पुज्य सिंधी पंचायत समिति की ओर से 101 बटुको का उपनयन जनेऊ संस्कार हुआ | Upnayan Janeu Sanskar of 101 Batuks was performed on behalf of the respected Sindhi Panchayat Samiti.

इस यज्ञोपवीत को धारण करने से जीव-जन भी परम पद को पहुंच जाते हैं। उन्होने कहा यज्ञ हवन पूजन और अन्य धार्मिक अनुष्ठान हमारी धर्म संस्कृति और परम्पराओ की पहचान है। उन्होने कहा संस्कार के विना मनुष्य का जीवन भी पशुवत है। संस्कार ही हमे अपने गुण-दोष का बोध कराता है। समाज और राष्ट्र को अगर उच्च शिखर पर आसीन करना है तो हमे स्वयं और समाज को संस्कारवान बनाना होगा। हिन्दू धर्मानुरागी जन्म से लेकर अंतकाल तक विभिन्न संस्कारो से जुड़ा है,जिसके कारण ही आज वह और उसकी धार्मिक परम्पराये सुरक्षित ही नही जीवंत है।
उन्होने कहा यज्ञोपवीतं परमं पवित्रं प्रजापतेर्यत्सहजं पुरस्तात्, आयुष्यमग्रयं प्रति मुञ्च शुभ्रं यज्ञोपवीतं बलमस्तु तेज: अर्थात- यज्ञोपवीत परम पवित्र है, प्रजापति ईश्वर ने इसे सबके लिए सहज बनाया है। यह आयुवर्धक, स्फूर्तिदायक, बन्धनों से छुड़ाने वाला एवं पवित्रता,बल और तेज देता है। धार्मिक परम्पराओ को अक्षुण रखने के लिए ही हमारे पर्वजो ने विभिन्न संस्कारो को स्थापित किया। यह शास्त्रों के अनुसार दसवां संस्कार माना जाता है। जनेऊ संस्कार 10 से 15 वर्ष तक की उम्र में कर देना चाहिए। जनेऊ के नियमों अच्छी तरह से पालन करना चाहिए। इसका पालन हमारा कर्तव्य है।
संतो ने कहा कि उपनयन संस्कार अर्थात उप यानी नया , नयन माने जीवन , आज से तुम्हारा नया जन्म प्रारंभ हुआ है। बड़ो की आज्ञा एवम सेवा करना है। प्रतिदिन माता पिता गुरुजनों को प्रणाम करना है। संस्कार के बाद बच्चो को जनेऊ सदेव धारण करना चाहिए। पंडित विजेंदर ने विधि विधान से बच्चों का उपनयन संस्कार करवाया।
इस अवसर पर साईं गुलराज उदासी जी के द्वारा बहिराना साहिब की उपासना और सत्संग किया गया। पूज्य सिंधी पंचायत समिति सेक्टर 28, 29 प्रताप नगर सांगानेर जयपुर अध्यक्ष देवानंद कौरजानी महासचिव सुनील कुमार नथनी कोषाध्यक्ष मनोज कुमार तुलसी, राहुल रिजवानी, छबल दास नवलानी सुरेश हंसराजानी, रमेश कुमार मोटवानी, श्याम कोरानी ,अशोक गंगवानी, ईश्वर बच्चानी , हरीश कुमार मखीजा भारतीय सिंधु सभा नारायण दास नाजवानी उपस्थित रहें।