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नीतीश की शर्त और भाजपा ने डाल दिए हथियार… तो इसलिए BJP को छोड़ना पड़ा होम डिपार्टमेंट, इनसाइड स्टोरी

हाइलाइट्स

बिहार में एनडीए सरकार की बनने की पृष्ठभूमि 6 महीने पहले तैयार हुई.
सुशील कुमार मोदी और नीतीश कुमार की जोड़ी ने निभाई अहम भूमिका.
भाजपा के हाथ से गृह विभाग फिसल जाने की इनसाइड स्टोरी सामने आई.

पटना. बिहार में इस बार सत्ता परिवर्तन के साथ ही इस बात की अटकलें लगाई जा रही थी कि भाजपा के हिस्से गृह विभाग जाएगा. हालांकि, यह मुश्किल लग रहा था क्योंकि अगर ऐसा होता तो नीतीश कुमार के मुख्यमंत्रित्व काल में यह पहला मौका होता कि होम डिपार्टमेंट उनके पास नहीं रहता. लेकिन, यहां खास बात यह थी कि इस बार भाजपा की मांग नीतीश कुमार ने मांग ली थी, लेकिन एक शर्त के साथ. सत्ता के गलियारे से जो खबरें सामने आ रही हैं इसके अनुसार, नीतीश की इस शर्त के आगे भाजपा पस्त हो गई और मन मारकर गृह विभाग पर समझौता करने को तैयार हो गई.

भाजपा सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुमार ने मांग ही ऐसी कर दी थी कि भाजपा को थक हार कर अपने पांव पीछे करने पड़े और गृह विभाग सीएम नीतीश के पास ही रह गया. जानकारी के अनुसार, भाजपा को गृह विभाग देने की बात तो मानी थी, लेकिन कुछ शर्तों पर. जब भाजपा ने नीतीश कुमार की शर्तों को नहीं माना तो मुख्यमंत्री ने भी अपना वीटो लगा दिया. इसके बाद तो भाजपा के हिस्से में गृह विभाग आते रह गया. आइये जानते हैं कि आखिर वह कौन सी शर्त थी?

जानकारों की मानें तो बिहार में सत्ता परिवर्तन की पृष्ठभूमि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के 18 अक्टूबर के मोतिहारी दौरे के समय से तैयार होती दिख रही थी. इसके संकेत तब मिले थे जब सीएम नीतीश कुमार ने भाजपा नेताओं से सार्वजनिक तौर पर अपने संबोधन में कहा था कि आपसे मित्रता जीवन भर रहेगी. तब इसको राजद पर प्रेशर बढ़ाने से जोड़ा गया. लेकिन जब बिहार में सत्ता परिवर्तन हो गया तब इसके मायने लोगों की समझ में आए. हालांकि, बातचीत में इस बार भाजपा की केंद्रीय नेतृत्व नीतीश कुमार को शुरू से विकास का चेहरा और बीजेपी को लॉ एंड ऑर्डर के लिए आगे करना चाहता था. लेकिन, नीतीश कुमार की शर्तों के कारण भाजपा के सभी अरमान धरे के धरे रह गए.

भाजपा के सूत्र बताते हैं कि भाजपा ने नीतीश कुमार से गृह विभाग मांगा था. नीतीश कुमार तैयार भी हो गए थे. लेकिन, जब बीजेपी ने सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा को उपमुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव दिया तो सीएम नीतीश इसे मानने से पीछे हट गए. दरअसल, नीतीश कुमार अपने मित्र पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी को फिर सरकार में लाना चाहते थे और उन्हें ही गृह विभाग का प्रभार सौंपना चाहते थे. लेकिन, भाजपा ने अपनी भविष्य की योजनाओं को ध्यान में रखते हुए सीएम नीतीश की यह शर्त नहीं मानी और भाजपा को अपनी मांग से पीछे हटना पड़ा.

बता दें कि नीतीश कुमार अब तक 9 बार बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं. लगभग 20 साल के अपने कार्यकाल में हर टर्म में होम डिपार्टमेंट उनके पास ही रहा है. लेकिन, इस बार परिस्थितियां दूसरी थीं और बिहार में बनी एनडीए की सरकार बनाने की पहल नीतीश कुमार की ओर से की गई थी. इसलिए गेंद इस बार पूरी तरह से भाजपा केंद्रीय नेतृत्व के हाथों में थी. लेकिन, राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले नीतीश कुमार ने सुशील मोदी के नाम की शर्त लगाकर यह विभाग फिर अपने पास ही रख लिया. बता दें कि नीतीश कुमार एनडीए की पिछली सरकार में भी कई बार सुशील मोदी को डिप्टी सीएम बनाने की अपनी इच्छा जता चुके थे.

दरअसल, बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और सुशील मोदी की दोस्ती को शोले फिल्म के जय-वीरू के किरदार से जोड़ते हुए देखा जाता है. वरिष्ठ पत्रकार अशोक कुमार शर्मा कहते हैं कि ये दोस्ती जयप्रकाश नारायण आंदोलन से शुरू होकर अब तक बदस्तूर है. लेकिन, सुशील मोदी को अपने साथ सरकार में लाने की मंशा भी पूरी नहीं हो पाई. दूसरी ओर भले ही भाजपा के हाथ से होम डिपार्टमेंट हाथ से चला गया, लेकिन वह आने वाले दशक की राजनीति को ध्यान में रखकर फैसले ले रही है.

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