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राजस्थानः NWR ट्रेनों के संचालन में कर रहा आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल, आखिर क्यों आई तकनीशियन की कमी?

जयपुर. रेलवे समय-समय पर यात्रियों की सुविधा के लिए भरसर प्रयास करता रहता है, लेकिन कई बार रेलवे को ही परेशानियों का सामना करना पड़ जाता है. बता दें आज के दौर में उत्तर-पश्चिम रेलवे जोन अपनी ट्रेनों के संचालन में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है, लेकिन फिर भी उसे तकनीशियन की कमी का सामना करना पड़ रहा है. ऑटोमेटिक सिग्नलिंग से लेकर कवच से लैस ट्रेनों के कर्मचारियों को अब तक प्रशिक्षण नहीं मिला है. हालांकि अब कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने पर जोर दिया गया है.

उत्तर-पश्चिम रेलवे जोन में लंबी दूरी पर चलने वाली रेलों में आमूलचूल परिवर्तन किया जा रहा है. दुनिया की विकसित रेल व्यवस्थाओं की तकनीकों का इस्तेमाल अब यहां की रेलों में शुरू किया जा रहा है. इसमें ऑटोमेटिक सिग्नलिंग से लेकर कवच तकनीक तक शामिल है, लेकिन दुविधा ये है कि तकनीक तो लेटेस्ट आ गई मगर कर्मचारी वहीं पुराने है और तकनीक के इस्तेमाल को लेकर उनकी ट्रेनिंग अभी बाकी है.

कर्मचारियों के पास तकनीकी प्रशिक्षण की कमी
उत्तर-पश्चिम रेलवे जोन के सीआरपीओ कैप्टन शशि किरण ने बताया कि हाल ही में उत्तर पश्चिम रेलवे हेडक्वार्टर में सिगनल और दूरसंचार के कार्यों को लेकर बैठक हुई थी. इस बैठक में रेलवे बोर्ड दिल्ली से आए उच्च अधिकारियों ने तकनीक की समीक्षा की और पाया कि रेलों में आधुनिक तकनीक और डिवाइस तो तैयार है, लेकिन उन्हें इस्तेमाल करने के लिए रेलवे कर्मचारियों के पास तकनीकी प्रशिक्षण की कमी है. लिहाजा इस बात पर जोर दिया गया कि जल्दी से जल्दी कर्मचारियों को अलग-अलग विभागों में तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाए, जिससे सभी आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल रेलों में किया जा सके.

सुधार कार्यों के लिए 400 करोड़ का बजट
रेलों को सुरक्षित और स्पीड देने के लिए तमाम आधुनिक डिवाइस और प्रणालियों का इस्तेमाल शुरू हो चुका है. इस कड़ी में सिगनल और दूरसंचार विभाग को सुधार कार्यों के लिए 400 करोड़ रुपये से अधिक का बजट आवंटित किया गया है. इस वर्ष उत्तर-पश्चिम रेलवे पर लाइन क्षमता और थ्रूपुट में सुधार करने के लिए 151 किमी से अधिक स्वचालित सिगनलिंग का कार्य प्रगति पर है. इसके साथ ही कवच प्रणाली के सर्वेक्षण कार्य को शुरू कर दिया गया है और कवच और एलटीई की बैक बोन के रूप में 3000 ट्रैक किलोमीटर की लंबाई के लिए ओएफसी केबल बिछाने के लिए निविदा भी आमंत्रित की गई है.

रेलवे कर्मचारियों को जल्दी प्रशिक्षण की जरूरत
बहरहाल रेल और तकनीक दोनों की स्पीड बढ़ने को तैयार है, लेकिन इनके बराबर दौड़ने के लिए रेलवे के अलग-अलग विभागों के कर्मचारियों की ट्रेनिंग भी तेज करने की ज़रूरत है. फिलहाल ट्रेनिंग सेशन की स्पीड बेहद धीमी है और नई भर्तियां भी बहुत स्लो हो रही है. ऐसे में अगर रेलवे कर्मचारी जल्दी प्रशिक्षण ले लेते है तो इसका असर रेलों पर भी जल्दी दिखेगा. हालांकि अभी कोशिशें जारी है और नतीजा आना बाकी है.

Tags: North Western Railway, Rajasthan news

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