रेगिस्तान का जहाज बना कोरोनाकाल में शिक्षा का दूत, बच्चों को पढ़ाने हो रही ऊंट की सवारी

राजस्थान के बाड़मेर के रेगिस्तानी इलाके में दूर दूर रेत के पहाड़ और रेत के धोरों में चल रहे ऊंट पर सवार हो कर शिक्षक बच्चों को पढ़ाने जाते हैं. पक्की सड़क नहीं हैं. कोरोना के चलते स्कूलें बंद होने से छात्र स्कूल तक नहीं आ पा रहे हैं. मोबाइल नेटवर्क नहीं होने से ऑनलाइन शिक्षा भी संभव नहीं है. ऐसे में मास्टर जी ही ऊंट पर सवार होकर रेतीले धोरों में निकल पड़े बच्चों को पढ़ाने.
10 किलोमीटर का सफर
करीब 10 किलोमीटर के सफर के बाद एक ढ़ाणी ( छोटा गांव) में पहुंचते हैं. ऊंट से नीचे उतरते हैं. जहां ग्रामीणों की मदद से आसपास के ढाणियों से स्कूल के छात्रों को बुलाया गया और खुले आसमान के नीचे पाठशाला शुरू कर दी गई. शिक्षक रुप सिंह जाखड़ बताते हैं कि बच्चों को पढ़ाई में नुकसान न हो इसलिए शिक्षकों द्वारा ये कवायद की जा रही है.
(जोधपुर से लोकेश के साथ जयपुर से भवानी सिहं की रिपोर्ट)