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राजस्थान लोकसभा चुनाव का रण, पहले चरण का आज थम जाएगा प्रचार, जानें 6 हॉट सीटों का ताजा हाल

जयपुर. लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिए 19 अप्रेल को वोट डाले जाएंगे. इस पहले चरण में राजस्थान में 12 लोकसभा सीटों के लिए वोटिंग होगी. इन 12 सीटों के लिए चुनाव प्रचार आज शाम को 6 बजे थम जाएगा. उसके बाद डोर-टू-डोर संपर्क कर सकेंगे. बीजेपी और कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों तथा निर्दलीय ने आज चुनाव प्रचार में अपनी पूरी ताकत झौंक दी है. पहले चरण में राजस्थान की कई अहम सीटें शामिल हैं. इन सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी में कांटे की टक्कर बनी हुई है.

श्रीगंगानगर में प्रियंका बैलान बनाम कुलदीप इंदौरा में मुकाबला है. किसान आंदोलन के दौरान सबसे ज्यादा प्रभावित रहे इलाके में महिला उम्मीदवार उतारकर बीजेपी ने एक ही तीर से कई निशाने साध दिये. पहले पांच बार के सांसद निहाल मेघवाल का टिकट काटा. फिर मेघवालों के साथ अरोड़वंश के मतदाताओं केा भी साध लिया. मेघवाल की बेटी और और सामान्य परिवार की बहू होने का बीजेपी प्रत्याशी प्रियंका बैलान को फायदा मिल रहा है. उनकी सौम्य छवि से भी बीजेपी कार्यकर्ताओं में उत्साह का माहौल है. कांग्रेस प्रत्याशी कुलदीप इंदौरा श्रीगंगानगर के जिला प्रमुख हैं. वे दो बार विधानसभा का चुनाव लड़ चुके हैं. दोनों ही बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा है. इस बार वे सहानुभूति का कार्ड खेल जीत का गणित बिठा रहे हैं. लेकिन अभी तक माहौल अपने पक्ष में कर पाने में उन्हें ज्यादा कामयाबी नहीं मिल पाई है.

नागौर में ज्योति मिर्धा बनाम हनुमान बेनीवाल
ज्योति मिर्धा लोकसभा के दो और विधानसभा का एक चुनाव हार चुकी हैं. लगातार तीन हार के बावजूद इस बार ज्योति को जीत की उम्मीद है. ज्योति सहानुभूति का कार्ड खेल रही है. बीजेपी को यहां मोदी लहर पर भी आस है. ज्योति के समर्थन में पीएम मोदी पुष्कर में जनसभा संबोधित कर चुके हैं. नाथूराम मिर्धा की पोती होने के कारण उनके पास मजबूत राजनीतिक विरासत है. पढ़े लिखे वर्ग में ज्योति खासी लोकप्रिय हैं. हनुमान बेनीवाल को गठबंधन का प्रत्याशी होने के कारण उन्हें खुद की पार्टी आरएलपी के साथ कांग्रेस के वोट बैंक का भी सहारा है. हनुमान लगातार चुनाव जीत रहे हैं. नागौर में उनकी सक्रियता का लाभ भी उनको मिल सकता है. नागौर में नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं.

चूरू में देवेंद्र झाझड़िया बनाम राहुल कस्वां
यहां काका भतीजे की जंग का शोर है. चाचा यानि राजेंद्र राठौड़ और भतीजा यानि राहुल कस्वां. दोनों की अदावत इस कदर है कि पीएम मोदी की रैली में राजेंद्र राठौड़ यहां तक कह गये कि कल तक मैं काका था लेकिन आज कंस कैसे हो गया. उन्होंने कस्वां परिवार के लिए यहां तक कहा याचना नहीं अब रण होगा. देवेंद्र झाझड़िया खेल के पुराने पर राजनीति के नये खिलाड़ी हैं. बीजेपी का वोट बैंक अगर अपनी जगह कायम रहा तो देवेंद्र उलटफेर कर सकते हैं. राहुल कस्वां दो बार और उनके पिता रामसिंह कस्वां चार बार सांसद रह चुके हैं. राहुल कस्वां का बीजेपी ने टिकट काटा तो वे कांग्रेस का टिकट ले आये. राहुल कस्वां के लिए ये चुनाव नाक का सवाल बन गया है. वहीं राजेंद्र राठौड़ की चूरू के इस चुनाव में प्रतिष्ठा दांव पर लगी है. यहां मुकाबला कांटे का बताया जा रहा है. नतीजा कुछ भी संभव है. लेकिन बीजेपी को मोदी मैजिक पर यकीन है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देवेंद्र झाझड़िया के समर्थन में चुनावी रैली कर चुके हैं. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को आठ में से पांच और बीजेपी को तीन सीटों पर जीत मिली थी.

