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ब्रिटेन और भारत के रिश्ते मजबूत होंगे, जानिए कैसे | Relations between Britain and India will strengthen, know how

ब्रिटेन के भारतवंशी इस बात से खुश हैं कि ब्रिटिश और भारतीय नागरिकों के बीच संबंधों का एक पुल बन गया है। वे सोचते हैं कि सुनक का प्रधानमंत्री के साथ-साथ अर्थशास्त्री होना भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार संबद्ध प्रगाढ़ बनाने के लिए एक पुल बनाने का काम कर रहा है। इससे भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार संबंधों की आशाएं जाग उठी हैं।

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मोदी का सिद्धांत महत्वपूर्ण राठौड़ ने कहा कि कि इसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का ‘लिव लोकल-थिंक ग्लोबल’ सिद्धांत भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा‌ रहा है। ध्यान रहे कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ अरसा पहले सोशल मीडिया पर यह जानकारी साझा की थी। दोनों ने ब्रिटेन और भारत के बीच एफ टी ए (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) पर अपना रुख भी रखा था । दरअसल एफटीए दो या अधिक देशों के बीच व्यापार की एक संधि है। यह ट्रेड बैरियर्स (व्यापार में बाधाएं) कम कर द्विपक्षीय या बहुपक्षीय अर्थव्यवस्था के संबंध में स्थिरता लाने की नीतियों के नियमों का संग्रह है ।

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NRI special ब्रिटेन में हिन्दी साहित्य व संस्कृति के पर्याय हैं तेजेंद्र शर्मा सुनक मोदी महत्व दे रहे ब्रुनेल विश्वविदयालय लंदन के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष व उक्सब्रिज निर्वाचन क्षेत्र में कंजर्वेटिव पार्टी के उम्मीदवार रणजीतसिंह राठौड़ का मानना है कि ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक का भारत के प्रधानमंत्री मोदी से इस विषय पर चर्चा करना इस बात का संकेत है कि वे दक्षिण एशियाई देशों में ब्रिटिश अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करने को महत्व दे रहे हैं। वैसे ब्रिटेन में सुनक श्रम-पूंजी व्यवस्था में अधिक सुधार लाने पर विचार कर सकते हैं।

टैक्स नियमों और बैंक प्रणाली पर भी गौर उन्होंने कहा कि फिलहाल ब्रिटेन की आंतरिक अर्थव्यवस्था में नई सरकार टैक्स नियमों और बैंक प्रणाली पर भी गौर कर नए आयाम स्थापित करने की पूरी संभावना रखती है, जिसमें ऋषि सुनक का वित्तीय और बैंकिंग अनुभव भी बहुत कारगर साबित होगा। साथ ही यूके भारत और दक्षिण एशियाई देशों से बड़े वाणिज्य आदान-प्रदान से भी नयी अर्थ-नीतियां तय कर सकता है ।

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