समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी महालक्ष्मी, 450 साल पुराना है उदयपुर का यह लक्ष्मी मन्दिर, इस दिन होती है भव्य सजावट

निशा राठौड़/उदयपुर. दिवाली की धूम चारो तरफ छाई हुई है, ऐसे में हम आपको उदयपुर शहर में स्थित करीब 450 साल पुराने लक्ष्मी मन्दिर के बारे में बताने जा रहे. इस मंदिर से उदयपुर संभाग की श्रद्धा जुड़ी हुई है. यह मंदिर जगदीश मंदिर के बच्चे हुए पत्थर से बनवाया गया था. मान्यता यह भी है कि इस मंदिर की मूर्ति समुद्र मंथन के समय प्रकट हुई थी.
मान्यता है कि महालक्ष्मी समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी. श्रीमाली जाती सम्पति व्यवस्था ट्रस्ट के अध्यक्ष कन्हैयालाल त्रिवेदी ने बताया कि महालक्ष्मी मंदिर तत्कालीन महाराणा जगत सिंह के वक्त बना था. यह मंदिर करीब 400 साल पुराना है. इस मंदिर का निर्माण जगदीश मंदिर के निर्माण के वक्त जो पत्थर व सामग्री बच गई थी उससे हुआ था. वहीं, इस मंदिर के निर्माण के बाद जो सामग्री बची उससे मंदिर के सामने गणेश मंदिर का निर्माण करवाया था. उन्होंने बताया कि महालक्ष्मी की प्रतिमा भीनमाल से लाए थे. यह प्रतिमा सफेद पत्थर के हाथी पर बैठी हुई है. ठीक उसी तरह से जिस तरह से माता समुंद्र से निकली थी.
दिवाली पर होती है भव्य सजावट
उदयपुर के भट्टीयानी चोहटा स्थित लक्ष्मी मंदिर पर व अंदर श्रीमाली समाज विद्युत सजा करता है व जगदीश चौक से रंग निवास तक भट्टियानी चौहटा दीपोत्सव समिति की ओर से विद्युत सजा की को जाती है. धनतेरस के दिन से भाई-दूज तक संभाग भर से श्रद्धालु पहुंचते है. खेखेरे के मौके पर भव्य अन्नकूट महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 14, 2023, 10:08 IST