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निकाह और तलाक पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, ऐसा हुआ तो दुल्‍हन को…और फिर महिला के नाम कर दी जमीन

इस्लामाबाद. पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि निकाह के समय हुई सहमति और निकाहनामे में लिखे गए इन नियमों व शर्तों में कोई अस्पष्टता होने पर किसी भी स्तर पर उत्पन्न विवाद की स्थिति में महिला को लाभ दिया जाएगा. जस्टिस अमीनुद्दीन खान और जस्टिस अतहर मिनुल्लाह की दो सदस्यीय पीठ ने तलाक से संबंधित एक अपील पर 10 पन्नों का विस्तृत फैसला सुनाया.

मामले के तथ्यों के अनुसार, तलाक के बाद एक महिला ने निकाहनामे में निर्धारित शर्तों के तहत दहेज और अन्य वस्तुओं की वापसी के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया. निकाहनामा एक इस्लामी विवाह अनुबंध है, जिसपर दोनों भागीदारों द्वारा निकाह के समय हस्ताक्षर किए जाते हैं. मामला उच्च न्यायालय पहुंचा तो महिला को निकाहनामे के कॉलम नंबर 17 में दर्ज जमीन का एक टुकड़ा दे दिया गया. ‘द एक्सप्रेस ट्रिब्यून’ अखबार के अनुसार, यह फैसला जस्टिस अतहर मिनुल्लाह द्वारा लिखा गया था.

हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपीलकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया और कहा कि भूमि के टुकड़े का उद्देश्य यह था कि वहां एक घर बनाया जाएगा और जब तक शादी रहेगी तब तक महिला वहां रह सकती है. हालांकि, निकाहनामे में ऐसा कोई स्पष्टीकरण नहीं लिखा गया था. मामले में न्यायालय के सामने कानूनी सवाल यह था: अगर निकाहनामे के नियमों और शर्तों में कोई अस्पष्टता थी तो इसे कैसे हल किया जा सकता था? कोर्ट ने कहा कि यह एक स्थापित कानून है कि अनुबंध में कोई भी अस्पष्टता पार्टियों के इरादे से निर्धारित होती है.

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दुल्‍हन को फैसला
इस मामले में फैसले में कहा गया है, निकाहनामे के नियमों और शर्तों की व्याख्या करने से पहले, यह भी विचार किया जाना चाहिए कि क्या दुल्हन को शादी के नियमों और शर्तों पर अपनी सहमति देने की पूरी स्वतंत्रता थी. फैसले में कहा गया कि पुरुष-प्रधान समाज में नियम और शर्तें आम तौर पर दुल्हन की ओर से पुरुषों द्वारा तय की जाती हैं. इसलिए इसमें कहा गया है, अगर किसी और ने दुल्हन के सार्थक परामर्श के बिना निकाहनामे के कॉलम भर दिए तो इसका इस्तेमाल दुल्हन के हित के खिलाफ नहीं किया जा सकता है.

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सुप्रीम कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक, अगर निकाहनामे के नियम और शर्तों या किसी प्रविष्टि या कॉलम में अस्पष्टता या संदेह है तो पत्नी को इसका लाभ मिलेगा. पाकिस्‍तानी अखबार के मुताबिक, उच्चतम न्यायालय ने भी महिला को जमीन का एक टुकड़ा देने के उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखा और अपील खारिज कर दी.

Tags: Pakistan news, Supreme Court

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