Rajasthan

प्राकृतिक रंगो और खूबसूरत लघु चित्रों का मेल है मिनिएचर आर्ट, पर्यटकों को करती है आकर्षित

निशा राठौड़/उदयपुर. उदयपुर शहर अपनी खूबसूरती के साथ ही अपनी कला और संस्कृति के लिए भी दुनिया में पहचानी जाती है. इस खास कला में, यहां की मिनिएचर पेंटिंग्स कला खास तौर पर आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करती है. छोटी-छोटी कलाकृतियाँ और आकर्षक चित्र हर किसी को मोहित कर देती हैं, और मेवाड़ की चित्रकारी खास रूप से अपनी मिनिएचर कला के लिए पहचान बनाती है.

विदेशी पर्यटकों को करती है आकर्षित
उदयपुर में मिनिएचर आर्टिस्ट कैलाश जिंगर ने बताया कि यहां कई विदेशी पर्यटक आते हैं जिन्हें यहां की मिनिएचर कला खास तौर पर आकर्षित करती है. मेवाड़ में महाराणा अमर सिंह और महाराणा सज्जन सिंह ने इस कला को विशेष बढ़ावा दिया है. इस कला में मुख्य रूप से हाथी, घोड़े, चीते, और मोर के चित्रण किए जाते हैं. इसके साथ ही, मिनिएचर पेंटिंग्स में चटक रंगों का प्रयोग किया जाता है, जैसे कि लाल, पीले, और नीले रंग. पहले इनका प्रयोग प्राथमिक चित्रों के लिए होता था, लेकिन वर्तमान में इन मिनिएचर पेंटिंग्स को सिल्क के कपड़े या कैनवास पर बनाया जाता है, और विदेशी पर्यटकों को इन्हें खास रूप से पसंद करते हैं.

प्राकृतिक रंगों का होता है इस्तेमाल
कैलाश ने बताया कि मिनिएचर पेंटिंग का मतलब होता है लघु या छोटे आकर का चित्र, जिसका इतिहास भारत में लगभग 1000 से 1200 साल पुराना माना जाता है. इसमें खास चित्रकारी या पेंटिंग करने में हाथों से रंगों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें धार्मिक, पौराणिक कथाएँ, और आदिकाव्य (श्री कृष्ण की रास लीला आदि) के वर्णन को विशेष तरीके से रंगों से सजाया जाता है. यहां प्रयुक्त रंग पत्थर, सब्जियों, खनिजों, नील, शंख के गोले, कीमती पत्थर, शुद्ध सोने और चांदी से बनाए जाते हैं.

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