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पुण्यतिथि : वो शख्स जो खुद दूध नहीं पीता था लेकिन की अमूल के जरिए देश में दुग्ध क्रांति

हाइलाइट्स

91 साल की उम्र में 09 सितंबर 2012 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था निधन
सहकारी दुग्ध के मॉडल पर काम करके देश को दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक बनाया
कुरियन ने टीम के साथ भैंस के दूध से मिल्क पाउडर और कंडेस्ड मिल्क बनाकर दिखाया

दुनिया के सबसे लोकप्रिय दुग्ध ब्रांड में एक अमूल का कारोबार आज की तारीख में अरबों का है. इसने केवल गुजरात के अभावग्रस्त किसानों की ही किस्मत नहीं पलटी बल्कि देश के लिए ऐसा नजीर बना कि देखते ही देखते दूध की कमी से गुजर रहे देश में ऐसी श्वेत क्रांति हुई कि वाकई दूध की नदियां बहने लगीं. अब देश में कभी दूध का अकाल नहीं पड़ता. इसका श्रेय जिस शख्स को जाता है, वो वर्गीज कूरियन हैं. 90 साल की उम्र में आज ही के दिन 10 साल पहले गुजरात के नाडियाड में उनका निधन हो गया.

कूरियन देश के सबसे बड़े डेयरी प्रोडक्ट ब्रैंड अमूल (AMUL) के फाउंडर थे.  अमूल ने ना केवल देश में दूध की कमी को खत्म किया बल्कि इसके जरिए देश में दूध का इतना उत्पादन शुरू हुआ कि गांव भी खुशहाल हुए और देश दूध के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हुआ.

वर्ष 1945-46 में सरदार वल्लभ भाई पटेल ने दूध के लिए सहकारी योजना की नींव रखी. उसके बाद 1946 में सहकारी सोसाइटी के तौर पर इसका रजिस्ट्रेशन हुआ. कुरियन ने अमूल डेयरी की शुरुआत 1949 में की. फिर तो उन्होंने जो कुछ भी किया, वो इतिहास बनाता चला गया.

देश को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया
जिस समय देश को आजादी मिली उस समय खाद्यान्न की किल्लत तो थी ही साथ ही दूध उत्पादन की स्थिति भी बहुत खराब थी. कुरियन को ‘भारत का मिल्कमैन’ भी कहा जाता है. एक समय जब भारत में दूध की कमी हो गई थी, कुरियन के नेतृत्व में भारत को दूध उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम शुरू हुआ.

उन्होंने त्रिभुवन भाई पटेल के साथ मिलकर खेड़ा जिला सहकारी समिति शुरू की. साल 1949 में उन्‍होंने गुजरात में दो गांवों को सदस्य बनाकर डेयरी सहकारिता संघ की स्थापना की. भैंस के दूध से पाउडर का निर्माण करने वाले कुरियन दुनिया के पहले व्यक्ति थे. इससे पहले गाय के दूध से पाउडर का निर्माण किया जाता था.

वर्गीज कुरियन अमेरिका से पढ़कर आए थे. अच्छी नौकरी कर रहे थे लेकिन गांवों में दूध की स्थिति सुधारने के लिए उन्होंने ये नौकरी छोड़ दी. वो पूरी तरह से गुजरात के गांवों के जरिए दूध की क्रांति करने के लिए कूदे और सफल होकर दिखाया.

शुरुआत में कंपनी की क्षमता 250 लीटर प्रति दिन की थी. इस समय अमूल कंपनी के कुल 7.64 लाख मेंबर्स हैं. कंपनी रोजाना 33 लाख लीटर दूध का कलेक्शन करती है. कंपनी की रोजाना 50 लाख लीटर की हैंडलिंग क्षमता है. कंपनी का पूरी दुनिया के दूध उत्पादन में 1.2 प्रतिशत हिस्सा है.

वो आइडिया उनके दिमाग में पहली बार आया
1960 के दशक में भारत में दूध उत्पादन 2 करोड़ टन हुआ करता था, जो कि डॉ. वर्गीज़ कुरियन के कार्यकाल के दौरान 2011 तक 12.2 करोड़ टन का हो गया. रिपोर्ट्स कहती हैं कि भैंस के दूध से दूध पाउडर बनाने का आइडिया भी कुरियन के दिमाग की उपज थी, जबकि पूरी दुनिया में सिर्फ गाय के दूध से मिल्क पाउडर बनाया जा रहा था. सिर्फ दूध उत्पादन ही नहीं बल्कि दूध के अन्य प्रोडक्ट्स के साथ खाद्य तेल के उत्पादन तक कुरियन हमेशा दूर की कौड़ी लाने में माहिर रहे थे.

