पूरे विश्व को बेटी, पानी, पेड़, गोचर भूमि और वन्यजीवों को बचाने का दिया संदेश– News18 Hindi

अलकेश सनाढ्य
राजसमन्द. राजसमंद में पानी, बेटी और जंगल बचाने का अनूठा संदेश दिया गया है. यहां पर्यावरण महोत्सव में 1 साल में पैदा होने वाली बेटियों (Daughters) के जन्म का जश्न ढोल नगाड़ों के साथ मनाया जाता है. इस बार माताएं अपनी नवजात बेटियों को पालने में रखकर सिर पर उठाकर लेकर आईं. राजसमंद जिले (Rajsamand District) के पिपलांत्री में चल रहे पर्यावरण महोत्सव (environment Mahotsav) में इस बार यह सराहनीय पहल की गई है. इसके जरिए पानी, बेटी और जंगल बचाने का संदेश एक साथ देते हुए समाज को प्रेरित भी किया गया. अब बेटी के परिवारजन इस पौधे के पेड़ बनने तक उसकी देखभाल करेंगे. पिपलांत्री में पानी, बेटी और जंगल बचाने के लिए पर्यावरण महोत्सव पिछले 21 साल से मनाया जा रहा है. गांव में ग्रामीण पूरी दुनिया को बेटी, पानी, गोचर भूमि और वन्य जीवों को बचाने का संदेश दे रहे हैं.
पेड़ों और बेटियों को बचाने की इस पहल में पर्यावरण महोत्सव के दौरान एक साल में जन्मी 48 बेटियों के नाम पर 101 पौधारोपण किया गया. हर पेड़ पर बेटी के नाम से नाम की तख्ती लगाई गई. यहां नवजात और बेटी की मां का अतिथि द्वारा सम्मान भी किया गया. ऐसे में पिपलांत्री की बगिया से बेटियों के नाम पर पौधरोपण कर राजसमंद दुनियाभर को पानी, बेटी और जंगल बचाने का संदेश दे रहा है.
बिटिया के नाम की जाती है 21 हजार की एफडी
महोत्सव में इस बार 48 बेटियों के नाम पर पौधरोपण किया गया. अब तक लगभग 90,000 पौधे बेटियों के नाम पर लगाए जा चुके हैं. पंचायत में कुल 4 लाख वृक्षारोपण किया जा चुका है. बेटी के जन्म पर परिजनों से ₹10,000 लिए जाते हैं. जन सहयोग से ₹11000 मिलाकर ₹21000 की एफडी बच्ची के नाम से दी जाती है. बेटी के जन्म के साथ ही परिजनों को पेड़ बचाने का संकल्प दिलाया जाता है. ऐसी पहल देशभर में शायद ही कहीं देखने को मिलती है.
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