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राजस्थान में बढ़ रही है मगरमच्छों की बस्ती

राजस्थान में बढ़ रही है मगरमच्छों की बस्ती

सवाईमाधोपुर. बाघों की नगरी में मगरमच्छों की बस्ती आबाद हो रही है। रणथम्भौर से सटी चंबल नदी को यों तो राष्ट्रीय घडिय़ाल अभयारण्य के नाम से जाना जाता है, लेकिन यहां घडिय़ालों के साथ मगरमच्छों के कुनबे में भी लगातार इजाफा हो रहा है। वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार एक साल में चंबल में 15 मगरमच्छ बढ़ गए हैं। वर्तमान में चंबल नदी में 455 मगरमच्छ हैं।

चंबल में मिलते सेलाइन वाटर मगरमच्छ

चंबल नदी में पीने के पानी का मगरमच्छ यानी सेलाइन वाटर के ही मगरमच्छ मिलते हैं। यह मगरमच्छ खारे पानी या प्रदूषित जल में जीवन यापन नहीं कर पाता है। वन विभाग के पशु चिकित्सक डॉ. सीपी मीणा ने बताया कि मगरमच्छ विश्व की एक मात्र प्रजाति है, जिनमें नर व मादा का निर्धारण तापमान के आधार पर होता है। आम तौर पर 30 डिग्री तापमान में मादा व 34 या 34 डिग्री से अधिक के तापमान पर अण्डों में से नर मगरमच्छ की उत्पत्ति होती है।

रणथम्भौर में भी बढ़ रहा कुनबा

यों तो रणथम्भौर को बाघों की नगरी के नाम से जाना जाता है, लेकिन यहां बाघों के साथ-साथ मगरमच्छों के कुनबे में भी लगातार इजाफा हो रहा है। यहां पर मलिक तालाब, अटल सागर, पदमला तालाब आदि कई स्थानों पर मगरमच्छ पाए जाते हैं। रणथम्भौर में मगरमच्छों की गणना नहीं की जाती है। ऐसे में वहां मगरमच्छों के आंकड़े नहीं हैं। पिछले एक साल में रणथम्भौर में मगरमच्छों की संख्या 20 प्रतिशत तक बढ़ गई है।

यों बढ़ा कुनबा
साल -संख्या
2020 -430
2021 -440
2022- 455

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