आपरेशन फ्लड की शुरुआत
अमूल की सफलता पर तत्कालीन प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री ने अमूल मॉडल को दूसरी जगहों पर फैलाने के लिए राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) का गठन किया और उन्हें बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया. एनडीडीबी ने 1970 में ‘ऑपरेशन फ्लड’ की शुरुआत की जिससे भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश बन गया.

कुरियन ने 1965 से 1998 तक 33 साल एनडीडीबी के अध्यक्ष के तौर पर सेवाएं दीं. वह 1973 से 2006 तक गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन लिमिटेड के प्रमुख और 1979 से 2006 तक इंस्टीट्‍यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट के अध्यक्ष रहे.

कमाल की मैनेजमेंट क्षमता
कुरियन इंजीनियर थे और मैनजर भी. कायरा दूध उत्पादक संघ से जुड़े कुरियन की मैनेजमेंट क्षमता इतनी कमाल की थी कि उन्होंने ग्रामीणों को जोड़कर भारत का सबसे बड़ा डेयरी उद्योग खड़ा कर दिया था. इंजीनियरिंग और मैनेजमेंट के बेजोड़ हुनर ने आधुनिक भारत के सहकारी आंदोलन और डेयरी आंदोलन को दिशा दी, जिससे किसान आत्मनिर्भर भी हुए और भारत का विकास भी हुआ.

मिल्कमैन ऑफ इंडिया बने
मिल्कमैन ऑफ इंडिया बने कुरियन के निजी जीवन से जुड़ी एक रोचक और दिलचस्प बात यह है कि देश में ‘श्वेत क्रांति’ लाने वाला और ‘मिल्कमैन ऑफ इंडिया’ के नाम से मशहूर यह शख्स खुद दूध नहीं पीता था. वह कहते थे, मैं दूध नहीं पीता क्योंकि मुझे यह अच्छा नहीं लगता.

कुरियन ने पहले अमूल डेयरी को अपने पैरों पर खड़ा करके इसे देश के सबसे लोकप्रिय और हिट ब्रैंड में बदल दिया. उसके बाद उन्होंने दूध की क्रांति करने का काम भी बखूबी किया.

डेयरी इंजीनियरिंग में पढ़ाई की
कुरियन का जन्म केरल के कोझिकोड में 26 नवंबर, 1921 में हुआ. उन्होंने चेन्नई के लोयला कॉलेज से 1940 में विज्ञान में स्नातक किया और चेन्नई के ही जी. सी. इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की. जमशेदपुर स्थित टिस्को में कुछ समय काम करने के बाद कुरियन को डेयरी इंजीनियरिंग में अध्ययन करने के लिए भारत सरकार की ओर से छात्रवृत्ति दी गई.

बेंगलूर के इंपीरियल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल हसबेंड्री एंड डेयरिंग में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कुरियन अमेरिका गए जहां उन्होंने मिशीगन स्टेट यूनिवर्सिटी से 1948 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग में अपनी मास्टर डिग्री हासिल की, जिसमें डेयरी इंजीनियरिंग भी एक विषय था. भारत लौटने पर कुरियन को अपने बांड की अवधि की सेवा पूरी करने के लिए गुजरात के आणंद स्थित सरकारी क्रीमरी में काम करने का मौका मिला. डॉ. कुरियन की मृत्यु 09 सितंबर 2012 में बीमारी की संक्षिप्त अवधि के बाद गुजरात में हुई.

कहा जाता है कि अगर किसानों और किसी संस्था के साथ तालमेल देखना हो तो जरूर अमूल को चलाने वाली सहकारी संस्था के बारे में जानें, जिसने दूध एकत्र करने के लिए तो सुनियोजित नेटवर्क बिछाया ही बल्कि किसानों के मवेशियों की उचित देखरेख, स्वास्थ्य निगरानी और सहायता के लिए भी एक तंत्र खड़ा किया. जो भी आनंद की इस विशाल डेयरी और इसके सुनियोजित तंत्र को देखता है,  वो प्रभावित हुए बगैर नहीं रह पाता. और ये सब मोटे तौर पर डॉक्टर वर्गीज कूरियन के नेतृत्व और प्रबंधन के साथ दूरदर्शी सोच को जाता है.

Tags: Amul, Gujarat, Milk

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