मां ने श्मशान को बना लिया घर, 15 साल पहले हुआ था दर्दनाक हादसा, आंखें नम कर देगी पूरी कहानी

संदीप हुड्डा
सीकर. राजस्थान (Rajasthan News) के सीकर (Sikar News) की एक मां की कहानी पढ़कर आप इमोशनल हो जाएंगे. पथराई सी आंखे और चेहरे पर झुर्रियां लिए आज भी अपने बेटे को तलाश रही है. बुढ़ी आखों में आंसू लिए रोज एक ही सवाल करती है, कहां है मेरा बेटा, मेरा लाल. हालत यह है कि बेटे की मौत के बाद मां कभी अपनों के पास वापस नहीं आई. उसने शमशान को ही अपना घर बना लिया. इकलौते बेटे की मौत के बाद मां उसे खुद से अलग नहीं कर पाई. लोग बताते हैं करीब 15 साल पहले राजू कंवर के बेटे का निधन हो गया. तब से वह मोक्षधाम से बाहर नहीं आई. वह वहीं रहने लगी. लोगों का कहना है कि जब कोई अंतिम संस्कार के लिए आता है, महिला शमशान में ही नजर आती है. वह लोगों की मदद के लिए लकड़ियां उठाकर देती है. प्यासों को पानी पिलाती है, लेकिन शमशान से बाहर कहीं जाती नहीं.
नम आंखों से जब मां अपनी दुख भरी कहानी सुनाती है, लोगों का दिल पसीज जाता है. राजू कंवर बताती हैं 2008 में उसका 22 साल का बेटा इंद्र एक भयानक सड़क हादसे का शिकार हो गया था. उसके इलाज के लिए अस्पताल भी ले जाया गया, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद उसकी जान नहीं बच पाई और उसकी मौत हो गई. मां आखिरी बार बेटे का चेहरा तक नहीं देख पाई, उस बात की कसक उसे आज भी है. वो कहती हैं, मैं लोगों से मिन्नतें की, आखिरी बार मेरे लाल के चेहरा तो देख लेने दो, लेकिन किसी ने मेरी नहीं सुनी. मैं अपने इंद्र को आखिरी बार जी भर देख नहीं सकी. मेरा उसके अलावा इस दुनिया में कोई नहीं था. मैंने ही उसना अंतिम संस्कार किया था. मां को अपने बेटे के खोना का ऐसा गहरा जख्म लगा कि उस दिन के बाद से वह शमशान से कभी बाहर ही नहीं गई.
‘वो मुझे भूल गया, मां हूं, मैं उसे कैसे भूल जाऊं’
अपने बेटे को याद कर सिसकियां भरती हुई मां कहती है, वो चला गया. दुनियां उसे भूल गई, लेकिन मैं कैसे भूल जाऊं. यहीं तो सो रहा है मेरा लाल, मेरा इंदर. राजू कंवर करती हैं, ‘बेटे की अस्थियां लेकर अकेली हरिद्वार गई थीं. विसर्सिज करने के बाद वापस लौटी और श्मशान आ गई. फिर यहीं रहने लगी. कुछ दिन तक तो लोगों ने कुछ नहीं बोला, फिर टोकने लगे, मना करने लगे. मैंने किसी की नहीं सुनी. यहां से नहीं गई. कुछ दिन लोगों मुझे लोगों ने बोलना बंद कर दिया. अब श्मशान ही मेरा घर है.’

पथराई आंखें और चेहरे पर बेबसी लिए मां कहती है, ‘”मैं आखिरी बार उसका चेहरा तक नहीं देख सकी. उसका मेरे अलावा दुनिया में कोई नहीं था. मैंने ही उसका अंतिम संस्कार किया था.’
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स्थानीय लोगों का कहना है कि महिला राजू कंवर सीकर की रहने वाली है. उसका काफी बड़ा परिवार है. पति की मौत हो चुकी है. वह अपने इकलौटे बेटे के साथ अपने मायके में ही रहती थी. उसने मेहनत करके बेटे को पढ़ाया, लिखाया, उसे काबिल बनाया. बेटे की मौत के बाद मानों उसकी दुनिया की खत्म हो गई. मां ने जहां अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया अब वो वहीं रहती है.
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