वागड़ का आदिवासी सिंगर यू-ट्यूब पर छाया, वीडियोज को मिले 5 करोड़ से ज्यादा व्यूज
जुगल कलाल, डूंगरपुर. किसी भी शादी या मोबाइल पर अक्सर बजने वाले गाना ‘आदिवासी जंगल का रखवाला रे’ हर साल विश्व आदिवासी दिवस पर सोशल मीडिया पर ट्रेंड करता है. हम लोग भी हमेशा रील या सोशल मीडिया पर इन गाने को लाइक और शेयर करते है. इन गानों की पॉपुलरटी के बाद अब आदिवासी क्षेत्र की प्रतिभाएं भी आगे आने लगी है. अभी तक आदिवासी क्षेत्र में हिंदी सिनेमा के बॉलीवुड और गुजराती सिनेमा के गाने चलते थे. पिछले पांच से छह साल में कई आदिवासी कलाकारों ने स्थानीय भाषा में गीत गाकर लोकप्रियता हासिल की है.
जिले के कई युवा आदिवासी ने अपना प्रोडक्शन हॉऊस और यू-ट्यूब चैनल बना कर गाना गाने का काम कर रहे है. इनके अब तक लाखों में सबस्क्राइबर हो गए है. इसके कारण इनकी टीम में डॉयरेक्टर, प्रोड्यूसर, गीतकार, कल्चर कस्ट्यूम डिजाइनर, मेकअप आर्टिस्ट, कोरियोग्राफर से लेकर कैमरामेन तक सारे आदिवासी और स्थानीय कलाकार हैं.
सालभर में यू-ट्यूब पर इनके पांच से दस म्यूजिक एलबम लॉन्च हुए हैं. जिनमें लाखों व्यूअर आते है. इनके व्यूअर गुजरात, मध्यप्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में बड़ी संख्या में है. वही पूर्वी भारत में भी असम, नागालैड और मिजोरम में गानों पर थिरकते देखा जा सकता है.
डूंगरपुर जिले के पीठ गांव के रहने वाले बाबूलाल डामोर का ‘एमबी डिजिटल 2’ के नाम से यू-ट्यूब में चैनल बना रखा है. इस चैनल में अभी तक 124 वीडियो अपलोड हो चुके है. अगर बात करें तो सबस्क्राइबर की एक लाख 44 हजार से ज्यादा है. इसका सबसे पॉपुलर गाना ‘गढ़ पावागढ़ महारानी’ है. माताजी के भजन के करीब 15 मिलियन यानी डेढ़ करोड़ व्यूअर है.
बाबूलाल बताते है कि कुछ वर्ष पहले मध्यप्रदेश से वायरल हुआ गाना ‘लीली है पीली है’ को सुनने के बाद 2019 में गाना लिखना शुरू किया. सीमित संसाधनों में बनाए वीडियो धीरे-धीरे हिट हो गए. सोशल मीडिया पर वायरल हो गए. अब आय भी बढ़ऩे लगी है. जिससे स्टूडियो स्थापित कर चुका है.
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FIRST PUBLISHED : August 09, 2023, 13:05 IST