BAAT KAHOON MAIN KHAREE...

बात कहूं मैं खरी खरी …

राहत की राह से वापसी,राह नहीं आसां

बचत-बढ़त-राहत जैसे बजट से तारने के बाद राजस्थान प्रदेश की आवाम के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत वर्तमान परिपेक्ष्य की नजाकत को देखते हुए मंहगाई राहत कैम्प लेकर आए है,प्रदेशभर में कैम्पों की शुरूआत गांवों में ढाणी से लेकर शहरों में ब्लाक स्तर तक हो चुकी है। विपक्ष इस कैम्प को निशाना 2023 बता,मखौल बना रही है। धरातल की बात तो यह है कि पिछले चार साल का इतिहास उठाकर देखा जाए तो प्रदेश में राजस्थान के अस्तित्व में आने के बाद जननायक बाजीगर का यह कार्यकाल अब तक रहे मुख्यमंत्रियों में सबसे अव्वल रहा है,इसमें कोई दोराय नहीं हैं।कोरोना काल का दंश आम आदमी पर किस तरह प्रभावित हुआ है यह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से छुपा नहीं रहा और राजस्थान की जनता के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में क्रांग्रेस सरकार की जनहितार्थ योजनाएं भी उसी रूप से आई है। इसमें जनप्रतिनिधियों के साथ ब्यूरों क्रेेसी की भूमिका भी सकारात्मक रही,तभी जाकर गहलोत सरकार राजस्थान की आवाम के लिय धरातल पर उतरी हुई है, सरकार 2023 में किसी बनेगी या किसकी नहीं बनेगी,यह तय करना जनता जर्नादन का काम है। इसके लिए विपक्ष को चिन्तिंत होने की आवश्यकता नहीं है,बल्कि उसे तो चाहिए कि वह राजनीतिक स्तर को छोड़ सामाजिक सरोकार को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के मंहगाई राहत कैम्प के दस सूत्री कार्यक्रम का लाभ हर उस नागरिक को मिाले जो उसका हकदार है, लेकिन इस सोच को नजर अंदाज करके वह इन योजनाओं का मजाक बना रही है,यह नाइंसाफी उनके विरोध प्रदर्शन के नजरिए से आम आदमी राजस्थान का देख रहा है।अब 2023 में मतदाताओं का रूख क्या होगा इसकी भविष्यवाणी तो नहीं की जा सकती है,लेकिन इस बार वह देखने को नहीं मिल रहा जो 2018 में देखने को मिला था।तब एक ही नारा राजस्थान में जुंबा पर था कि मोदी तुझसे बैर नहीं,वसुंधरा तेरी खैर नहीं, समय बदला नारा भी बदल गया अब चल रहा है कि अशोक गहलोत फिर से,यानि की राजस्थान के जनमानस के पटल पर आज भी जननायक अशोक गहलोत के साथ कांग्रेस का जादू नीतियों की बदौलत छाया हुआ है।बस एक फर्क है कि इस बार वसुंधरा के खिलाफ वो नारा नहीं है तो चेहरा भी भाजपा 2023 के चुनावों में मोदी का रखना चाहती है और इस बार मुख्यमंत्रियों की लिस्ट में आधा दर्जन से ज्यादा नाम भाजपा नेताओं के चल रहे हैं और इन नामों के चलते भाजपा में भी भीतर खाते एक-दूसरे को पटकनी देने की जंग चल रही है जो किसी से छूपी नहीं हैं,जिसके चलते भाजपा की राह में भी कांटों की सेज कम नहीं हैं।यह तो रही गहलोत की बात,अब बात करें तो विपक्ष की वह जादूगर की हर चाल हर नीतियों पर पानी फेरने पर लगा है तो कांग्रेस का आंतरिक कलह भी किसी से छूपा हुआ नहीं है,कांग्रेस ग्रासरूट पर इतनी संगठित नहीं है जितनी कि भाजपा, कांग्रेस विधायक जहां मंत्रियों की खिचाई करने से बाज नहीं आ रहे है तो सचिन पायलट भी अडंगे पर अडंगे सरकार के कार्य में डालकर भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाए हुए है,ऐसे में भले ही जनमानस जननायक बाजीगर अशोक गहलोत की सरकार की पुन: वापसी का हो लेकिन राह आसान नहीं,राह एक ही मायने में आसान है कि योजनाओं का लाभ सीधे गरीब के दर तक पहुंचे और उसे उस तक पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत रात-दिन एक किए हुए हैं। अब 2023 के परिणाम क्या होगें यह तो समय बताएंगा,लेकिन राजस्थान प्रदेश के हित में गहलोत पर यह काव्य सटिक बैठता है।मुश्किलें जरूर है,मगर ठहरा नहीं हूं मैं,मंजिल से जरा कह दो,अभी पहुंचा नहीं हूं मैं।

प्रेम शर्मा

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