विजन 2022ः चौथे बजट में गहलोत सरकार करेगी बंपर घोषणाएं, कर्मचारियों-किसानों को साधने का रहेगा प्रयास | Gehlot government will make bumper announcements in the fourth budget

पांचवे और अंतिम बजट को माना जाता है चुनावी बजट, चौथे बजट के जरिए ही तमाम घोषणाएं और वादों का पिटारा खोलेगी गहलोत सरकार,जून-जुलाई के बीच हो सकता है फिर से मंत्रिमंडल फेरबदल
जयपुर
Published: December 31, 2021 11:59:11 am
जयपुर। 17 दिसंबर को अपने 3 साल का कार्यकाल पूरा करके चौथे साल में प्रवेश कर गई राज्य की गहलोत सरकार आने वाले नए साल में अपनी पूरी ताकत झोंकना चाहती है। इसके लिए सरकार मार्च माह में पेश होने वाले बजट सत्र का इंतजार कर रही है।

ashok gehlot
बजट सत्र में सरकार कर्मचारियों, किसानों और आमजन को साधने के लिए लोकलुभावन घोषणाएं करने की तैयारी में हैं, जिसके लिए गहलोत सरकार ने अभी से ही विशेषज्ञों, एक्सपर्ट सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों से प्री बजट सुझाव भी लेने शुरू कर दिए हैं। अपने तीन साल के कार्यकाल के दौरान गहलोत सरकार ने जनघोषणा पत्र के 70 फीसदी वादों को पूरा करने का दावा किया था। अब शेष 30 फीसदी घोषणाओं को भी नए साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
संविदा कर्मियों को नियमित करने की हो सकती है घोषणा
सूत्रों की माने तो सरकार बजट में संविदा कर्मी कर्मचारियों, शिक्षा सहायकों, मदरसा पैराटीचरों को नियमित की घोषणा कर सकती है। संविदा कर्मियों को नियमित करने मामला कैबिनेट सब कमेटी के पास है और पूर्व में कैबिनेट सब कमेटी कई बार बैठकें करके नतीजे पर पहुंच चुकी हैं। वहीं मदरसा पैराटीचरों को नियमित करना का वादा कांग्रेस के चुनावी घोषणा पत्र में भी है।
पहली बार होगा किसान बजट
बड़ी बात यह है कि केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों को राहत देने के लिए विधानसभा में लाए गए तीन अध्यादेश भले ही अभी तक राजभवन में अटके हों और वे कानून का रूप नहीं ले सके, लेकिन बावजूद इसके गहलोत सरकार ने किसानों को साधने की कवायद शुरू कर दी है।
इसके लिए बाकायदा विधानसभा के बजट सत्र में पहली बार किसानों के लिए अलग से बजट घोषणा की जाएगी, जिसमें साल 2023 में होने वाले विधानसभा और 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए लोकलुभावन वादे किसानों से किए जाएंगे। राजस्थान के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा है जब विधानसभा में किसानों के लिए अलग से बजट घोषणा की जाएंगी।
पांचवें बजट को माना जाता है चुनावी बजट
दरअसल चौथे बजट की अहमियत इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि पांचवे और अंतिम बजट को चुनावी बजट माना जाता है और बजट घोषणा करने के बाद सरकार चुनावी मोड में चली जाती है। उन घोषणाओं पर ज्यादा फोकस और काम नहीं हो पाता। ऐसे में सरकारों के पास ले-देकर चौथा बजट ही ऐसा होता जिसमें सरकार अपना पूरा दमखम लगा दिखाती है और बड़ी-बड़ी चुनावी घोषणा करके आम जनता को रिझाने का प्रयास करती है।
पेट्रोल-डीजल पर कम करने की तैयारी
बताया जा रहा है कि सरकार नए साल में पेट्रोल डीजल पर भी वेट कम करने की तैयारी में है। विशेषज्ञों ने भी सरकार को सुझाव दिया है कि राज्य में पेट्रोल-डीजल पर वैट अभी भी अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में अन्य राज्यों के समान ही यहां भी पेट्रोल-डीजल पर वैट कम किया जाए। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अगले साल जनवरी माह में या फिर बजट सत्र में पेट्रोल डीजल पर वैट कम करने की घोषणा करने की तैयारी कर रही है।
जवाबदेही कानून लागू कर सकती है सरकार
गहलोत सरकार नए साल में जवाबदेही कानून लागू करने की तैयारी में है। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राम लुभाया की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने कानून का मसौदा तैयार करके अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सौंप रखी है लेकिन किन्ही वजहों के चलते सरकार अब तक जवाब दे कानून को लागू नहीं कर पाई थी लेकिन माना जा रहा है कि सियासी संदेश और आमजन को साधने के लिए सरकार जवाबदेही कानून को लागू करने की तैयारी में है इस कानून के 15 दिन में किसी भी विभाग की शिकायत का समाधान होना है। तय समय पर शिकायत का समाधान नहीं करने वाले अधिकारी कर्मचारियों पर भी सख्त कार्रवाई का प्रावधान इस कानून में रखा गया है।
जून-जुलाई में फिर मंत्रिमंडल पुनर्गठन
सूत्रों की माने तो गहलोत सरकार अगले साल जून और जुलाई में एक बार फिर से मंत्रिमंडल पुनर्गठन और फेरबदल करने की भी तैयारी में है, इसे लेकर पूर्व में प्रदेश प्रभारी अजय माकन और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत संकेत भी दे चुके हैं। मंत्रिमंडल का पुनर्गठन और फेरबदल के जरिए नाराज चल रहे कांग्रेस विधायकों को मंत्री बनाकर उन्हें संतुष्ट करने का प्रयास भी किया जा सकता है।
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