यह युवा बचा रहा कोटा की लुप्त होती कला, 10 वर्ष की उम्र से बना रहा बूंदी और राजपूत शैली की पेंटिंग
शक्ति सिंह/कोटा. कोटा जिला का उभरता हुआ चितेरा दिलदार कुरैशी छोटी सी उम्र में ही खिलौनों को छोड़कर कलम को इस तरह से पकड़ा कि आज कोटा शैली, बूंदी शैली, राजस्थानी शैली, राजपूताना चित्रकारी, और भी कई तरह की पेंटिंग्स बनाते हैं.
दरअसल, मो. वसीम ओर अब उनके बेटे दिलदार कोटा के उन कलाकारों में है जो अपनी संस्कृति की लुप्त होती हुई कला को बचा रहे हैं. दिलदार के पिता भी चित्रकारी करते हैं और कोटा बूंदी शैली की चित्रकारी करना उन्होंने उनके गुरु और रियासत काल के आखिरी चित्रकार शेख उस्मान से सीखी थी.
दिलदार कुरैशी उम्र 19 साल के है और बी ए प्रथम ईयर में है. दिलदार ने चंबल नदी के किनारे घनी बस्ती में रहकर पढ़ाई के साथ-साथ अपने पिता मो. वसीम से कोटा बून्दी कलम का कार्य सीखा. पिता वसीम कोटा रियासत के चितेरे शेख मो उस्मान के शागिर्द रहे.
पिता और बेटे दोनों ने 10 व 11 साल की उम्र से कोटा बून्दी कलम के कार्य को सीखना प्रारम्भ किया. इसी प्रकार बून्दी शैली की बारीकियों के बारे में सीखा. पिता प्रतिदिन कोटा शैली की बारीकियों का ज्ञान दिया करते हैं, और रोजाना स्केचिंग करवाते रहे. अपने सामने ही फोटो रख रंग भरवाते है.
जीत चुके हैं कई पुरस्कार
दिलदार ने बताया कि अनेकों मौकों पर शेखउस्मान के बेटे शेख लुकमान के साथ पिता मो.वसीम ने कार्य लिया. आजकल पुराने चित्रों को सही करने का कार्य हम दोनों ही कर रहे है. यहीं रोजी रोटी का जरिया भी है.
दिलदार ने कोटा में ही नहीं जयपुर, दिल्ली में कई कलाकारों के साथ प्रदर्शनियों मे भाग लिया है और बनाए गए चित्रों की कई लोगों ने प्रशंसा भी की है. कोटा की कला दीर्घा में जब इनके बनाये चित्र लगते है तो कला प्रेमी कला की तारीफ ही नही करते बल्कि खरीद कर ले जाते है. दिलदार ने कई कला प्रतियोगिताओं में पुरस्कार भी जीते है.
40 से अधिक बना चुके हैं चित्र
दिलदार ने बताया कि इनके द्वारा बनाई गई पेंटिग में राग रागनी, बारह मास, शिकार, जुलूस, अंगड़ाई लेती नायिका, शबीह चित्र, कृष्ण रास लीला आदि के चित्र बनाये है. दिलदार अब तक 40 से अधिक चित्र बना चुके हैं. नेचर प्रमोटर ए एच ज़ैदी ने बताया कि शेख उस्मान शेख लुकमान ने इनकी कला को परखा और वर्क शाप में मंदिरों पर सोने की पालिश का कार्य करते देखा है. कई हवेलियों में इनके हाथ का चित्रण है.
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FIRST PUBLISHED : November 21, 2023, 22:10 IST