राजस्थान की नशीली खेती: काफी महंगी और रिस्की है, नारकोटिक्स विभाग से लेना पड़ता है लाइसेंस, जानें सबकुछ

हाइलाइट्स
राजस्थान में अफीम की खेती
प्रतापगढ़ और चित्तौड़गढ़ जिले में होती है
नारकोटिक्स विभाग ने जारी किए नए लाइसेंस
प्रतापगढ़. मध्य प्रदेश से सटे राजस्थान के प्रतापगढ़ और चित्तौड़गढ़ जिले में एक ऐसी खेती भी होती है जिसकी पैदावार करने के लिए किसानों को लाइसेंस लेना पड़ता है. बिना लाइसेंस लिए के इस खेती को करना बड़ा गुनाह होता है. अगर कोई किसान बिना लाइसेंस लिए इस खेती को करता है तो उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट यानी मादक पदार्थ अधिनियम के तहत केस दर्ज कर लिया जाता है. यह खेती है अफीम. इसके लिए लाइसेंस नारकोटिक्स विभाग की ओर से दिए जाते हैं. सूत्रों के मुताबिक सरकार इसे बेहद सस्ती दर पर खरीदती है जबकि अवैध रूप से ब्लैक मार्केट में यह करीब दो लाख रुपये प्रतिकिलो के हिसाब से बेची जाती है. इसे काला सोना भी कहा जाता है
हाल ही में प्रतापगढ़ जिले में नारकोटिक्स विभाग ने इस वर्ष अफीम खेती के लिए जिले के 9173 किसानों को लाइसेंस जारी किए हैं. नए लाइसेंसधारी किसानों को सीपीएस पद्धति के लाइसेंस प्रदान किए गए हैं. जिला अफीम अधिकारी खंड (प्रथम) एलसीपी पंवार ने बताया कि जिले में अफीम की खेती के लिए नारकोटिक्स विभाग की ओर से लाइसेंस देने की प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई है.
प्रतापगढ़ जिले के 9173 किसानों को लाइसेंस जारी किए गए हैं
जिले में खंड प्रथम के तहत 95 गांव के 5119 किसानों को लाइसेंस प्रदान किए गए हैं. इसमें सीपीएस पद्धति के 2119 किसान शामिल हैं. जबिक 3000 किसानों को गम पद्धति के लाइसेंस प्रदान किए गए हैं. इसके तहत किसानों को अपनी फसल पर चीरा लगाकर अफीम प्रदान करनी होती है. जिला अफीम अधिकारी के अनुसार खंड द्वितीय के तहत 90 गांव के 4054 किसानों को लाइसेंस प्रदान किए गए हैं. इनमें सीपीएस पद्धति के 843 और गम पद्धति के 3211 किसान शामिल है. पंवार ने बताया कि लाइसेंस की प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता रखी गई है.
अफीम काफी महंगी फसल होती है
उल्लेखनीय है कि अफीम काफी महंगी फसल होती है. इसका मेडिसन में उपयोग किया जाता है. इसकी खरीद केवल नारकोटिक्स विभाग ही करता है. चूंकि अफीम मादक पदार्थ है लिहाजा इस इलाके में इसकी तस्करी भी काफी होती है. आए दिन यहां से अवैध अफीम, अफीम का दूध और इसके पौधे पकड़े जाते हैं. अफीम के अन्य उत्पाद (बाय प्रोडक्ट्स) भी काफी महंगे होते हैं.
अफीम और डोडा चूरा की तस्करी करने वाले कई गिरोह सक्रिय है
इनकी खरीद भी सरकारी विभाग ही करता है. इसमें अफीम के पेड़ के डोडे से दूध निकालने के बाद बचा हुआ डोडा और उसका चूरा काफी महंगा बिकता है. इसकी भी बड़े पैमाने पर तस्करी होती है. यह एक नशीला पदार्थ और लोग इनका उपयोग नशा करने में करते हैं. डोडा चूरा की तस्करी करने वाले कई गैंग सक्रिय हैं. इनकी कई बार पुलिस से मुठभेड़ होती रहती है.
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FIRST PUBLISHED : November 7, 2023, 15:28 IST