यूके ललित, सुब्रमण्यम स्वामी, जेठमलानी और सलमान खुर्शीद जैसे दिग्गजों ने कोर्ट में की आसाराम की पैरवी
हाइलाइट्स
आसाराम बापू ने एक से एक दिग्गज वकीलों को खड़ा किया और सबने रेप के दोषी बाबा का बचाव किया
जेठमलानी ने तो आसाराम के पक्ष को बहुत मजबूत बताया था तो स्वामी जेल में इस बाबा से मिलकर आए
हाल ही में ओटीटी पर आई एक फिल्म काफी चर्चित हो रही है. उसका नाम है सिर्फ एक बंदा काफी है. इस फिल्म में मनोज वाजपेयी ने बचाव पक्ष के वकील पीसी सोलंका यानि पूनम चंद सोलंकी का किरदार निभाया है. सोलंकी जोधपुर के ट्रायल कोर्ट उस नाबालिग लड़की के वकील थे, जिसने आसाराम बापू पर रेप का आरोप लगाया. इसके बाद उनकी वर्ष 2013 में गिरफ्तारी हुई. आसाराम ने अपने पक्ष में देश के बड़े वकीलों को ट्रायल कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक खड़ा कर दिया लेकिन इसके बाद भी उन्हें ना तो कोई जमानत दिला सका और ना ही दोषी करार किए जाने से बचा सका. उन्हें आजीवन कारावास की सजा हुई. वह अब भी सजा भुगत रहे हैं.
इस मामले में अगर आसाराम बापू की ओर से खड़े किए वकीलों के बारे में जानेंगे तो हैरान रह जाएंगे, ये सभी एक से एक बड़े नाम हैं, जो देश की तमाम सियासी दलों के बड़े नेता हैं. उनसे जब पूछा गया कि आपने ये केस क्यों लिया तो उन्होंने कहा क्योंकि इस केस में दम है, कुछ ने आसाराम को निर्दोष ही बता दिया तो कुछ ने अदालत में अपने रूतबे के इस्तेमाल की कोशिश की. इन वकीलों में पूर्व मुख्य न्यायाधीश रहे यू ललित से लेकर सुब्रमण्यम स्वामी, राम जेठमलानी और सलामान खुर्शीद जैसे नाम शामिल हैं.
आसाराम के पास अथाह पैसा था, जिसका इस्तेमाल उन्होंने वकीलों की फौज खड़ी करने के लिए किया लेकिन बात नहीं पाई.
आपके शहर से (जोधपुर)
आसाराम पर आरोप था कि 15-16 अगस्त 2013 की रात जोधपुर के पास मणाई गांव में 16 साल की लड़की से दुष्कर्म किया. जिसमें 04 और लोगों ने मदद की थी. 20 अगस्त 2013 को पीड़िता के परिजनों ने दिल्ली के कमला मार्केट थाने में रेप का केस दर्ज कराया. इसके बाद दिल्ली के कमला नगर थाने में दर्ज जीरो एफआईआर को जोधपुर भेजा गया.
31 अगस्त 2013 को जोधपुर पुलिस की एक टीम ने मध्य प्रदेश के इंदौर जिले से आसाराम को गिरफ्तार कर लिया. तब से आसाराम जोधपुर जेल में बंद हैं. आसाराम ने जमानत पर रिहा होने के लिए देश के बड़े से बड़े वकील को हायर किये. वकीलों ने पूरी ताकत लगा दी लेकिन जमानत नहीं दिला पाए.
आसाराम की जमानत याचिका को 12 से ज्यादा बार खारिज किया जा चुका है। 6 बार ट्रायल कोर्ट, तीन बार हाई कोर्ट और 3 बार सुप्रीम कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज की.
30 से ज्यादा वकीलों ने की पैरवी
जमानत के लिए आसाराम ने देश के बड़े से बड़े वकील की सेवाएं लीं. 30 से ज्यादा वकीलों ने पैरवी की. वकीलों ने आसाराम की बीमारी से लेकर पीड़िता के बालिग होने के कई तर्क दिए. इसके बाद भी किसी कोर्ट ने जमानत नहीं दी.
