पंजाब में सिद्धू की ताजपोशी से राजस्थान में सियासी उबाल, गहलोत कैंप में बढ़ी बेचैनी

राजस्थान में सचिन पायलट गुट को मंत्रीमंडल में जगह दिलाने और राजनीतिक नियुक्तियों में भागीदारी दिलाने के लिए दस दिन पहले माकन जयपुर आए थे. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से दो दिन में दो बार मिले, लेकिन गहलोत पायलट के साथ सत्ता की साझेदारी को तैयार ही नहीं.
कांग्रेस आलाकमान गहलोत से खफा!
कहा जा रहा है कि उसके बाद कांग्रेस आलाकमान गहलोत से खफा है. ये मान रहा है कि गहलोत खुद को ताकतवर क्षत्रप मानने लग गए. हाईकमान को बौैना समझ रहे हैं. इस पर राजस्थान कांग्रेस ने सफाई दी माकन गहलोत से नाराज नहीं. राजस्थान में माकन के आने के बाद सत्ता संगठन में समन्यव है.
माकन के एक ट्वीट पर मुहर ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी बैचेन कर दिया. गहलोत को ट्वीट कर सफाई देनी प़़ड़ी कि पार्टी हाईकमान सर्वोपरि है. गहलोत ने लिखा कि कांग्रेस में चर्चा के बाद फैसलों की परंपरा है, लेकिन एक बार हाईकमान फैसला ले लेता है तो सभी सम्मान करते हैं. गहलोत ने ट्वीट में ये भी दावा कर दिया कि अमरेंद्र सिंह एक सप्ताह पहले ही कह चुके कि वे हाईकमान का फैसला मानेंगे.
दरअसल, माकन के इस रीट्वीट को माकन की राय नहीं, कांग्रेस आलाकमान और गांधी परिवार की राय माना जा रहा है. जिस तरह गहलोत सचिन पायलट और उनके समर्थकों को किनारे कर रहे हैं औऱ गांधी परिवार की इच्छा के बावजूद गहलोत पायलट को भागीदारी देने को तैयार नहीं. इससे साफ संदेश है कि पार्टी हाईकमान की नजर पंजाब के बाद अब राजस्थान पर है.
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