सुनहरी बाग मस्जिद बचाने की गुहार लेकर इमाम पहुंचे हाईकोर्ट, जज ने मामला सुनने से भी किया इनकार, जान लें वजह

नई दिल्ली. यातायात जाम के कारण सुनहरी बाग मस्जिद के प्रस्तावित विध्वंस के खिलाफ दायर याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की पीठ कहा कि इसी तरह की एक याचिका पहले से ही हाईकोर्ट की सिंगल बेंच के समक्ष लंबित है. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा वर्तमान रिट याचिका में किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है.
कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि जब इस मुद्दे पर एक याचिका पहले से ही एकल न्यायाधीश के समक्ष लंबित है, तो समान निवेदन के साथ जनहित याचिका दायर करने का क्या मतलब है. वक्फ वेलफेयर फोरम की याचिका का केंद्र, दिल्ली पुलिस, दिल्ली वक्फ बोर्ड और NDMC के वकीलों ने कड़ा विरोध किया. बेंच ने कहा, “चूंकि दिल्ली वक्फ बोर्ड द्वारा वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए अपने कानूनी और कार्यकारी कर्तव्यों के निर्वहन में पहले ही उचित उपाय किए जा चुके हैं, इसलिए इस अदालत का मानना है कि वर्तमान रिट याचिका में किसी आदेश की आवश्यकता नहीं है. तदनुसार, याचिका बंद की जाती है,”
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‘याचिका कट-पेस्ट से ज्यादा कुछ नहीं’
वक्फ कल्याण मंच द्वारा दायर जनहित याचिका का केंद्र, दिल्ली पुलिस, दिल्ली वक्फ बोर्ड और नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के वकीलों ने कड़ा विरोध किया, जिन्होंने तर्क दिया कि याचिका विवादों के कट और पेस्ट के अलावा और कुछ नहीं थी. सुनहरी बाग मस्जिद के इमाम द्वारा दायर एकल न्यायाधीश के समक्ष लंबित याचिका में प्रस्तुतियाँ आगे बढ़ाई गईं. एकल न्यायाधीश के समक्ष, सुनहरी बाग मस्जिद के इमाम, याचिकाकर्ता अब्दुल अजीज ने एनडीएमसी के 24 दिसंबर, 2023 के सार्वजनिक नोटिस को चुनौती दी थी, जिसमें आम जनता से मस्जिद को हटाने के संबंध में आपत्तियां/सुझाव देने को कहा गया है.
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FIRST PUBLISHED : February 21, 2024, 22:42 IST