सिर्फ 4 घंटे ही मिलती है यह इत्र वाले की कचोरी, महक से खींचे चले आते हैं लोग, जानें खासियत
रवि पायक/भीलवाड़ा : पूरे विश्व में विख्यात भारत का कन्नौज जिला इत्र के लिए जाना जाता है लेकिन भीलवाड़ा जिले में भी आजकल एक शब्द इत्र लोगों को अपनी और खींच रहा है इसका कारण है कि पुराने जमाने से अपने पारिवारिक इत्र का काम करने वाले एक व्यक्ति ने करीब 48 साल पहले इत्र की दुकान से निकलकर कचौरी का कार्य शुरू किया. आज इस कचोरी को इत्र कचौरी के नाम से जाना जाता है. खास बात यह है कि यह मात्र 4 घंटे अपनी दुकान लगाते हैं और 500 कचौरी बेच देते हैं. लोग इनकी दुकान पर महक से खींचे चले आते हैं.
भीलवाड़ा शहर में इत्र कचौरी वाले के नाम से मशहूर पवन कुमार गांधी ने बताया कि पहले हमारा पारिवारिक कार्य इत्र का था, लेकिन इसके साथ ही हमें कचौरी बनाने का भी शौक था तो इसके साथ-साथ मेरे पिताजी ने 48 साल पहले कचौरी बनाने का कार्य शुरू किया. हालांकि वह 8 साल तक ही इस कार्य को संभाल पाए. उसके बाद कचौरी बनाने का कार्य मैंने संभाला और मैं करीब 40 सालों से कचौरी बना रहा हूं.
बच्चों से बुजुर्ग तक खा लेते हैं यह कचौरी
पवन गांधी ने बताया कि हमारी कचौरी भीलवाड़ा में सबसे अलग है इसका कारण है कि वैसे तो यहां की कचौरी में मिर्च ज्यादा होती है लेकिन हमारी कचौरी में मिर्ची बहुत कम डाली जाती हैं जिससे यह कचौरी सॉफ्ट और स्वादिष्ट होती है. इसे एक बुजुर्ग व्यक्ति भी आसानी से खा लेता हैं. इसमें सब मसाले ठीक मात्रा में डाले जाते है और इसमें कम मिर्च डाली जाती है जिसे लोग आसानी से खा सके. इसके साथ ही हमारी कचोरी को मूंगफली के तेल में ताला जाता है और इस तेल को रोजाना बदल जाता है.
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बनती हैं लिमिटेड कचौरी
पवन गांधी ने बताया कि वह भीलवाड़ा शहर के गोल पियाउ चौराहे के निकट अपनी दुकान लगाते हैं, जिसमें 500 कचौरी सहित आलू बड़ा, मिर्ची बड़ा जैसे चटपटे आइटम लोगों को खिलाते हैं. इनकी दुकान पर कचोरी में आलू बड़े इतने स्वादिष्ट है कि लोग महक मात्र से ही इनकी दुकान पर चटपटे व्यंजन खाने के लिए आ जाते हैं.
इत्र की आती है खुशबू
पवन कुमार गांधी ने बताया कि जब लोग हमारी दुकान पर आते हैं तो वह पूछते हैं क्या कचौरी में इत्र डाला है. इसका कारण है कि जब भी कोई व्यक्ति दूसरे व्यक्ति को बताता है तो वह यही कहकर बताता है कि क्या आपने इत्र वाली कचौरी खाई है. इसके चलते लोगों को लगता है कि हमारी कचौरी में इत्र डाली जाती है, लेकिन हमारे पारिवारिक इत्र के काम के चलते हमें इत्र कचौरी वाले के नाम से जाना जाता है. इसमें इस तरह कोई भी एसेंस कचौरी में नहीं डाला जाता.
कचौरी खाने आए अमन ने बताया कि इत्र वाले अंकल की कचौरी बहुत ही स्वादिष्ट है. कम कीमत में यदि आपको ऐसा स्वाद मिले तो आप कचोरी खाने के लिए यही आना पसंद करेंगे. यहां पर सुबह 8 बजे से लेकर 11 बजे तक अच्छी भीड़ रहती है. यदि आप इस समय आएंगे तो आपको मशक्कत करनी होगी कचोरी लेने के लिए लेकिन इस स्वाद के लिए लोग मशक्कत करने को भी तैयार है हमें भी मशक्कत करने के बाद ही कचोरी मिली है. जिसका स्वाद ही अलग है.
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FIRST PUBLISHED : March 11, 2024, 16:16 IST