बिहार में शुरू हुई ‘जीरो कैलोरी धान’ की खेती! शुगर, बीपी और कोलेस्ट्रॉल पेशेंट भी दबा कर खा सकते

कुंदन कुमार/गया : बिहार के गया जिले में काला आलू के बाद अब रेड राइस, बासमती और जीरो कैलोरी धान की खेती की गई है. जिले के आमस प्रखंड क्षेत्र के हरिहरपुर गांव में लगभग 2 एकड़ में जीरो कैलोरी रेड राइस की खेती की गई है. गुरुआ प्रखंड के श्री राम बीघा गांव के रहने वाले किसान डॉक्टर अनिल कुमार जो पेशे से एक आयुष चिकित्सक भी हैं, इन्होंने इसकी खेती शुरू की है. इन्होंने अपने खेती में किसी भी तरह के उर्वरक चाहे वह जैविक हो या रासायनिक इसका इस्तेमाल नहीं किया है. वे एक बीघा में तालाब खुदवा कर मछली पालन कर रहे हैं. इसी तालाब के पानी से औषधीय गुण वाला धान की खेती की गई है.
जानिए क्या है इस धान के फायदे
मछली पालन में मछलियों के लिए दवाई और चारा का इस्तेमाल करते हैं, जिस कारण तालाब में अमोनिया की मात्रा बढ़ जाती है. अमोनिया युक्त पानी धान के फसल या अन्य फसल के लिए काफी कारगर माना जाता है. यह खाद के रुप मे काम करता है. मछलीपालन वाले तालाब के पानी से इन्होंने खेती की है और धान का उत्पादन भी अन्य धान की तुलना में बेहतर हुआ है. इस धान का फायदा यह है कि शुगर पेशेंट, बीपी पेशेंट या जिनका कोलेस्ट्रॉल बढ़ गया है वह भी इस धान का चावल खा सकते हैं.
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हैदराबाद से 10 किलो बीज मंगवाया
डॉ. अनिल बताते हैं कि लखीसराय जिले के इनके दोस्त के चाचा जो सबौर विश्वविद्यालय के कुलपति थे. उन्होंने जैविक खेती करने की सलाह दी. उन्होंने एक तालाब दिखाया जिसमें मछली पालन के साथ धान की खेती भी कर रहे थे. वहीं से मन में विचार आया कि हम भी इस तरह की खेती करें. हमारे पास तालाब भी था और मछली पालन भी कर रहे थे. इस बार हैदराबाद से 10 किलो बीज मंगवाया और इसे 2 एकड़ खेत में लगा दिया. इस फसल में हमने किसी भी उर्वरक का प्रयोग नहीं किया है और सिर्फ तालाब के पानी जिसमें मछली पालन हो रहा है. उसका इस्तेमाल किया गया है. धान का उपज भी बेहतर हुआ है.
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10 हजार का मंगवाया बीज
इन्होंने बताया कि मात्र 10 किलो बीज में 2 एकड़ धान की खेती किए हैं. उसमें भी लगभग आधा बिचड़ा बच गया था. 1 हजार रुपये प्रति किलो बीज की लागत आई थी. इस धान में न के बराबर पैसे खर्च किए है. बगैर खाद के इसका उत्पादन बढिया हुआ है. रेड राइस की हार्वेस्टिंग हो गई है बाकि जीरो कैलोरी और बासमती धान खेत में लगा हुआ है.
इन्होंने बताया कि इसके चावल खाने से हमें एनर्जी तो मिलती है, लेकिन इसमें फैट और सुगर की मात्रा बिल्कुल भी नही है. यह चावल वैसे लोगों के लिए वरदान साबित होगा जो सुगर पेशेंट, कोलेस्ट्रोल पेशेंट या हर्ट पेशेंट हैं. इन्होंने बताया कि आने वाले दिनो में इस धान की खेती को और बडे पैमाने पर करने की योजना है ताकि मरीजों को भी इसका लाभ मिल सके.
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FIRST PUBLISHED : November 4, 2023, 20:51 IST