Rajasthan

राजस्थान की इस अद्भुत परंपरा को देख लोगों ने दांतों तले अंगुली क्यों दबा ली? 3 कहानियों से समझें इसका महत्‍व

हाइलाइट्स

हरियाणा की बहू मीरा की बेटियों का मायरा भरने हनुमानगढ़ का पूरा गांव ‘श्रीकृष्ण के स्वरूप’ में आया
नागौर में छह भाई थाली में 2.21 करोड़ कैश लेकर पहुंचे, भात में एक किलो सोना और 14 किलो चांदी दी
पिता-भाइयों के इस सम्मान को देख घेवरी देवी और उनके परिवार की आंखों में आंसू छलछला आए

एच. मलिक

नागौर. यूं तो मरुधरा की धरती पर रिश्तों की सौंधी महक खूब आती है, लेकिन फागुन माह में मामा-भांजी के रिश्तों ने नई ऊंचाइयों को छुआ है. इसी माह में तीन कहानियां असीम प्यार, आंसू और जज्बातों से देशभर में सुर्खियां बटोर रही हैं. नागौर (Nagaur) में जहां ननिहाल पक्ष द्वारा भांजे-भांजियों की शादी में करोड़ों का मायरा भरने का रिकॉर्ड बना, वहीं हनुमानगढ़ (HanumanGarh) में तो एक पूरा गांव ही ‘अपनी बेटी’ का मायरा भरने के लिए श्रीकृष्ण का स्वरूप बनाकर हरियाणा में पहुंच गया.

मायरा या भात बहन के बच्चों की शादी पर ननिहाल पक्ष द्वारा दिया जाता है. इस रस्म में बहन के बच्चों और ससुराल पक्ष के लोगों के लिए कपड़े, गहने, रुपये और अन्य सामान दिया जाता है. इसे लेकर दो मान्यताएं प्रचलित हैं.

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श्रीकृष्ण ने भरा था नरसी भगत का मायरा
एक मान्यता है कि मायरे की शुरुआत नरसी भगत के जीवन से हुई थी. नरसी का जन्म गुजरात के जूनागढ़ में आज से 600 साल पूर्व हुमायूं के शासनकाल में हुआ था. नरसी की लड़की नानीबाई का विवाह अंजार नगर में हुआ था. नरसी श्रीकृष्ण के अटूट भक्त थे और सांसारिक मोह त्याग दिया और संत बन गए थे. नानीबाई की लड़की के विवाह पर ननिहाल की तरफ से मायरा देने के लिए नरसी के पास कुछ नहीं था. उन्होंने सबसे गुहार लगाई पर मदद नहीं मिली. अपने आराध्य श्रीकृष्ण का नाम लेकर नरसी टूटी-फूटी बैलगाड़ी पर खुद ही लड़की की ससुराल के लिए निकल पड़े. कहते हैं तब उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान श्रीकृष्ण खुद भात भरने पहुंचे थे.

टैक्स कलेक्शन के सारे रुपये भात में भर दिए
मुगल शासन में खिंयाला और जायल के जाटों द्वारा लिछमा गुजरी को अपनी बहन मान कर भरे गए मायरे को तो नागौर की महिलाएं लोक गीतों में भी गाती हैं. कहा जाता है कि यहां के धर्माराम जाट और गोपालराम जाट मुगल शासन में बादशाह के लिए टैक्स कलेक्शन करते थे. एक बार जब वो टैक्स कलेक्शन करके दिल्ली जा रहे थे, तो उन्हें रास्ते में रोती हुई लिछमा गुजरी मिली. उसने बताया था कि उसके कोई भाई नहीं है और अब उसके बच्चों की शादी में मायरा कौन लाएगा? इस पर धर्माराम और गोपालराम ने लिछमा गुजरी के भाई बनकर टैक्स कलेक्शन के सारे रुपये और सामग्री से मायरा भर दिया. मुगल बादशाह ने जब पूरी बात सुनी तो दोनों को सजा देने के बजाय ईनाम दिया.

