Rajasthan

पंचायतीराज चुनाव की घोषणा से अटक सकता है गहलोत कैबिनेट का विस्तार कार्यक्रम,Panchayati Raj elections announced-Eclipse on expansion of Gehlot cabinet– News18 Hindi

जयपुर. राजस्थान राज्य निर्वाचन आयोग (state election commission) की ओर से 6 जिलों में जिला परिषद एवं पंचायत समितियों का चुनाव (Rajasthan Panchayati Raj elections) कार्यक्रम जारी करने से सियासी हलकों में खलबली मच गई है. राज्य निर्वाचन आयोग के इस निर्णय से माना जा रहा है कि राज्य में गहलोत मंत्रिमंडल के फेरबदल और विस्तार (Gehlot cabinet expansion) पर ग्रहण लग सकता है. क्योंकि जयपुर में भी आचार संहिता लग गई है. हालांकि चुनाव कार्यक्रम जारी होने से राजनीतिक गतिविधियों पर असर बेहद कम पड़ता है. शपथ ग्रहण समारोह समेत अन्य सरकारी आयोजनों पर राज्य निर्वाचन आयोग की आदर्श आचार संहिता लागू नहीं होती है.

आदर्श आचार संहिता के दायरे में सिर्फ तबादलों पर और लोकलुभावन घोषणाओं पर ही रोक रहती है. सरकार नई नीतियां और कार्यक्रम की घोषणाएं नहीं कर सकती है. जरुरी होने पर सरकार राज्य निर्वाचन आयोग से अनुमति लेकर अफसरों के तबादले भी कर सकती है. राज्य निर्वाचन आयोग के उप सचिव अशोक जैन का कहना है की न्यायालय के निर्देश पर प्रदेश के शेष रहे 12 जिलों में से 6 जिलों के जिला परिषद एवं पंचायत समितियों का चुनाव कार्यक्रम जारी किया गया है. आयोग पर किसी तरह का कोई राजनीतिक दबाव नहीं है.

टल सकता है प्रस्तावित मंत्रिमंडल विस्तार और पुर्नगठन
राजस्थान में सियासी खींचतान के बीच जयपुर में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है. हाल ही में राजनीतिक गलियारों में इस तरह की चर्चायें चरम पर थी कि राज्य में जल्द ही मंत्रिमंडल का विस्तार या फेरबदल हो सकता है. अभी राज्य में 2 विधानसभा क्षेत्रों के उप चुनाव भी होने हैं और अब राज्य निर्वाचन आयोग ने 6 जिलों का चुनाव कार्यक्रम भी जारी कर दिया है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि अब संभावित मंत्रिमंडल का विस्तार या फेरबदल सितंबर तक टल सकता है. उल्लेखनीय है कि राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच लंबे समय से सियासी खींचतान चल रही है. इस विवाद के निपटारे के लिये चल रहे प्रयासों के तौर पर गहलोत कैबिनेट के विस्तार की चर्चायें जोरों पर है.

आयोग एक संवैधानिक संस्था है
राज्य निर्वाचन आयोग के उप सचिव अशोक जैन ने कहा कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है और अपने विवेक के आधार पर निर्णय लेती है. ये चुनाव काफी समय से लंबित चल रहे थे. उन्होंने कहा पिछले साल ही चुनाव होने थे लेकिन प्रदेश में कोरोना संक्रमण के केस ज्यादा होने की वजह से आयोग ने चुनाव नहीं कराने का निर्णय लिया था. अब राज्य में कोरोना के केस बेहद कम हैं. इसलिए आयोग ने चुनाव कराने का निर्णय लिया है.

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