राजस्थान में भजनलाल सरकार आने के बाद क्या अब थमेगा पेपर लीक का गोरखधंधा?

भजन सरकार के गठन के बाद तीन भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जा चुकी हैं, जिनमें पेपर लीक जैसी कोई घटना सामने नहीं आई
निराला समाज जयपुर। जनवरी की 25 तारीख को जोधपुर के गांधी मैदान में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने यह दावा किया कि राज्य की धरती पर अब आने वाले समय में कोई भी पेपर आउट नहीं होगा. मुख्यमंत्री के इस दावे की हकीकत तो आने वाले वक्त में पता चलेगी, लेकिन उनका यह बयान आने के 24 घंटे के भीतर ही राज्यपाल कलराज मिश्र ने पेपर लीक मामले में पुलिस की गिरफ्त में चल रहे राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) के सदस्य बाबूलाल कटारा को निलंबित कर दिया. 18 अप्रैल, 2023 को गिरफ्तार किए गए कटारा बीते नौ माह से आरपीएससी सदस्य बने हुए थे.

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 317 के उपबंध (2) के तहत इस तरह की यह पहली कार्रवाई थी जिसमें संवैधानिक आयोग के किसी सदस्य को कदाचार के आरोप में कार्यकाल पूरा करने से पहले निलंबित किया गया है. कटारा को कदाचार का आरोपी मानते हुए राज्य सरकार ने राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को निलंबित किए जाने की अनुशंसा भेजी थी. राष्ट्रपति ने यह मामला सुप्रीम कोर्ट को जांच के लिए भेजा. सुप्रीम कोर्ट से निलंबन की स्वीकृति मिलने और राष्ट्रपति की ओर से अंतिम निष्कासन आदेश मिलने के बाद राजस्थान के राज्यपाल ने बाबूलाल कटारा को सदस्य पद से निलंबित कर दिया.
आरपीएससी के पेपर लीक प्रकरणों में बाबूलाल कटारा की भूमिका 13 माह पहले सामने आई थी. तब उदयपुर पुलिस ने राजस्थान लोक परिवहन सेवा की एक बस में आरपीएससी के द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती का एक प्रश्न पत्र हल करते हुए एक पेपर माफिया और पेपर खरीदने वाले 49 अभ्यर्थियों को गिरक्रतार किया था. पूछताछ में पता चला कि पेपर माफिया कटारा का करीबी था. फिर पुलिस जांच से यह बात सामने आई कि कटारा पेपर तैयार होते ही पेपर के सभी सेट की मूल कॉपी अपने घर ले गया था और वहां उनकी कॉपी कराकर पेपर माफिया के पास भेज दी गई थी.
बाबूलाल कटारा का निलंबन तो हो चुका है लेकिन आरपीएससी के पेपर लीक मामलों को लेकर भजनलाल सरकार शुरुआत से ही काफी सख्त दिख रही है. मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण करने चार घंटे बाद ही भजनलाल शर्मा ने आरपीएससी के पेपर लीक मामलों में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) गठित कर दी थी. राजस्थान पुलिस एटीएसी व एसओजी के एडीजी वी.के. सिंह के नेतृत्व में गठित यह 50 सदस्यीय एसआइटी पिछले 45 दिन में पेपर लीक प्रकरणों से जुड़े 22 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है.
इसके अलावा मुख्यमंत्री ने अभी 30 जनवरी को विधानसभा में कहा कि पेपर लीक मामलों में किसी को बख्शा नहीं जाएगा और जरूरत पड़ी तो सरकार सीबीआई जांच भी कराएगी. हालांकि राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष और नागौर के खींवसर से विधायक हनुमान बेनीवाल सरकार पर सवाल उठाते हुए कहते हैं, “कई आला अधिकारियों, ब्यूरोक्रेट और पूर्व मुख्यमंत्री के नजदीकी लोगों पर पेपर लीक मामलों को लेकर आरोप लग चुके हैं, लेकिन एसआईटी ने इनमें से एक भी व्यक्ति से पूछताछ नहीं की. सरकार इस मामले की जांच सीबीआई से कराने से क्यों कतरा रही है?”
वैसे, नई सरकार के गठन के बाद तीन भर्ती परीक्षाएं आयोजित की जा चुकी हैं, जिनमें पेपर लीक जैसी कोई घटना सामने नहीं आई. यह सरकार और परीक्षार्थियों, दोनों के लिए राहत की बात है.