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कहानी-1: नागौर के गांव में आठ करोड़ का मायरा
मारवाड़ के नागौर में मायरा सम्मान से जुड़ा है. नागौर के ढींगसरा गांव निवासी मेहरिया परिवार के छह भाइयों की ओर से पिछले दिनों अपने भांजे की शादी में कुल 8 करोड़ एक लाख रुपये का मायरा भरा. वे जब थाली में 2.21 करोड़ कैश लेकर पहुंचे तो लोग हैरान रह गए. इसके अलावा 1 किलो सोना, 14 किलो चांदी, 100 बीघा जमीन, ट्रैक्टर-ट्रॉली भर कर गेहूं दिया गया. मायका मेहरिया परिवार के भाइयों ने अपनी इकलौती बहन भंवरी देवी के बेटे सुभाष गोदारा की शादी के दौरान भरा. ढींगसरा गांव में मेहरिया परिवार भांजे का मायरा भरने के लिए निकले तो साथ में हजारों गाड़ियों का काफिला 5 किलोमीटर तक पीछे-पीछे चला. मायरा में पांच हजार लोग शामिल हुए. सभी मेहमानों को चांदी का सिक्का भी दिया गया.

कहानी-2: भांजी की शादी में भरा 3.21 करोड़ का भात
इससे पहले इसी माह में जिले के जायल क्षेत्र के झाड़ेली गांव का मायरा सुर्खियों में रहा. यहां तीन किसान भाइयों ने अपनी भांजी की शादी में 3 करोड़ 21 लाख रुपये खर्च किए. दरअसल, घेवरी देवी और भंवरलाल पोटलिया की बेटी अनुष्का की शादी के दौरान उसके नाना बुरड़ी गांव निवासी भंवरलाल गरवा अपने तीनों बेटों के साथ करोड़ों रुपए का मायरा लेकर पहुंचे. पिता-भाइयों के इस सम्मान को देख घेवरी देवी और उनके परिवार के आंखों में आंसू आ गए. पिता का कहना था कि परिवार की इकलौती बेटी ने अपनी किस्मत का ही पाया है. पूर्वजों का भी पुराना इतिहास है कि बहन-बेटी के ससुराल में मायरे को दिल खोल कर भरना चाहिए.

कहानी-3: नरसी बनी मीरा के लिए श्रीकृष्ण बना पूरी गांव
हरियाणा के फतेहाबाद के गांव जांडवाला बागड़ में हुई दो बेटियों की शादी में पूरे गांव ने अद्भुत मिसाल पेश की. यहां भात देने के लिए राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के गांव नेठराना से इतने लोग उमड़े कि टीका लगाने की रस्म पूरी करने में ही घंटों लग गए. बेटियों की मां मीरा का न तो भाई जीवित है और न ही माता-पिता। भात न्योतने गई मीरा ने भाई कि समाधि पर आंसुओं भरी आंखों से टीका किया तो पूरा गांव भावुक हो गया. मीरा की बेटी सोनू और मीनो के विवाह का दिन आया तो उसके ननिहाल पक्ष से एक दो नहीं, बल्कि 500 के करीब भाती ढोल-नगाड़े के साथ पहुंच गए. मायके के गांव से आए इतने लोगों को देख कर मीरा की आंखें छलछला उठीं. भातियों ने यहां वो हर रस्म अदा की, जो कि मामा करता है. गांव के लोगों के संयुक्त सहयोग से करीब 10 लाख रुपये का भात भरा गया. ग्रामीणों का कहना था कि नरसी के भात, जो कि श्रीकृष्ण ने भरा था, के बाद अब मीरा के भात की ही चर्चा पूरे हरियाणा और राजस्थान में है.

Tags: Nagaur News, Rajasthan news in hindi

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