मर्दानगी में सुधार के लिए आपको कब लेनी चाहिए दवा? गंगाराम के यूरोलॉजिस्ट डॉ. पाहवा ने दी ये सलाह

फिजिकल रिलेशन के बिना क्या शादी-शुदा जिंदगी की कल्पना की जा सकती है? इसको लेकर तमाम तर्क दिए जा सकते हैं, लेकिन साइंस के हिसाब से इसका टका सा जवाब है- नहीं, मतलब शादी-शुदा जिंदगी की नींव है फिजिकल रिलेशन. तो फिर समाज इस अहम मसले पर बात क्यों नहीं करता है. युवा पीढ़ी क्यों इसको लेकर संकोच महसूस करती है. इसी तरह के संकोचों को तोड़ने की कड़ी में हम आज टेस्टोस्टेरॉन (testosterone) को बढ़ाने वाली दवाइयों के सेवन के बारे में बात कर रहे हैं. टेस्टोस्टेरॉन (testosterone) पुरुषों में पाया जाने वाला मर्दाना हार्मोन है. इसी हार्मोन की वजह से पुरुषों में दाढ़ी-मूछ जैसी चीजें होती हैं जो उन्हें महिलाओं से अलग करती हैं. इस हार्मोन की वजह से पुरुष महिलाओं की ओर आकर्षित होते हैं और उनमें मर्दाना ताकत पैदा होती है. यह हार्मोन हमारे टेस्टिक्लस (testicles) यानी अंडकोष में पैदा होते हैं. बाजार में इस ताकत को बढ़ाने के लिए तमाम दवाइयां और सप्लिमेंट्स मौजूद हैं. युवा पीढ़ी इन दवाइयों और सप्लिमेंट्स का व्यापक स्तर पर सेवन करती हैं. लेकिन, वे इसके लिए डॉक्टर की सलाह नहीं लेती. कई युवाओं के लिए इसका सेवन जरूरी हो सकता है, लेकिन तमाम लोगों के लिए इसका इस्तेमाल गैर जरूरी है. इस कारण बिना डॉक्टर की सलाह से इसका सेवन कई बार घातक साबित हो जाता है.
इसी मसले को समझने के लिए हमने सर गंगाराम अस्पताल के यूरोलॉजिस्ट-मेडिसीन डॉक्टर मृणाल पाहवा से डिटेल में बात की. आइए डॉक्टर पावह से ही समझते हैं कि टेस्टोस्टेरॉन (testosterone) का इस्तेमाल कितना सही और कितना खतरनाक है. टेस्टोस्टेरॉन (testosterone) दो रूपों में बाजार में उपलब्ध है. एक मेडिसीन और दूसरा सप्लिमेंट. कई तरह के प्रोटीन सप्लिमेंट में टेस्टोस्टेरॉन (testosterone) मिलाया जाता है. इसका सेवन जिम जाने वाले युवा ज्यादा करते हैं. यह एक तरह का एनाबोलिक स्टेरॉयड (anabolic steroid) होता है. यह परफॉर्मेंस एनहेंसमेंट (प्रदर्शन को बेहतर करने वाला) का काम करता है. परफॉर्मेंस एनहेंसमेंट स्पोर्ट्स, गेम्स या जिम… हर क्षेत्र में बेहतर होती है. क्योंकि इससे हमारी मसस्ल की स्ट्रेंथ बढ़ती है. ऐसे में जिनकों मसस्ल बनानी है, जिनको जिमिंग करनी है या जिनको स्पोर्ट्स में परफॉर्मेंस बढ़ानी है, वे इस सप्लिमेंट का इस्तेमाल करते हैं. दिक्कत यह है कि हर चीज का नफा-नुकसान होता है. यह दोधारी तलवार है. अगर सही कंडीशन में लिया जाए तो ठीक है, लेकिन अगर ऐसे एंडिकेशन नहीं है और इसे कोई युवा ले रहा है तो इसके साइड इफेक्ट काफी गंभीर हैं. आगे कई समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इसके सबसे खतरनाक साइडइफेक्ट- प्रोस्टेट और मेल ब्रेस्ट कैंसर के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. इससे ब्लड की थिकनेस बढ़ जाती है. इस कारण खून में क्लॉट बनने की आशंका रहती है. जहां तक हार्ट अटैक के खतरे की बात है तो इसको लेकर डायरेक्टली कुछ नहीं कहा जा सकता है, लेकिन यह सच है कि इससे इनडायरेक्टली हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है.
फिजिकल रिलेशन और टेस्टोस्टेरॉन
जहां तक फिजिकल रिलेशन के संदर्भ में ‘मेल पावर’ (Male Pawer) की बात है तो यह पूरी तरह से डॉक्टर पर निर्भर करता है. कुछ एज ग्रुप के पुरुषों में टेस्टोस्टेरॉन की कमी होती है. यह एक बीमारी है. इसे हाइपोगोनैडिज्म (hypogonadism) कहते हैं. इस स्थिति में हमारे सेक्स ग्लैंड बहुत कम या बिल्कुल नहीं के बराबर हार्मोन पैदा करते हैं. पुरुषों में यह सेक्स ऑर्गेन टेस्टिस (testes) और महिलाओं में यह ऑर्गेन ओवरीज (ovaries) होते हैं. अगर किसी पुरुष में हाइपोगोनैडिज्म कम है. यानी टेस्ट रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हुई है, आपकी बॉडी पर्याप्त टेस्टोस्टेरॉन पैदा नहीं कर रही है और इसके साथ आपको इरेक्टाइ डाइसफंक्शन (erectile dysfunction) की प्रोब्लेम है तो फिर इस केस में टेस्टोस्टेरॉन दिया जा सकता है, क्योंकि इनमें टेस्टोस्टेरॉन से इरेक्शन इंफ्रूव होती है. यहां हम मेडिसीन की बात कर रहे हैं न कि टेस्टोस्टेरॉन सप्लिमेंट की.
