Rajasthan

सीबीसीएस लागू होने से अभ्यर्थियों पर यह होगा असर– News18 Hindi

जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) में नई शिक्षा नीति (New Education Policy) के तहत सीबीसीएस (CBCS) को यूनिवर्सिटीज और कॉलेजों में लागू करने की तैयारी की जा रही है, तो दूसरी तरफ भर्तियों में यूजी-पीजी में एक ही विषय की बाध्यता करके अभ्यर्थियों के लिए रोड़ा अटकाया जा रहा है. मामला शिक्षा विभाग के ताजा सेवानियमों में फेरबदल से जुड़ा है, जिसका सीधे तौर हजारों की तादात में अभ्यर्थियों पर असर पड़ने वाला है.

बीते दिनों प्रदेश के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बतौर कुलाधिपति राज्य के तमाम विश्वविद्यालयों को नई शिक्षा नीति के अनुरूप सीबीसीएस यानि च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम अपनाने की नसीहत दी है. साथ ही इसे जल्द लागू करने को कहा है. इसके बाद राज्य के यूनिवर्सिटीज इस पर कवायद में जुट गई हैं.

यह है सीबीसीएस का मतलब

सीबीसीएस का मतलब यह है कि विद्यार्थी को निधार्रित विषयों के अतिरिक्त अपने विषय पसंद करने की छूट मिलती है. उसके अनुसार ग्रेडिंग की जाती है. इस सिस्टम में छात्रों के पास निर्धारित पाठ्यक्रमों के चयन का विकल्प होता है. वह अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ विश्वविद्यालय के किसी दूसरे विषय का भी चुनाव करके उसमें कुछ क्रेडिट अंक प्राप्त कर पाता है. मूल्यांकन ग्रेडिंग के आधार पर होगा. इस व्यवस्था में छात्रों को माइग्रेशन, ट्रांसफर आदि में कोई समस्या नहीं होती. वह कहीं से भी दूसरे विषय की पढ़ाई कर सकता है. शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने पहले ही सभी विश्वविद्यालय को सीबीसीएस लागू करने को कहा था. नई शिक्षा नीति में आने के बाद से ही राज्य के विश्वविद्यालयों में भी इस पर जोर दिया जा रहा है. आरयू के प्रोफेसर राजीव जैन कुलपति बताते हैं कि जल्द इस पर कवायद पूरी कर ली जाएगी.

लेकिन राज्य में यदि स्टूडेंट्स ने ऐसा कर दिया तो इसका खमियाजा उन्हें एक भर्ती में उठाना पड़ सकता हैं. वह है व्याख्याता भर्ती परीक्षा. क्योंकि नए नियमों में इस भर्ती के लिए शिक्षा विभाग का कहना है कि कैंडिडेट का उसी विषय से पीजी होना जरूरी है, जिसमें वह यूजी कर चुका है. यानि विषय बदलाव नहीं होगा. माना जा रहा है ऐसे करीब दो लाख विद्यार्थी हैं जो साइंस और आर्टस में पढाए जाने वाले सेम विषयों में अध्ययन करते हैं. बीएससी के बाद वे बीए कर लेते हैं. क्योंकि साइंस और आर्टस में इकॉनोमिक्स, ज्योग्राफी, साइंस कॉमर्स में गणित, स्टेटिक्स जैसे विषयों के पाठ्यक्रम शामिल होंते हैं. जबकि यूजीसी में विषय बदलाव को लेकर कोई अड़चन नहीं हैं. कैंडिडेट्स की मानें तो स्कूल व्याख्याता भर्ती स्नातकोत्तर विषय के आधार पर की जाती है न कि स्नातक के आधार पर. तो फिर स्नातक, स्नातकोत्तर को व्याख्याता भर्ती में जोड़ना गलत है. बरहाल, अभ्यर्थियों में जहां इन सेवानियमों में किए गए बदलाव से नाराजगी है. साथ ही इस बात की दुविधा और विरोधाभास भी है कि अलग-अलग विषयों के चुनाव करने वाले सीबीसीएस सिस्टम को लागू करने वाले सिस्टम को एक विषय की बाध्यता क्यों थोपी जा रही है.

Source link

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

Uh oh. Looks like you're using an ad blocker.

We charge advertisers instead of our audience. Please whitelist our site to show your support for Nirala Samaj