Rajasthan

प्रकृति का नायाब शिल्पकार है यह पक्षी, खूबसूरत घोंसला बनाने के लिए मशहूर, खजूर के पेड़ों पर करता है बसेरा

मनीष पुरी/भरतपुर : सर्दी की दस्तक का आभास सबसे पहले पक्षियों को होता है. ऐसा ही एक पक्षी है बया जो वीवर बर्ड के नाम से जाना जाता है. यह हल्के पीले रंग का बया बुनकर प्रजाति का नन्हा सा पक्षी घास के छोटे-छोटे तिनकों और पत्तियों से बुनकर के लालटेन की तरह लटकता बेहद ही खुबसूरत घोंसले का निर्माण करता है. इसलिए इसे बुनकर पक्षी भी कहा जाता है. इसी कुशलता के कारण इसे पक्षियों का इंजीनियर भी कहा जाता है.

बता दें कि बया पक्षी पहले अपने रहने के लिये वातानुकूलित और सुरक्षित घोंसले का निर्माण करता है. इन दोनों भरतपुर के विभिन्न इलाकों में यह पक्षी खजूर, पीपल एवं झाड़ियां आदि जगहों पर इन दिनों बया पक्षी अपना घोंसला निर्माण कर रहे हैं. वैसे तो यह अपने घोंसले का निर्माण अप्रैल व नवम्बर के प्रारंभ में ही कर देते है. जिसे पूर्ण करने में लगभग 28 से 30 दिन का समय लगता है. क्योंकि इनका प्रजनन काल मई से दिसम्बर तक होता है. और घोंसला निर्माण के लिए विशेष रूप से लंबी घास, कूंचे की पत्तियां या खजूर की पत्तियां जो 20 से 50 सेमी लंबाई में काटकर लाती है. साथ ही गीली मिट्टी से घोंसले के आंतरिक भागों पर कहीं कहीं लेप भी करती है. ताकि तेज हवाओं से घोंसले को कोई नुकसान ना हो

वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 की चौथी अनुसूची में बया पक्षी को संरक्षित किया गया है. इससे इस पक्षी को कैद में रखने व शिकार करने पर पाबंदी है. इस पक्षी की संख्या घटने के कारण बढ़ते शहरीकरण और वृक्षों का विनाश और खासकर घोंसला निर्माण में काम आने वाले सरकंडे, मूंज और खजूर के वृक्षों की घटती संख्या हो रहीं हैं.

बया को कहा जाता है प्राकृतिक इंजीनियर
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार सामाजिक और समूह में रहने वाला बया विश्व का सबसे प्राचीन और कुशल शिल्पकार है. इसकी अद्भुत शिल्पकारी इनके घोंसले को देखने मे मिलती है. इन्हें प्राकृतिक इंजीनियर भी कहते हैं. घोंसले का निर्माण नर बया के द्वारा किया जाता है. नर का घोंसला बनाने का उद्देश्य मादा बया को आकर्षित कर प्रजनन करना होता है. इसके लिए नर एक कंटीले पेड़ पर जिसके नीचे खाई या पानी एकत्रित हो वहां ये कई सारे घोंसलों का निर्माण करते हैं.

दो भागों में बंटा होता है घोसला
बया अपना घोंसला इस तरह से तैयार करती है. जिससे कि वह अपने अन्डों और बच्चों को शत्रुओं और मौसमी प्रभाव से बचा सके घोसलों में तिनको की एक महीन परत सुरक्षा के लिए होती है. ऐसा कहा जाता है कि जब एक पक्षी भोजन या अन्य कार्य के लिए बाहर जाता है. तो दूसरा पक्षी वहीं पास में बैठकर चौकीदार की तरह घर की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालता है. यदि कोई खतरे का आभास होता है. तो यह ची-ची की आवाज करके सभी पक्षियों को सचेत कर देता है. बया पक्षी के घोसलों में दो कक्ष होते हैं. जिसमे एक अंडा और दूसरा शयन कक्ष होता है. घोंसले का दरवाजा नीचे की तरफ खुलता है. जिसमें एक अथवा कभी-कभी दो दरवाजे भी होते हैंं.

सामाजिक पक्षी होने के कारण इस प्रजाति में अनेको घोंसले एक साथ पेड और कंटीली झाड़ियों पर देखने को मिलेंगे बया पक्षी अकेला अपना घोसला नहीं बनाते ये एक साथ अनेको घोसलों का निर्माण करते है. और एक बस्ती की तरह रहने के स्थान को आबाद करते है.

Tags: Bharatpur News, Local18, Rajasthan news

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