बात कहूं मैं खरी खरी ….
हम तो डूबेंगे सनम, तुमकों भी ले डूबेंगे
इतिहास उठाकर देख लें, रामायण में सत्ता के लालच ने राम को वनवास कराया, न तो मंथरा कैकयी को भरत के लिए राज मांगने के लिए उकसाती और न ही रामायण अस्तित्व में आती,इसी तरह महाभारत ग्रंथ देख ले तो दुर्योधन को सत्ता का लालच ही ले डूबा और अंत में पाण्डवों को क्या मिला? सच माने तो सत्ता की रार ही कुछ ऐसी होती है कि बने बनाएं आशियाने को लाख घरोंदा बना देती है,चिन्गारी लगी सबकुछ ढेर। सचिन पायलट के कदम भी इन दिनों उस शायरी को साकार करते नजर आ रहे है, जिसमें कहा गया है कि हम तो डूबेंगे सनम,तुमकों भी ले डूबेंगे।
अब सचिन पायलट स्पष्टवादिता का चौला पहनकर अपने समर्थकों के साथ अजमेर से जयपुर तक पदयात्रा पर निकले है, मुद्दा है वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार और पेपरलीक, अब अपनी ही सरकार को ऐसे समय घेरना, जब राजस्थान में जननायक मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार कांग्रेस सरकार की वापसी का दावा करते हुए पूरे प्रदेश में मंहगाई राहत कैम्प लगाकर प्रदेश की जनता को योजनाओं से राहत प्रदान करते हुए गांरटी कार्ड दे रही है। कांग्रेस सरकार की ओपीएस लागू करने एवं मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थय बीमा योजना जैसी जन कल्याणकारी स्कीम सहित प्रदेश की कई जनकल्याणकारी योजनाओं के लिए केन्द्र पूरे प्रदेशों में लागू करें, इसके लिए दबाव मुख्यमंत्री की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी बराबर दबाव बनाया जा रहा है। प्रदेश में वर्षों में पहली बार पब्लिक में सत्तारूढ दल के प्रति एंटी इन्कमबेसी नजर नहीं आ रही है।
अति महत्वाकांक्षी पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट की नजर से आलाकमान और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की स्थिति का आंकलन किया जाए तो वह किसी डस्टबीन से कम नजर नहीं आ रही, राजस्थान में वे अपने आपको ही कांग्रेस के लिए सबकुछ समझ रहे है,समझे भी क्यों नहीं? आखिर सचिन पायलट की काबलियत भी किसी से छुपी नही है,लेकिन न जाने क्यों वे सही समय का यानि कि आने वाले कल का इंतजार नहीं कर पा रहे हैं। कहने का मतलब उनका हर कदम उस राजस्थानी कहावत को चरितार्थ करता नजर आ रहा है जिसमें कहा गया है घर का जोगी जोगना आन गांव का सिद्ध। आत्मघाती कदमों के लिए इनका सिद्ध पुरुष कौन है इसका जवाब भी वह ही दे तो साथ गंभित होगा।
जननायक मुख्यमंत्री से इस मसले पर एवं अन्य मुद्दो पर एक ही बात कहते है कि मेरा हर कदम जनता को राहत पहुंचाने की ओर है इस समय महंगाई से आहत हर व्यक्ति को राहत की दरकार है। सरकारें आती – जाती रहती है, पर इस समय आम आदमी को मिली राहत ही हम सभी के लिए सुकून की बात है, चार साल से जनता हमारे कार्यों को देख रही है और कांग्रेस सरकार की वापसी की ठान चुकी है।
अब जन सघर्ष यात्रा के दूसरे दिन भी सचिन पायलट बिना कांग्रेस के सिम्बल एवं बैनर तले पैदल यात्रा के दूसरे दिन भी अपनी बात पर अटल दिख रहे हैं,ऐसे में नहीं लगता कि वे कांग्रेस के सिपाही रहते हुए कांग्रेस की योजनाओं पर झाडू फेर रहे हो,ऐसे में जनता क्या कहेगी यह तो मैं नहीं जानता लेकिन एक समय राजीव गांधी से अलग हटकर वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री तो बन गए थे लेकिन उन्हें देश की जनता ने जयचंद की उपाधि से नवाजने में भी कोई कोरकसर बाकी नहीं रखी थी, अब अशोक गहलोत की मंशा पर कितना पानी सचिन फेर पाएंगे यह तो समय की नजाकत बताएंगी लेकिन जिस तरह से गहलोत अपने काम को अंजाम दे रहे है उससे लगता है कि जैसे वह बिना कुछ कहें सबकुछ कह रहे हो इस अंदाज में।
परिंदों से ऊंची हमारी उड़ान होगी,
एक बार नहीं कई बार होगी,
चल रहा होगा जमाने में,
जब हारने का दौर,
देखना जीत हमारी उसी दौरान होगी।
-प्रेम शर्मा