एक हेल्दी व्यक्ति में नहीं होती टेस्टोस्टेरॉन की कमी
डॉक्टर पाहवा आगे बताते हैं कि एक नॉर्मल हेल्दी व्यक्ति में टेस्टोस्टेरॉन की कमी नहीं होती. कुछ केस में इसकी जरूरत पड़ती है. जैसे- ओल्ड एज या 50 साल के बाद की उम्र में. इस वक्त बॉडी में इसकी कमी होने लगती है. या फिर, किसी व्यक्ति को चोट लगी हो, कोई बीमारी हो, गोनैड (gonad) यानी सेक्स ग्लैंड से रिलेटेड, कोई सर्जरी हुई हो, इंफेक्शन हुआ हो, रेडिएशन हुआ हो या और भी कई कारण हैं जो टेस्टिस को प्रभावित करते हैं, तो उन केस में भी टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा कम हो जाती है. ऐसे केस में अगर पेसेंट में टेस्टोस्टेरॉन डेफिसिएंसी के सिम्प्टम दिखते हैं और साथ में उनका टेस्ट (टेस्टोस्टेरॉन- फ्री और टोटल) करवाया जाए और देखा जाए कि टेस्टोस्टेरॉन लेवल कम और सिम्प्टम भी है तो ही इन कुछ केस में टेस्टोस्टेरॉन दिया जा सकता है.
मेल फर्टिलिटी और टेस्टोस्टेरॉन
निश्चिततौर पर मेल फर्टिलिटी और टेस्टोस्टेरॉन के बीच गहरा रिलेशन है. देखिए, हमारी जो टेस्टोस्टेरॉन हार्मोन है वो सेक्स हार्मोन है. हमारी रिप्रोडक्टिव हेल्थ है उसके हर स्टेप में टेस्टोस्टेरॉन की भूमिका होती है. स्पर्म प्रोडक्शन और स्पर्म हेल्थ में भी टेस्टोस्टेरॉन का इनडारेक्टली रोल है. टेस्टोस्टेरॉन इस चीज के लिए जरूरी होता है. प्रोब्लेम यह है कि कई बार इसका गलत इस्तेमाल होता है. दरअसल, हाइपोगोनैडिज्म (hypogonadism) दो तरह का होता है. एक प्राइमरी और दूसरा सेकेंडरी. अगर हम सेकेंड्री हाइपोगोनेडिज्म में हैं यानी जिसमें हमारी टेस्टिस ठीक होती है, लेकिन ब्रेन से जो सिग्नल यानी हार्मोन रिलीज होते हैं, वो नहीं होते हैं. ब्रेन से मिलने वाले सिग्नल से ही टेस्टोस्टेरॉन रिलीज होते हैं. ऐसी स्थिति में अगर हम मरीज को सिर्फ टेस्टोस्टेरॉन दे दें तो उससे ब्रेन से निकलने वाले सिग्नल और कमजोर हो जाते हैं और इससे फर्टिलीज और कमजोर हो जाती है. दूसरी तरह अगर आपने प्राइमरी हाइपोगोनेडिज्म में अगर आपने टेस्टोस्टेरॉन लिया है तो कोई प्रोब्लेम नहीं है. इसके अंदर पहले से ही स्पर्म प्रोडक्शन कम रहता है जबकि बाकी हार्मोन आ रहे होते हैं.
ब्रेन से निकलने वाला हार्मोन और टेस्टोस्टेरॉन
लेकिन, सेकेंड्री हाइपोगोनेडिज्म में केवल टेस्टोस्टेरॉन से काम नहीं चलेगा. इसमें ब्रेन वाले हार्मोन और टेस्टोस्टेरॉन दोनों की कमी होती है. इसमें ब्रेन वाला हार्मोन देना बेहद जरूरी होता है. ब्रेन से निकलने वाले इन हार्मोंस को FSH (follicle-stimulating hormone) या LH (Luteinizing Hormone) कहते हैं. इसमें अकेले टेस्टोस्टेरॉन देने से आपकी फर्टिलिटी और कम हो जाती है.
सही इलाज क्या है
जहां तक इस पूरी बीमारी का इलाज का खर्च है तो यह बहुत साधारण है. इसका इलाज महंगा नहीं है. जरूरी बात यह है कि हर केस में यह देना जरूरी नहीं होता. यंग एज के हेल्दी लोग में इरेक्शन की जो प्रोब्लेम है उसके पीछे कई सारे फैक्टर होते हैं. उनमें टेस्टोस्टेरॉन एक बहुत ही छोटा कारण होता है. समस्या यह है कि जब इरेक्शन कम होती है तो लोग सीधा टेस्टोस्टेरॉन इंजेक्शन ले लेते हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि टेस्टोस्टेरॉन इंजेक्शन फायद कम और नुकसान ज्यादा कर सकता है. यहां देखना होगा कि आपकी बॉडी में टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा ठीक है और फिर भी इरेक्शन की समस्या है तो इसका मतलब यह नहीं है कि हम टेस्टोस्टेरॉन का इंजेक्शन ले लें. यह और नुकसान करेगा हमारी बॉडी को.
ब्रेकिंग न्यूज़ हिंदी में सबसे पहले पढ़ें News18 हिंदी| आज की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट, पढ़ें सबसे विश्वसनीय हिंदी न्यूज़ वेबसाइट News18 हिंदी|
Tags: Health News, Women Health
FIRST PUBLISHED : January 09, 2023, 15:35 IST