राम जेठमलानी ने तब आसाराम के पक्ष को मजबूत कहा था
देश के जानेमाने वकील राम जेठमलानी ने जब आसाराम का केस लिया तो उनके अनुयायियों को लगा कि वो अब वो छूट जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. जेठमलानी ने जोधपुर कोर्ट में आसाराम की जमानत की अर्जी पर जिरह करते हुए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया.
जेठमलानी ने कोर्ट में कहा कि पीड़िता नाबालिग नहीं है. इसलिए इस केस में पॉक्सो एक्ट लागू नहीं होगा. मीडिया से बातचीत में जेठमलानी ने ये भी कहा कि आसाराम के केस में काफी दम है. ये ओपन एंड शट केस नहीं है. ये भी कह दिया कि ये तो ऐसा मामला है जिसमें आसाराम के विरोधी पक्ष के लिए कोई उम्मीद नहीं है.
बाद में उन्होंने ये तर्क दिया कि वो अपने 10 फीसदी केस मोटे क्लाइंट के लिए लड़ते हैं, जिससे मोटा पैसा मिले, आसाराम ऐसे ही क्लायंट्स में हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक राम जेठमलानी एक बार कोर्ट में आने के 25 लाख रुपए से ज्यादा चार्ज करते थे.
खुर्शीद ने कहा था ये उनका प्रोफेशन
कांग्रेस के दिग्गज नेता सलमान खुर्शीद ने भी आसाराम को मेडिकल ग्राउंड्स पर जमानत दिलवाने की कोशिश की थी. आसाराम ने दावा किया था कि उन्हें ट्राईगेमिनल न्यूरैल्जिया की बीमारी है, जिसकी वजह से उन्हें काफी दर्द होता है. ट्रीटमेंट के लिए बेल दी जाए. तब कोर्ट ने जोधपुर के एस.एन मेडिकल कॉलेज को एक मेडिकल टीम बनाने का निर्देश दिया. लेकिन जमानत नहीं दी.
हालांकि तब जब मीडिया ने खुर्शीद से इस केस को लड़ने के लिए सवाल किए तो वह नाराज हो गए थे. उन्होंने कहा था मीडिया को ये पूछने का कोई हक बनता ही नहीं कि अपने वकील के पेशे में वह कौन सा केस लें या नहीं लें.
सुब्रमण्यम स्वामी ने तो केस ही फर्जी बता दिया
सुब्रमण्यम स्वामी आसाराम से जोधपुर जेल में मिलने गए. उन्होंने घोषणा की कि आसाराम के खिलाफ सारा केस फर्जी है. उन्होंने भी आसाराम को जमानत दिलवाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए. बाद में स्वामी उनकी जिरह के लिए कोर्ट पहुंचे ही नहीं. दो सुनवाइयों में उनको जाना था और वह नहीं गए. इसके लिए उन्होंने तर्क दिया कि वह किसी वजह से नहीं जा पाए.
तुलसी भी नहीं दिला पाए जमानत
के टी एस तुलसी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. कई टाडा केसों उन्होंने भारत सरकार का प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने भी आसाराम को जमानत दिलाने की कोशिश की. सफल नहीं हुए. तुलसी की भी कोर्ट में एक बार आने की फीस 10 लाख से ज्यादा बताई जाती है.
यू ललित ने तर्क दिया था कि लड़की बालिग है
सुप्रीम कोर्ट से चीफ जस्टिस पद से रिटायर हो चुके उदय उमेश ललित जब वकील थे तो उन्होंने आसाराम का केस लिया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने दलील दी थी कि लड़की नाबालिग नहीं है. स्कूल सर्टिफिकेट के हिसाब से बालिग है. कोर्ट ने बेल देने से साफ मना कर दिया था.
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FIRST PUBLISHED : May 29, 2023, 12:11 IST