्जाइमर का सही कारण पता नहीं चल पाया है, लेकिन मरीजों के दिमाग में ताऊ नामक प्रोटीन का जमाव पाया गया है, जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से जुड़ा होता है।
हाल के अध्ययनों से पता चला है कि कम से कम कुछ हद तक न्यूरोइन्फ्लेमेशन इसकी वजह हो सकती है। ऑस्ट्रेलिया के वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक नए अध्ययन में अनुमान लगाया है कि “अल्जाइमर में न्यूरोइन्फ्लेमेशन का कारण आंशिक रूप से वायरल, बैक्टीरियल और फंगल रोगजनक हो सकते हैं जो नाक और घ्राण प्रणाली के माध्यम से मस्तिष्क में प्रवेश करते हैं।”
बार-बार नाक साफ करना, जिसे चिकित्सकीय रूप से राइनोटिलैक्सोमेनिया के रूप में जाना जाता है, संवेदनशील नाक गुहा में कीटाणुओं को प्रवेश कराता है जो मस्तिष्क में सूजन पैदा करते हैं, जिसे अल्जाइमर रोग की शुरुआत से जोड़ा गया है।
शोधकर्ताओं ने पाया कि नाक के वातावरण में कीटाणुओं की अधिकता के कारण होने वाले बदलाव लगातार, हल्के मस्तिष्क संक्रमण का स्रोत हो सकते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह के संक्रमण बिना किसी लक्षण के मौजूद हो सकते हैं लेकिन सूजन पैदा कर सकते हैं और हानिकारक प्रोटीन के प्लाक को पीछे छोड़ सकते हैं जो अल्जाइमर सहित न्यूरोडिजेनेरेटिव रोगों के विकास में योगदान करते हैं।
अध्ययन में शोधकर्ताओं ने लिखा है, “कोविड से सीखा गया एक सबक हाथ की स्वच्छता का महत्व है, जिसमें बार-बार हाथ धोना और हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल शामिल है। हमारा सुझाव है कि ये नियमित स्वच्छता प्रक्रियाएं असाध्य नाक साफ करने वालों के लिए अनिवार्य होनी चाहिए।”
(आईएएनएस)