Rajasthan

‘प्राण जाए पर बचन न जाई’…इसको सार्थक किया था तेजाजी ने, अब 400 करोड़ से बन रहा इनका मंदिर

कृष्ण कुमार/नागौर : प्राचीन समय की बात करते हैं तो लोगों द्वारा दी गई जुबान या वचन का महत्व बहुत अधिक होता था. वचन को निभाते हुए अपने प्राणों की चिंता भी नही करते थे. ऐसे लोगों को इतिहास में पूजा जाता है. ये शूरवीर कहलाते हैं. ऐसे ही नागौर के खरनाल गांव में वीर तेजाजी का जन्म विक्रम सवंत 1130 में तहाड़ जी धोलिया के घर हुआ था. तेजाजी महराज ने वचन को निभाते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए.

दरअसल, खरनाल के निवासी हरिराम जाजड़ा बताते हैं कि तेजाजी महराज को सर्प के देवता व किसानों के देवता के रुप में पूजा जाता है. नागौर की खरनाल गांव की पवित्र भूमि पर यह वाक्या विक्रम सवंत 1160 में घटा. जिस प्रकार से भगवान श्रीराम नें अपने पिता के दिए हुए वचने को निभाने के लिए वनवास चले गए. उसी प्रकार से नागौर में वीर तेजाजी महराज ने अपने वचन को पूरा करने के लिए नाग देवता से अपनी जीभ को कटवा लिया.

क्या है तेजाजी महराज का इतिहास

तेजाजी महराज का जन्म विक्रम संवत् 1130 में ताहङजी धोलियां के घर हुआ तेजाजी महराज के माता के नाम रामकुंवरी हैं. तेजाजी को वीरतेजा या सत्यवादी के रूप में जाना जाता हैं. जनश्रुतियों के अनुसार तेजाजी को शिवजी को ग्यारहों अवतारों मे से एक माना जाता है तेजाजी के खेत को धोरा कहा जाता है.

क्या है मान्यता

वीर लोकदेवता तेजाजी महराज को गायों व सांपो के देवता के रुप में पूजा जाता हैं. क्योंकि इन्होनें चोरो से लड़ते हुऐ गायों को बचाया व वचन निभाने के लिए संर्प से अपनी जीभ पर कटवाया. नागदेवता के आशीर्वाद के कारण इन्हें गायों व सांपों के देवता माना जाता हैं. जनश्रुतियों के अनुसार ऐसी मान्यता हैं कि यदि किसी सर्प द्वारा कांटे हुए व्यक्ति इनके नाम की तांती बांध देते हैं तो वह व्यक्ति ठीक हो जाता है.

सासू ने दिया भूल से श्राप, सच हो गए कड़वे वचन

हरिराम जाजड़ा ने बताया कि जब तेजाजी महराज अपनी पत्नी पेमल को लेने अपने ससुराल पनेर पहुंचे तो उनकी सांस द्वारा पशुओं से दूध निकाल रही थी तेजाजी को देखकर पशु चमक गए तो सास द्वारा गलती से कड़वे वचन ‘काल को खावड़ो कुण आयों’ कह दिए थे. कहते हैं कि उसी रात को पमेल की सहेली लाछा गुजरी की गायें को चोर ले गए.

तेजाजी से अरदास करने पर गायों के छुड़वाने के लिए चोरों का पीछा किया तो रास्ते में जलता हुआ सर्प दिखाई दिया. इसी दौरान नागदेवता तेजाजी के समक्ष प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि मोक्ष प्राप्त करने में विघ्न डाल दिया इसी कारण से मैं तुम्हें आज डसूंगा लेकिन तेजाजी महाराज ने गायों के बात बताई और वचन दिया कि वापस आकर आप मुझे डस लेना. गायों को छुड़वाते हुए लहुलुहान हो गए और गायों को वापस लाछा को देकर अपने वचन निभाने के लिए नागदेवता के समक्ष गए और अपनी जीभ को नागदेवता से कटवाया.

अब बन रहा भव्य मंदिर

तेजाजी महाराज का मेला भाद्रपद शुक्ल 10 को लगता है. विक्रम सवंत 1160 में तेजाजी अपने वचनों के लिए वीरगति को प्राप्त हुए. अब तेजाजी महाराज का वर्तमान में 400 करोड रुपए की लागत से भव्य मंदिर बनेगा. तेजाजी महराज को अपनें वचनों व सत्य के लिए के देश के कई राज्यों गुजरात हरियाणा राजस्थान पंजाब में लोक देवता के रूप में पूजे जाते है.

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