भारत में यहां है एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी, यहां 7 धर्मों के ग्रंथ समेत 9 लाख से ज्यादा किताबें हैं मौजूद

प्रतापाराम/ जैसलमेर. अल्बर्ट आइंस्टीन ने कहा था ‘केवल एक चीज आपको पता होनी चाहिए और वो है लाइब्रेरी का एड्रेस. पोकरण थार का नाम आता है, तो स्वत: ही दिमाग में रेगिस्तान व रेत के टीलों का दृश्य बनने लगता है, लेकिन किसी ने सोचा होगा कि इन रेतीले धोरों के बीच एक ऐसी भी जगह है, जहां ज्ञान का अथाह भंडार भरा पड़ा है. मरुप्रदेश के तपते रेतीले धोरों के बीच भारत-पाक सीमा पर स्थित सरहदी जिला जैसलमेर वैसे तो विश्व मानचित्र पर अपनी अलग पहचान रखता है. इसी जिले में जैसलमेर-पोकरण के बीच प्रसिद्ध दर्शनीय स्थल भादरियाराय माता मंदिर स्थित है. यहां जगदम्बा सेवा समिति ने एक विशाल पुस्तकालय की नींव रखी है.यह एशिया की सबसे बड़ी लाइब्रेरी है.
चार हजार लोग एक साथ बैठ सकते हैं
यहां पुस्तकों की देखरेख संरक्षण के लिए करीब 562 अलमारियां बनाई गई हैं, जिसमें लाखों पुस्तकें रखी गई हैं. यहां 16 हजार फीट की रैक बनाई गई है, उसमें भी पुस्तकों को रखा जाएगा. उन्हें रखने के लिए यहां पर अठारह कमरों का भी निर्माण करवाया गया है. यहां बनी चार गैलेरियों में से दो करीब 275 फीट दो करीब 370 फीट लम्बी हैं. पुस्तकालय में अध्ययन के लिए अलग से एक 60 गुणा 365 फीट के विशाल हॉल का निर्माण करवाया गया है. यहां चार हजार लोग एक साथ बैठ सकते हैं।
7 धर्मों का सम्पूर्ण संग्रह है यहां
इस पुस्तकालय में विश्व के कुल 11 धर्मों में से सात धर्मों का संपूर्ण साहित्य उपलब्ध है. कानून की आज तक प्रकाशित सभी पुस्तकें, आयुर्वेद, वेदों की संपूर्ण शृंखलाएं, भारत का संविधान, विश्व का संविधान, जर्मन लेखक एफ मैक्स मुलर की रचनाएं, पुराण, एनसाइक्लोपिडिया की पुस्तकें, आयुर्वेद, इतिहास, स्मृतियां, उपनिषद, देश के सभी प्रधानमंत्रियों के भाषण विभिन्न शोध की पुस्तकों सहित हजारों तरह की पुस्तकें यहां उपलब्ध हैं. इसके साथ ही इस पुस्तकालय में हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी भाषाओं के साथ साथ उर्दू, पारसी, परशियन, अरबी तथा तमिल पांडूलिपि में भी कई पुस्तकों का संग्रहण है.
यहां की किताबों के बारें में ऐसा कहा जाता है कि उसे या तो भदरिया महाराज द्वारा लाया गया था या फिर उन्हें तोहफा में मिला था. भदरिया लाइब्रेरी (Bhadariya Library) की देखभाल का जिम्मा जगदंबा सेवा समिति द्वारा किया जाता है, जिसे भदरिया महाराज ने ही बनाया था.
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FIRST PUBLISHED : July 24, 2023, 22:00 IST