Health

भूल जाना! सामान्‍य है या गंभीर बीमारी, एम्‍स की डॉक्‍टर बोलीं, इन 10 पॉइंट से करें जांच

हाइलाइट्स

भूलना एक सामान्‍य बात है लेकिन कई बार यह गंभीर मानसिक रोगों का कारण बन जाता है.
आज भारत में 60 लाख से ज्‍यादा लोग विस्‍मरण या मतिभ्रम की बीमारी के मरीज हैं.
एआरडीएसआई के अनुसार 10 पॉइंट के माध्‍यम से कोई भी अपनी भूलने की स्थिति का पता लगा सकता है.

नई दिल्‍ली. रोजमर्रा की जिंदगी में बहुत सी चीजों को भूल जाना एक आम बात है. ऐसा शायद ही कोई व्‍यक्ति होगा जिसे हमेशा अपनी सभी चीजें याद रहती हैं और जो कोई भी जरूरी काम करना नहीं भूलता. न केवल बुजुर्ग बल्कि छोटे बच्‍चे और युवा भी अक्‍सर अपनी चीजें, काम और जरूरी बातें भूल जाते हैं. भुलक्‍कड़पन (Forgetfulness) वैसे तो सामान्‍य बात है लेकिन कभी-कभी यही गंभीर बीमारी भी बन जाती है. डिमेंशिया (Dementia) संबंधी मेंटल डिसऑर्डर्स, अल्‍जाइमर आदि ऐसी ही बीमारियां हैं जो हल्‍के भुलक्‍कड़पन से शुरू होकर गंभीर मतिभ्रम और मानसिक संतुलन के गड़बड़ होने तक पहुंच जाती हैं. ऐसे में अगर आप भी कुछ चीजें भूलते हैं या अक्‍सर ही भूल जाते हैं तो ये जानना जरूरी है कि ये कहीं किसी बीमारी की आहट तो नहीं.

आपका भुलक्‍कड़पन सामान्‍य है या आपको किसी गंभीर रोग की ओर ले जा रहा है. इसकी जांच आप घर बैठे ही कर सकते हैं. अल्‍जाइमर्स व रिलेटेड डिसऑर्डर्स सोसायटी ऑफ इंडिया दिल्‍ली शाखा की ओर से 10 पॉइंट का एक टेस्‍ट तैयार किया गया है, जिसके माध्‍यम से आप अपने भूलने की स्थिति का पता लगा सकते हैं.

भूलना सामान्‍य है या गंभीर? जांचें.

भूलना सामान्‍य है या गंभीर? जांचें.

इस बारे में दिल्‍ली ऑल इंडिया इंस्‍टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के न्‍यूरोसाइंस सेंटर में डिपार्टमेंट ऑफ न्‍यूरोलॉजी की प्रोफेसर और एआरडीएसआई की प्रेसिडेंट डॉ. मंजरी त्रिपाठी कहती हैं क‍ि अल्‍जाइमर हो या डिमेंशिया ये सब हमारे दैनिक भुलक्‍कड़पन से शुरू होकर गंभीर हो जाने के दौरान पनपते हैं. अगर घर में किसी को भूलने की समस्‍या है तो व्‍यक्ति इन 10 पॉइंट के माध्‍यम से खुद ये जांच कर सकते हैं कि क्‍या वे बीमारी की चपेट में तो नहीं आने वाले. इसके बाद न केवल वे जागरुक हो सकते हैं और परिजन का खास ख्‍याल रख सकते हैं बल्कि जरूरत पड़ने पर डॉक्‍टर के पास भी जा सकते हैं. अल्‍जाइमर्स हो या डिमेंशिया इन्‍हें लेकर जन जागरुकता बेहद जरूरी है ताकि इन रोगों से बचाव किया जा सके.

Tags: Mental diseases, Mental health, Mental Health Week

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