पहले खालिस्तानी की हत्या का आरोप मढ़ा, अब भारत के खिलाफ उगला जहर…आखिर कनाडाई PM को हो क्या गया?
नई दिल्ली: खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का आरोप भारतीय एजेंटे पर लगाने वाले कनाडा ने अब भारत के खिलाफ जहर उगला है. राजनयिक संकट के बीच कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने शुक्रवार को कहा कि राजनयिकों पर भारत का एक्शन भारत और कनाडा में लाखों लोगों के जीवन को बहुत कठिन बना रहा है. उन्होंने कहा कि इससे भारत में वीजा सेवाओं में देरी होगी. इतना ही नहीं, कनाडा ने भारत के कदम को अनुचित और तनाव बढ़ाने वाला बताया है. दरअसल, नई दिल्ली ने ओटावा से भारत में अपनी राजनयिक उपस्थिति को कम करने के लिए कहा था ताकि समानता हो क्योंकि कनाडा में भारत के राजनयिकों की संख्या बहुत कम है. बता दें कि भारत सरकार के अल्टीमेटम के बाद कनाडा के 41 राजनयिकों को भारत से वापस बुला लिया है.
वहीं, भारत ने इन कनाडाई राजनयिकों पर भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया. भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक टकराव तब शुरू हुई थी, जब जस्टिन ट्रूडो ने सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया था कि खालिस्तानी आतंकी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की भूमिका थी. हालांकि, कनाडा के इस आरोप का भारत सरकार ने करारा जवाब दिया था. भारत ने इस दावे को खारिज करते हुए कनाडा पर आतंकवादियों को सुरक्षित पनाहगाह मुहैया कराने का आरोप लगाया था.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, जस्टिन ट्रूडो ने आरोप लगाया कि भारत सरकार, भारत और कनाडा में लाखों लोगों के लिए जीवन को सामान्य रूप से जारी रखना अविश्वसनीय रूप से कठिन बना रही है. और वे कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन करके ऐसा कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह कुछ ऐसा है जिससे मैं उन लाखों कनाडाई लोगों की भलाई और खुशी के लिए बहुत चिंतित हूं, जिनका जन्म भारतीय उपमहाद्वीप में हुआ है. उन्होंने कहा कि कनाडा से कुछ राजनयिकों के निष्कासन से कनाडा में पढ़ने वाले भारतीयों के लिए मुश्किलें पैदा होंगी.
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वहीं, इससे पहले ओटावा में कनाडाई विदेश मंत्री जोली ने कहा था कि मैं इस बात की पुष्टि कर सकती हूं कि भारत ने 20 अक्टूबर तक दिल्ली में सेवारत 21 कनाडाई राजनयिकों को छोड़कर सभी अन्य राजनयिकों एवं उनके परिवारों की राजनयिक छूट एकतरफा तरीके से हटाने की अपनी योजना की औपचारिक रूप से जानकारी दी है. नई दिल्ली स्थित कनाडाई दूतावास ने जोली के बयान के कुछ घंटों बाद अपने यात्रा परामर्श को अपडेट किया और अपने नागरिकों से बेंगलुरु, चंडीगढ़ और मुंबई के आसपास ‘उच्च स्तर की सावधानी बरतने’ का आग्रह किया.
जोली ने कहा कि राजनयिक समानता के उनके ‘अनुचित’ अनुरोध के तहत भारत केवल 21 राजनयिकों और उनके परिवारों को अपनी राजनयिक स्थिति बनाए रखने की अनुमति देगा, जिससे अन्य लोगों की सुरक्षा मनमाने ढंग से छीन लिए जाने का खतरा होगा और उनके प्रतिशोध का शिकार होने या उन्हें गिरफ्तार किए जाने की आशंका होगी. उन्होंने ओटावा में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘इसका अर्थ है कि 41 कनाडाई राजनयिकों और उनके 42 आश्रितों को मिली छूट किसी मनमानी तारीख को हटा लिए जाने का खतरा था और इससे उनकी व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में पड़ जाती.’
जोली ने कहा, ‘कनाडाई लोगों और हमारे राजनयिकों की सुरक्षा हमेशा मेरी सबसे पहली चिंता है. भारतीय कदमों के कारण हमारे राजनयिकों पर पड़ने वाले प्रभाव के मद्देनजर हमने भारत से उनकी सुरक्षित वापसी का प्रबंध किया है। इसका अर्थ है कि हमारे राजनयिक और उनके परिवार अब (भारत से) रवाना हो गए हैं.’ उन्होंने कहा, ‘कूटनीति का एक बुनियादी सिद्धांत है और यह दोतरफा रास्ता है. यह तभी काम करता है जब हर देश नियमों का पालन करे.’ जोली ने कहा, ‘राजनयिक विशेषाधिकारों और छूट को एकतरफा तरीके से हटाया जाना अंतरराष्ट्रीय कानून के विपरीत है और राजनयिक संबंधों पर जिनेवा संधि का स्पष्ट उल्लंघन है. ऐसा करने की धमकी देना अनुचित और तनाव बढ़ाने वाला है. यदि हम राजनयिक छूट के नियम तोड़ने की अनुमति देते हैं, तो कहीं भी, कोई भी राजनयिक सुरक्षित नहीं रहेगा.’
दरअसल, भारत ने पिछले महीने कनाडा से देश में अपने राजनयिक कर्मियों की संख्या कम करने को कहा था और तर्क दिया था कि राजनयिकों की संख्या और रैंक में आपस में समानता होनी चाहिए. कनाडा में सेवारत भारतीय राजनयिकों की संख्या की तुलना में भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या अधिक है. इससे पहले कनाडा ने अपने देश में सेवारत एक भारतीय राजनयिक को निष्कासित कर दिया था, जिसके बाद भारत ने भी एक वरिष्ठ कनाडाई राजनयिक को निष्कासित करने का कदम उठाया था.
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FIRST PUBLISHED : October 20, 2023, 22:16 IST