Rajasthan

शौक-शौक में लेकर आए एक घोड़ी…अब हैं 14 घोड़े-घोड़ियों के मालिक, डांस, राइडिंग और पोलो में हैं एक्सपर्ट-Hobby is a big thing – brought a foal worth Rs. 1.5 lakhs – today dozens of horses worth more than Rs. 2 crores

नरेश पारीक/चूरू : किसी ने सच ही कहा है शौक बड़ी चीज है. उसी सपने को पूरा करने के लिए मनोज बेनीवाल ने एक घोड़े से दर्जनों घोड़ों की फौज तैयार कर दी. जी हां 9 साल पहले महज डेढ़ लाख रुपए में एक घोड़े के बच्चे को लाने वाले मनोज बेनीवाल के पास आज दो करोड़ रुपए से भी अधिक कीमत के 14 मारवाड़ी नुकरा नस्ल प्रजाति के घोड़े और घोड़ी हैं और 7 ऊंट और ऊंटनी हैं दिलचस्प बात ये है कि मनोज के पास मौजूद ये सभी बेजुबान साधारण नहीं बल्कि खास हैं और इन्हें खास बनाती हैं इनकी कला.

मनोज के पास वो ट्रेंड घोड़े और घोड़ियां हैं जिनकी राइडिंग से लेकर पोलो तक खेलने में डिमांड रहती हैं. इसके अलावा ये घोड़े और ऊंट हैरतअंगेज करतब और डांस भी करते हैं बेनीवाल कहते हैं इन घोड़ों और ऊंट की कीमत इनकी कला के चलते बढ़ जाती है. बेनीवाल बताते है बच्चों की जिद्द और शौक के चलते वह साल 2015 में बालोतरा पशु मेले से सिंधी नस्ल की 1 लाख 51 हजार की 8 महीने की घोड़ी की बच्ची लाए थे. आज उसी से उनके पास 14 घोड़े और घोड़ियां हैं.

बेनीवाल के पास आज सांचोर, बीकानेरी और पाकिस्तानी नस्ल के 7 ऊंट हैं जो करतब से लेकर चारपाई पर डांस करने में माहिर है. बेनीवाल बताते है घोड़े का बच्चा जब 3 साल का हो जाता है तब उसे ट्रेनिंग देना शुरू कर देते हैं, जो 6 महीने से एक साल की होती है जिसमें इन्हें डांस,राइडिंग जैसी चीजें सिखाई जाती है इन्हें विवाह, शादियों में भी भेजा जाता है.

यह है घोड़ों की डाइट
सर्दियों में घोड़ों और घोड़ियों को सुबह चने की दाल और मूंगफली का चारा तो दोपहर को हरा चारा और शाम को मूंगफली का चारा और घोड़ियों को देशी गायों और ऊंटनी का दूध, मूंग दाल, गुंद, अलसी और बादाम के देशी घी के बने लड्डू भी दिए जाते हैं. गर्मियों में इन्हें भिगोया अंकुरित चना, छाछ, लस्सी, हरा चारा और शाम को जौ का दलिया, दूध और मूंगफली का चारा दिया जाता है.

यह रहती है ऊंट की डाइट
बेनीवाल बताते हैं ऊंटों को हरा चारा, लस्सी दोपहर में हरा चारा और ग्वार का चारा और देशी खेजड़ी की लूंग दी जाती है तो वहीं सर्दियों में सरसों और तारा मीरा का हरा चारा खिलाया जाता है और गर्मियों में इन्हें रजका भी डाला जाता है तो मौसम में बदलाव के साथ इन्हें दूध, घी, तेल और शक्कर मिलाकर पिलाया जाता है तन्दरूस्त रखने के लिए.

Tags: Churu news, Local18, Rajasthan news

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