फिल्मों के सेट पर नहीं होते थे टॉयलेट, पूरे-पूरे दिन बिना वॉशरूम जाए करनी पड़ती थी शूटिंग: आशा पारेख

हाइलाइट्स
आशा पारेख ने बताया कि उनके समय में आउटडोर शूटिंग के दौरान कपड़े बदलने तक की सुविधा नहीं होती थी.
IFFI के मंच से उन्होंने सवाल उठाया कि जानें क्यों आज की हीरोइनें वेस्टर्न ड्रेसेस की दीवानी हुई जा रही हैं.
मुंबई. गोवा में चल रहे 53वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (IFFI 2022) में पहुंचीं दिग्गज बॉलीवुड अभिनेत्री आशा पारेख ने कहा कि उन्होंने बड़ी मुश्किलों के बीच फिल्मों में काम किया है. उन्होंने बताया कि उनके जमाने में फिल्मों के सेट्स पर टॉयलेट तक की व्यवस्था नहीं होती थी. उन्हें पूरे-पूरे दिन बिना वॉशरूम जाए काम करना पड़ता था. साथ ही कहा कि गनीमत है, इसकी वजह से किडनी से जुड़ी कोई बीमारी ने उनको नहीं घेरा. दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित आशा पारेख ने कहा कि उनके दौर में हीरो-हीरोइन के लिए अलग-अलग वैनिटी वैन तो ख्वाब जैसा था.
बॉलीवुड अभिनेत्री आशा पारेख ने कहा कि उनके दौर में कलाकारों की सुविधाओं के बारे में ज्यादा सोचा नहीं जाता था, खासतौर से अभिनेत्रियों को बहुत ही खराब अनुभव से दो-चार होना पड़ता था. बता दें कि आशा पारेख ने महज 10 साल की उम्र से फिल्मों में एक्टिंग शुरू कर दी थी. तब उनका बेबी आशा पारेख था. मशहूर फिल्म डायरेक्टर बिमल रॉय ने आशा पारेख को एक फंक्शन में स्टेज पर डांस करते हुए देखा और 1952 में ‘मां’ के लिए कास्ट कर लिया. इसके बाद बिमल रॉय ने उन्हें 1954 में आई फिल्म ‘बप बेटी’ में फिर कास्ट किया. इसके बाद उन्होंने कुछ और फिल्में करने के बाद अपनी पढ़ाई को ध्यान में रखते हुए थोड़े समय के लिए फिल्मों से ब्रेक ले लिया.
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‘झाड़ियों के बीच जाकर बदलते थे कपड़े’
फिल्म महोत्सव में पत्रकारों से बातचीत करते हुए आशा पारेख ने बताया कि कई बार आउटडोर शूटिंग के दौरान कपड़े बदलने तक की सुविधा नहीं होती थी. ऐसे में हीरोइनों और बाकी महिला कलाकारों को झाड़ियों के बीच जाकर कपड़े बदलने पड़ते थे. हालांकि, आजकल कलाकारों की सुविधाओं का बहुत ध्यान रखा जाता है. अब हीरो-हीरोइन के लिए अलग-अलग वैनिटी वैन होती है. साथ ही बाकी महिला कलाकारों के लिए चेंजिंग रूम्स की व्यवस्था की जाती है. मीडिया से बातचीत के दौरान आशा पारेख आजकल की हीरोइनों के कपड़ों पर तंज कस गईं.
मंच से बॉडी-शेमिंग कर गईं आशा पारेख
IFFI के मंच से आशा पारेख ने कहा कि जानें क्यों आजकल की महिलाएं वेस्टर्न ड्रेसेस की दीवानी हुई जा रही हैं. उन्होंने कहा कि हमारे कल्चर में कई तरह की घारा-चोली, सलवार-कुर्ता और साड़ी हैं. आश्चर्य होता है कि फिर भी हीरोइनें शादी या दूसरे समारोहों में गाउन पहनकर पहुंच जाती हैं. हमारे दौर से अब काफी कुछ बदल गया है. जानें क्यों अब लोग बहुत ज्यादा पश्चिमी देशों की नकल क्यों करने लगे हैं? सिल्वर स्क्रीन पर हीरोइनों को वेस्टर्न कपड़े पहनते हुए देखकर आम लड़कियां भी प्रभावित हो रही हैं. वे अपना फिगर देखे बिना हीरोइनों की नकल कर रही हैं. इस चक्कर में वे ऐसी ड्रेसेस पहन रही हैं, जो उनके फिगर पर अच्छी भी नहीं लगती हैं. ये देखकर दुख होता है कि वे अपना मोटापा देखे बिना वेस्टर्न ड्रेसेस पहन रही हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 28, 2022, 14:06 IST