राजस्थां की धरां से क्या पप्पू पास हो पाएंगा?
मंहगाई को लेकर आयोजित कांग्रेस की महारैली को राहुल गांधी की प्री-लान्चिग करार दिया जा रहा है।दावा किया जा रहा है कि देश भर के कांग्रेसी इस महाकुंभ का हिस्सा बनकर केन्द्र की मोदी सरकार की चूले हिलाने के कार्य की शुरूआत कर रहे हैं। इस रैली की सफलता के लिए मेजबान बनी हुई है राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी और प्रदेश की कांग्रेस सरकार। सियासी मायने में देखा जाए तो प्रदेश की राजधानी जयपुर में विद्याधर स्टेडियम में 30 हजार की क्षमता में 2 लाख की भीड़ जुटाना अपने आप में हास्य प्रतीत हो रहा है इन आंकड़ों की गम्भीरता पर न जाकर सियासी मायने तलाशे तो पाते हैं कि राहुल गांधी तो कांग्रेस का चेहरा जब से सक्रिय राजनीति का हिस्सा है तभी से है और आगे भी रहेंगे। पिछले लोकसभा चुनावों को लेकर देखा जाए तो राहुल गांधी ने नोटबंदी जीएसटी आदि मुद्दों पर केन्द्र की मोदी सरकार को घेरने की कोशिश की लेकिन उनकों जितना घेरा गया लोगों के दिलों में रक्तबीज के किरदार से भी ज्यादा तेज गति से मोदी घर बनाते चले गए, मोदी का चेहरा लाखों की तादाद में मास्क के रूप में लोगों के चेहरों पर नजर आया कि रक्तबीज का करेक्टर भी बौना साबित हो गया। परिणाम भी वैसा ही उन्होंने पाया बेमिसाल बहुमत के सहारे उनकी वापसी हुई और मूलभूत मुद्दे गौण हो गए।आज भी भाजपा और कांग्रेस की नजरों में देश की जरूरत गौण है,जरूरी है तो भेड़चाल पब्लिक को हांक सत्ता में वापसी के दांव।मोदी के हर दांव के आगे फैल हुए देश के युवा तुर्क पप्पू उर्फ राहुल गांधी मां और बहन के सहारे एक बार फिर पाला देने को तैयार है लेकिन मैदान दिल्ली का नहीं राजस्थान का है।ऐसे में देखना यह है कि लोगों के दिलों में विश्वास जताकर राजस्थां की धरां से क्या पप्पू पास हो पाएंगा?
वैश्विक महामारी के बीच हमने बहुत कुछ खोने के बाद एक आत्मविश्वास पाया फिर से खड़े होने का और कोरोना के दंतक पुत्र ओमिक्रान के बढते प्रकोप के बीच बच्चों के लपेट में आने के बावजूद सजग और सतर्क रहकर इससे मुकाबला कर रहे हैं। इसी के साथ छिनती नौकरियों के बीच मंहगाई की मार भी हर आम को सहनी पड रही है।
पब्लिक की दुखती रग को कांग्रेस मुद्दा बनाकर पाला तो मोदी सरकार के खिलाफ दे रही है लेकिन परिणाम लोकतांत्रिक देश में जनमत पर निर्भर करता है और वह जिसके भी खाते में जाए उसे स्वीकार करना ही हमारी विडंबना बन गया है। देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस का अस्तित्व आज तार तार हुआ पड़ा है। भाजपा का मोदी ब्रांड उसे उभरने नहीं दे रहा है। जयपुर में जो महारैली मंहगाई को लेकर आयोजित की जा रही है यह रैली अगर देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित होती तो सियासी मायने कुछ और सामने आते लेकिन राजस्थान में हो रही है तो मानकर चले कांग्रेस इस रैली के माध्यम से मंहगाई जैसे गंभीर मुद्दों को भुुना पाए या नहीं लेकिन भाजपा के लिए चंडिका बनी ममता से मुंह की खाने के बाद भाजपा अब यूपी सहित अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों को ही फोकस नहीं कर रही बल्कि देश में 2024 में होने वाले आम चुनावों को लेकर अलग अलग स्टेट के अलग माडल फेस कर चुनाव मैदान में उतरेगी अपने एक मात्र सशक्त माडल नरेन्द्र मोदी के दम पर। अब देखना यह है कि देश की साठ साल बागडोर संभाल चुकी सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस ब्रांड एम्बेसेडर सोनिया,राहुल,प्रियंका के दम पर 2022 से लेकर 2024 तक देश और राज्यों में कितनी जगह बना पाती है। राजस्थान में इस मंहगाई विरोधी रैली के मायने देखे जाए तो यह मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ईजाफा होते राजनीतिक वर्चस्व का प्रतीक है और यह साबित हो रहा है कि प्रदेश में गहलोत है तो कांग्रेस है और 2023 में राजस्थान में आम विधानसभा चुनावों को लेकर देखा जाए तो यह रैली प्रदेश में कांग्रेस सरकार की पुन: वापसी का संदेश भी होगी।
- प्रेम शर्मा