राजस्थान युवक कांग्रेस में आंतरिक घमासान, नए अध्यक्ष को नहीं पचा पा रहे पुराने पदाधिकारी, सर्जरी की तैयारी


संगठन ने लम्बे समय तक इसे अनदेखा किया लेकिन पार नहीं पड़ी. इसलिये अब सियासी सर्जरी के जरिए संगठन को फिर से खड़ा करने की कवायद की जा रही है.
Conflict in Rajasthan Youth Congress : राजस्थान यूथ कांग्रेस में चल रही आंतरिक सियासत के चलते अब संगठन की सियासी सर्जरी (Political surgery) की तैयारी की जा रही है. इसके तहत पुराने पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जायेगा और नई नियुक्तियां की जायेगी.
पिछले दिनों में संगठन के करीब 50 पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किए जा चुके हैं. अब इनमें से कुछ को बाहर का रास्ता दिखाने की भी तैयारी है. बताया जा रहा है कि ये पदाधिकारी लम्बे समय से नए नेतृत्व को सहयोग नहीं कर रहे थे. ना इन्होंने संगठन के कार्यक्रमों में भागीदारी की और ना ही हर महीने होने वाली बैठकों में शामिल हुए.
शिकायत उच्च स्तर तक पहुंची
इतना ही नहीं कोरोना काल में आम लोगों की सहायता के लिए संगठन ने जो अभियान चलाया उससे भी इन्होंने दूरी बनाए रखी. पदाधिकारियों के इस रवैये की उच्च स्तर तक शिकायत पहुंची तो जवाब तलब का सिलसिला शुरू हुआ. प्रदेश पदाधिकारियों से लेकर जिला स्तर तक के पदाधिकारियों को कारण बताओ नोटिस थमाकर जवाब मांगा गया है.ऐसे शुरू हुआ बखेड़ा
दरअसल पूरा बवाल प्रदेश में पिछले साल हुए सियासी संकट के बाद से खड़ा हुआ है. सियासी संकट के दौरान पायलट खेमे का साथ देने वाले विधायक मुकेश भाकर को यूथ कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाकर गहलोत खेमे के विधायक गणेश घोघरा को इसकी कमान दे दी गई थी. यूथ कांग्रेस में अब तक प्रदेश सचिव की भूमिका निभा रहे गणेश घोघरा का यूं रातों रात प्रदेशाध्यक्ष बना दिया जाना चुनाव के जरिए संगठन में पदासीन हुए पदाधिकारियों को रास नहीं आया.
पदाधिकारियों ने असहयोग आन्दोलन शुरू कर दिया
नतीजा यह हुआ कि इन पदाधिकारियों ने नए अध्यक्ष के साथ असहयोग आन्दोलन शुरू कर दिया. यूथ कांग्रेस के चुनाव पैनल के आधार पर लड़े गए थे. खास तौर से मुकेश भाकर, सुमित भगासरा और अमरदीन फकीर के सबसे मजबूत पैनल थे. अब ये तीनों ही यूथ कांग्रेस में प्रमुख भूमिकाओं में नहीं हैं. इनके पैनल से जीतकर आए पदाधिकारी गणेश घोघरा को अध्यक्ष के तौर पर पचा नहीं पा रहे हैं. इसके चलते संगठन में आन्तरिक घमासान मचा हुआ है.
अब सर्जरी की तैयारी !
संगठन ने लम्बे समय तक इसे अनदेखा किया लेकिन पार नहीं पड़ी. इसलिये अब सियासी सर्जरी के जरिए संगठन को फिर से खड़ा करने की कवायद की जा रही है. पिछले दिनों में बड़े स्तर पर पदाधिकारियों को जारी किए गए कारण बताओ नोटिस इसी दिशा में उठाया गया कदम है. बताया जा रहा है कि कई पदाधिकारियों ने इन कारण बताओ नोटिस का जवाब तक नहीं भेजा है. संगठन का राष्ट्रीय नेतृत्व पदाधिकारियों के इन बगावती तेवरों को गंभीरता से ले रहा है. सूत्रों के मुताबिक बगावती तेवर अपनाने वाले पदाधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा और जल्द ही संगठन में नई नियुक्तियां की जाएंगी.