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Health Tips: क्‍या ‘चिकन’ खाने वालों पर जल्‍द असर नहीं करती एंटीबायोटिक दवाएं?

हाइलाइट्स

दुनिया के 10 सबसे बड़े स्‍वास्‍थ्‍य खतरों में एक बन गया है ‘एएमआर’
डब्‍ल्‍यूएचओ ने माना मानवता के लिख बड़ा खतरा बनता जा रहा है ‘एएमआर’
चिकन खाने वालों में तेजी से बढ़ रही है ‘एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस’ की समस्‍या

Chicken & Antibiotics: बातचीत के दौरान हम अक्‍सर सुनते हैं कि चिकन में प्रोटीन, विटामिन और मिनरल भरपूर मात्रा में पाया जाता हैं. चिकन खाने वाले को कभी इनकी कमी नहीं होती है. लेकिन क्‍या आपको यह भी पता है कि चिकन खाने से आपके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम हो सकती है और चिकन खाने वाले लोगों में एंटीबायोटिक दवाएं का असर बहुत धीमा हो जाता है. 

दिल्‍ली के इंद्रप्रस्‍थ अपोलो हॉस्पिटल के वरिष्‍ठ संक्रामक रोग विशेषज्ञ (Infectious Disease Specialist) डॉ. जतिन आहूजा के अनुसार, यह बात सही है कि चिकन खाने वालों की न केवल प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, बल्कि इलाज के दौरान एंटीबायोटिक दवाएं असरहीन साबित होने लगती हैं. हां, इसका प्रभाव हर शख्‍स में अलग-अलग हो सकता है, कुछ में इसका प्रभाव कुछ ज्‍यादा तो कुछ में थोड़ा कम हो सकता है.  

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चिकन खाने से क्‍यों कम हो जाती है प्रतिरोधक क्षमता
डॉ. जतिन आहूजा बताते हैं कि पोल्ट्री फार्म संचालक चिकन की सेहत को बेहतर बनाए रखने के लिए खाने के साथ अत्‍यधिक मात्रा एंटीबायोटिक दवाएं भी देते हैं. चूंकि, ज्‍यादातर पोल्‍ट्री फार्म मालिकों को इस बात की जानकारी नहीं होती है कि एंटीबायोटिक दवाएं चिकन को किस मात्रा में देनी हैं, लिहाजा यह काम उनके अंदाज से चलता रहता है और इसका नकारात्‍मक असर चिकन पर पड़ता है.

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इंसानों के शरीर को इस तरह प्रभावित करता है चिकन
डॉ. जतिन आहूजा बताते हैं कि इस तरह, समय के साथ चिकन के शरीर में प्रचुर मात्रा में एंटीबायोटिक इकट्ठा हो जाती है और इन हष्‍ट-पुष्‍ट दिखने वाले चिकन को बाजार में बिकने के लिए भेज दिया जाता है. बाजार में लोग चिकन की हष्‍ट-पुष्‍ट सेहत और वजन को देखकर खरीदते हैं. जैसे ही यह चिकन आहार बनकर इंसानों के शरीर में जाता है, चिकन के शरीर में मौजूद एंटीबायोटिक इंसानों के शरीर में ट्रांसफर हो जाते हैं. 

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शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम करते जाते हैं एंटीबायोटिक
डॉ. जतिन आहूजा बताते हैं कि समय के साथ यही चिकन के शरीर से ट्रांसफर हुए एंटीबायोटिक इंसानों के शरीर में अपनी जगह बना लेते हैं. इंसानों का शरीर इन एंटीबायोटिक का आदी हो जाता है. जिसके बाद, कोई शख्‍स किसी भी वह से बीमार होता है तो इलाज के लिए दी गई एंटीबायोटिक दवाएं मरीज के शरीर पर आसानी से असर नहीं करती हैं. डॉक्‍टर एंटीबायोटिक की हाई डोज देने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जिसका उनके शरीर में अगल नकारात्‍मक असर पड़ता है.

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दुनिया में चुनौती के तौर पर देखी जा रही है यह स्थिति
चिकन से इंसानों में एंटीबायोटिक ट्रांसफर होने की स्थिति को मेडिकल की भाषा में एएमआर यानी एंटीमाइक्रोबियल रेजिस्टेंस (Antimicrobial resistance) कहा जाता है. डब्‍ल्‍यूएचओ के अनुसार, मनुष्‍यों में संक्रमण रोकने या उसके इलाज करने के लिए एंटीमाइक्रोबियल का इस्‍तेमाल एंटीबायोटिक्स, एंटीवायरल, एंटीफंगल और एंटीपैरासिटिक्स के तौर पर किया जाता है. लाइव स्‍टॉक में एंटीबायोटिक के इस्‍तेमाल से उपजी इस स्थिति की वजह से एएमआर दुनिया के 10 सबसे बड़े स्‍वास्‍थ्‍य खतरों में एक बन गया है.

Tags: Antibiotic resistance, Antibiotics, Chicken, Health tips, Sehat ki baat

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