Rajasthan

सीबीआई: कोयला चोरी मामले में ईसीएल के महाप्रबंधक गिरफ्तार

केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) गांधीनगर के क्षेत्रीय अधिकारी व मुख्य महाप्रबंधक (तकनीकी) दिग्विजय मिश्रा को दस लाख रुपए की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। उनके साथ मुंबई स्थित एक निजी कंपनी के प्रबंध निदेशक को भी गिरफ्तार किया गया। सीबीआई की टीम ने एनएचएआई के महाप्रबंधक दिग्विजय मिश्रा के गांधीनगर में कुडासण स्थित आवास पर दबिश दी। इस टीम ने वहां से 20.50 लाख रुपए की नकदी भी जब्त की। आरोप है कि एनएएचएआई के क्षे्तरीय अधिकारी की ओर से इन्फ्रास्ट्रक्टर प्रोजेक्ट को लेकर एक निजी कम्पनी के कर्मचारी से यह रिश्वत मांगी गई थी। इस मामले में सीबीआई ने मिश्रा, निजी कम्पनी के कर्मचारी समेत आठ लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। सीबीआई की ओर से इस मामले में मिश्रा व अन्य आरोपियों व के गांधीनगर, अहमदाबाद, दिल्ली, मुंबई, पुणे, चंडीगढ़ व जयपुर स्थित ठिकानों पर सर्च की कार्रवाई की गई।
सीबीआई ने मिश्रा के खिलाफ भ्रष्टाचार की शिकायत पर मामला दर्ज किया था। सीबीआई ने जांच में पाया कि मिश्रा कंपनी के बिलों का निस्तारण करने, उसे काम देने और काम पूरा होने का प्रमाणपत्र प्रदान करने में अतिरिक्त सुविधा मुहैया करा रहे थे। इसके अलाव परियोजना के पैकेज 1 और पैकेज 2 से जुड़े अन्य मामलों व समय सीमा बढ़ाने में भी वह कंपनी का पक्ष ले रहे थे। रिश्वत के लेनदेन की पुष्टि होने के बाद सीबीआई टीम मौके पर पहुुंची और दिग्विजय मिश्रा को रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा। इससे पहले सीबीआई ने पिछले साल एनएचएआई अधिकारी अकील अहमद को 20 लाख रुपए की रिश्वत लेने में गिरफ्तार किया था।

रूस-यूक्रेन युद्ध ने बढ़ाई देश में कोयले की किल्लत
यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे युद्ध के कारण भारत को कोयले की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। हाल ही में, बिजली मंत्रालय ने कोल इंडिया को राज्य के स्वामित्व वाली और प्राइवेट पावर प्रोजेक्ट्स की मांगों को पूरा करने के लिए कोयले के आयात तक को सीमित करने का निर्देश दे दिया है। ऐसे में जीएचवी इंडिया और इसका कंसोर्टियम पार्टनर बारा दया, पूर्वी व पश्चिमी तटों पर कोयले की आपूर्ति के लिए दो टेंडर्स में सबसे कम बोली लगाने वाला रहा है, जो अपने आप में संदेहास्पद है। सीबीआई अधिकारी ने बताया कि कथित तौर पर दिग्विजय मिश्रा को रिश्वत दी जा रही थी, ताकि निजी फर्मों को पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने, बिलों की प्रोसेसिंग और सम्मानित कार्यों की सुचारू प्रगति और इस तरह के अन्य कार्यों में पक्ष दिखाया जा सके।

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