बिग्रेडियर उस्मान का नाती था मुख्तार अंसारी, पाकिस्तान ने रख दिया था 50 हजार का ईनाम | Mukhtar Ansari was the grandson of Brigadier Usman, Pakistan had kept a reward of Rs 50 thousand

भारतीय सेना के साथ मुख्तार का नाम आपराधिक गतिविधि में आया लेकिन मुख्तार के परिवार का भारतीय सेना के साथ एक जुड़ाव ऐसा भी है जिस पर संपूर्ण राष्ट्र गर्व करता है। बात कर रहे हैं मुख्तार के नाना, नौशेरा के शेर ब्रिगेडियर उस्मान की। आज जम्मू कश्मीर का राजौरी जिला बिग्रेडियर उस्मान के अदम्य साहस की देन है। ब्रिगेडियर उस्मान के नेतृत्व में छोटी टुकड़ी ने पाकिस्तान के 1000 कबाइलियों को मारकर नौशेरा को दोबारा अपने कब्जे में लिया था।
पाकिस्तानियों का कर दिया था सफाया
आजादी के बाद पाकिस्तान ने कश्मीर पर हमला कर दिया। भारतीय सेना ने ब्रिगेडियर उस्मान को पुंछ और झांगर को पाकिस्तानियों से मुक्त कराने का जिम्मा दिया। इसके बाद ब्रिगेडियर उस्मान ने शपथ ली कि जब तक इलाका पाकिस्तानियों से मुक्त नहीं होता वह जमीन पर सोएंगे। लड़ाई अब इतिहास है। उस समय उन्होंने कहा था “पूरी दुनिया की नज़र हम पर है…देर-सबेर मौत आनी तय है. लेकिन युद्ध के मैदान में मरने से बेहतर और क्या हो सकता है.”
पाकिस्तान ने दिया था सेना प्रमुख बनने का प्रस्ताव
भारत पाकिस्तान बंटवारे के दौरान ब्रिगेडियर उस्मान को मोहम्मद अली जिन्ना ने पाकिस्तान का सेना प्रमुख बनने का प्रस्ताव दिया था लेकिन उन्होंने नकार दिया। राजौरी में पाकिस्तानियों के साथ हुई मुठभेड़ में उन्होंने ऐसा बुरा हाल किया कि पाकिस्तानियों ने उन पर 50 हजार का ईनाम रख दिया। 3 जुलाई 1948 की शाम को ब्रिगेडियर उस्मान ब्रिगेड मुख्यालय में टहल रहे थे। इसी दौरान एक गोला ब्रिगेडियर उस्मान के करीब गिरा और भारत का सबसे वरिष्ठ सैन्य कमांडर युद्ध के मैदान में शहीद हो गया। उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया।
जामिया मिलिया इस्लामिया के संस्थापक थे अंसारी
मुख्तार के दादा डॉ. एमए अंसारी के कद का अंदाजा इससे पता लगता है कि पुरानी दिल्ली के दरियागंज में उनके नाम पर अंसारी रोड है और जहां एम्स है उसका नाम भी अंसारी नगर है। वह जामिया मिलिया इस्लामिकया के ना केवल संस्थापक सदस्य थे बल्कि इस संस्थान के चांसलर भी बने। 1924 में हिंदू मुस्लिम एकता को बनाने में उन्होंने बहुत मदद की।