वो फिल्म जिसने संजय गांधी को पहुंचा दिया था तिहाड़, बाद में डायरेक्टर बना सांसद

सिनेमा और सियासत का गहरा संबंध रहा है. फिल्मों को राजनीति का आईना भी कहा जाता है. इमरजेंसी के दिनों में एक ऐसी फिल्म आई, जो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और उनके बेटे संजय गांधी (Sanjay Gandhi) को इतनी चुभी कि उसके प्रिंट तक जलवा दिए गए. बाद में संजय गांधी को इस जुर्म में तिहाड़ की हवा तक खानी पड़ी. फिल्म का नाम था ”किस्सा कुर्सी का”.
आखिर क्या था उस फिल्म में?
‘किस्सा कुर्सी का’ पॉलिटिकल सटायर थी और इसे अमृत नहाटा (Amrit Nahata) ने बनाया था. कहा गया कि फिल्म इंदिरा गांधी के बेटे संजय गांधी के जीवन से प्रेरित है और कांग्रेस पर तंज है. फिल्म में शबाना आजमी, उत्पल दत्त और मनोहर सिंह जैसे अभिनेता मुख्य किरदार में थे. शबाना आजमी (Shabana Azmi) गूंगी जनता का प्रतिनिधित्व कर रही थीं तो उत्पल दत्त गॉडमैन और मनोहर सिंह ऐसे नेता का रोल निभा रहे थे जो, अजब-गजब फैसले लेता था.
फिल्म पर 51 आपत्ति
उस दौर में संजय गांधी (Sanjay Gandhi) बहुत ताकतवर हुआ करते थे. इंदिरा भले ही प्रधानमंत्री थीं, लेकिन सारे फैसले संजय लिया करते थे. जब सरकार को इस फिल्म की खबर मिली तो जांच के लिए 7 सदस्यों का एक रिवाइजिंग कमीशन बना दिया गया.
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रशीद किदवई अपनी किताब ”नेता-अभिनेता: बॉलीवुड स्टार पावर इन इंडियन पॉलिटिक्स’ में लिखते हैं कि इस कमीशन ने ‘किस्सा कुर्सी का’ फिल्म को सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को रेफर कर दिया. उसके बाद मंत्रालय ने फिल्म के डायरेक्टर अमित नहाटा को शो कॉज नोटिस जारी किया. इस नोटिस में फिल्म को लेकर 51 ऑब्जेक्शन दर्ज कराए.
यहां तक कि संजय गांधी (Sanjay Gandhi) के इशारे पर इस फिल्म के सारे प्रिंट और रील तक जलवा दिये गए, ताकि कहीं कोई नामो-निशान न बचे.
यह भी पढ़ें: सुनील दत्त बेटे संजय के लिए क्या सिफारिश लेकर शरद पवार के पास गए थे? मुंह लटकाकर लौटे थे
संजय गांधी भेजे गए तिहाड़
इमरजेंसी हटते ही लोकसभा चुनाव हुए और इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) की कुर्सी चली गई. जनता पार्टी की सरकार बनी और इस सरकार ने आपातकाल के दौरान की गई मनमानियों की जांच के लिए शाह कमीशन का गठन कर दिया. इस कमीशन ने संजय गांधी को दोषी पाया. रशीद किदवई लिखते हैं कि मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा और उसने संजय गांधी को फिल्म का प्रिंट जलाने का दोषी पाया. उन्हें एक महीने तिहाड़ जेल में बिताना पड़ा.
संजय गांधी के साथ-साथ इंदिरा गांधी की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे वीसी शुक्ला को भी 2 साल की सजा सुनाई गई थी. हालांकि बाद में इस फैसले को पलट दिया गया था. जनता पार्टी की सरकार आने के बाद 1978 में यह फिल्म दोबारा बनी, लेकिन कब रिलीज हुई साफ पता नहीं है.
डायरेक्टर अमृत नहाटा बने सांसद
मजेदार बात यह है कि जिस अमृत नहाटा ने ‘किस्सा कुर्सी का’ फिल्म बनाई थी, वह कांग्रेस में ही हुआ करते थे और 1967 और 1971 में कांग्रेस के टिकट पर बाड़मेर से लोकसभा पहुंच चुके थे.

अमृत नहाटा.
बाद में इमरजेंसी में जब फिल्म बनाई और उनकी फिल्म के प्रिंट जलवा दिए गए तो उन्होंने जनता पार्टी का दामन थाम लिया. इमरजेंसी हटते ही जब चुनाव हुए तो नहाटा, राजस्थान की पाली लोकसभा सीट से मैदान में उतरे और तीसरी बार सांसद बने.
.
Tags: Emergency, Emergency 1975, Entertainment, Indira Gandhi
FIRST PUBLISHED : January 24, 2024, 11:18 IST