अलवर में भूपेंद्र यादव बनाम ललित यादव
अलवर में पीएम मोदी की गारंटी का जोर है. भूपेंद्र यादव पीएम मोदी के नजदीकी मंत्रियों में शुमार हैं. राज्यसभा सांसद रहते उन्होंने इलाके में काफी काम भी कराये हैं. यहां अहीर रेजीमेंट और स्थानीय का मुद्दा उछालकर कांग्रेस बीजेपी उम्मीदवार को घेरने की कोशिश कर रही है. भूपेंद्र यादव के लिए अमित शाह बड़ी जनसभा को संबोधित कर चुके हैं. अलवर में ईआरसीपी और यमुना का पानी लाने की अमित शाह गारंटी देकर गये हैं. भूपेंद्र यादव पेयजल की समस्या से निजात दिलाने के वादे के साथ वोट मांग रहे हैं. बीजेपी का चुनाव प्रबंधन शानदार है. बीजेपी अलवर में एकजुट होकर चुनाव लड़ रही है. वहीं कांग्रेस को भीतरघात का खतरा सता रहा है. बसपा उम्मीदवार फजल हुसैन ने भी कांग्रेस के लिए मुश्किलें खड़ी कर रखी हैं. कांग्रेस प्रत्याशी ललित यादव वर्तमान में मुंडावर से विधायक हैं. यादव और मेव मतदाता यहां बराबर हैं. एससी, जाट, मीणा और गुर्जर मतदाता अलवर में निर्णायक होंगे. फिलहाल बीजेपी मोदी लहर के दम पर जीत के प्रति आश्वस्त नजर आ रही है. यहां विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने पांच और कांग्रेस ने तीन सीटों पर कब्जा जमाया था. कांग्रेस में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के साथ भंवर जितेंद्र सिंह और बीजेपी में मंत्री संजय शर्मा के साथ बाबा बालकनाथ और डॉक्टर जसवंत यादव की प्रतिष्ठा दांव पर है.

सीकर में स्वामी सुमेधानंद बनाम कामरेड अमराराम
बीजेपी के स्वामी तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं. वहीं अमराराम सातवीं बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं लेकिन कभी जीते नहीं हैं. अमराराम चार बार विधायक रहे हैं. इंडिया गठबंधन के तहत कांग्रेस ने ये सीट माकपा को दी है. बीजेपी अपने मजबूत संगठन, मोदी लहर और राममंदिर निर्माण के दम पर फिर जीत के दावे कर रही है. वहीं अमराराम किसानों की समस्याओं पर चुनाव लड़ रहे हैं. यहां मुकाबला कांटे का माना जा रहा है. स्वामी सुमेधानंद को भीतरघात का खतरा है तो अमराराम के सामने कांग्रेस के नेताओं को मन से साथ लेने की चुनौती अब भी कायम है. दोनों प्रत्याशी जाट होने की वजह से छह लाख जाट वोटों का यहां बंटवारा होगा. माली, कुमावत, एससी और अल्पसंख्यक मतदाता यहां निर्णायक होंगे. कांग्रेस में पीसीसी चीफ गोविंद सिंह डोटासरा की तो बीजेपी में मंत्री झाबर सिंह खर्रा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है.

झुंझुनूं में शुभकरण चौधरी बनाम बृजेंद्र ओला
यहां शुभकरण पूर्व विधायक हैं तो बृजेंद्र ओला चौथी बार के विधायक हैं. शुभकरण से माली और राजपूत मतदाता पहले नाराज थे. अब उनकी नाराजगी दूर करने के प्रयासों में सफलता मिली है. बीजेपी ने कांग्रेसी खेमे में सेंधमारी करते हुए उन्हें बीजेपी ज्वॉइन कराई है. विधानसभा चुनाव में बगावत कर चुनाव लड़ने वाले नेताओं को भी पार्टी में शामिल किया गया है. शुभकरण विधानसभा के दो चुनाव लगातार हारने के बाद सहानुभूति कार्ड खेल रहे हैं. बृजेंद्र ओला अपने पिता शीशराम ओला की विरासत पर वोट मांग रहे हैं. जाटों के साथ यहां एससी और अल्पसंख्यक मतदाता भी निर्णायक हैं. दोनों ही दलों के बीच मुकाबला कांटे का बताया जा रहा है. कांग्रेस यहां एकजुट तो बीजेपी को भीतरघात का डर भी सता रहा है. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में आठ में से छह सीट जीती थी. बीजेपी के खाते में सिर्फ दो सीटें आईं थी.

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