स्कूलों में खुलीं यूनिफॉर्म, किताब, जूते-मोजों की दुकानें! अभिभावकों ने की ये अपील

नई दिल्ली. एक अप्रैल से नया सत्र शुरू होने जा रहा है और कोरोना के दौरान दो साल से बंदी झेल रहे स्कूल अब फिर से खुलने जा रहे हैं. हालांकि स्कूलों के खुलने के साथ ही अभिभावकों की परेशानियां एक बार फिर शुरू हो गई हैं. अब अभिभावक संघों की ओर से इस संबंध में शिकायतें भी दी जा रही हैं और लोगों से अपील की जा रही है. स्कूलों के द्वारा फीस बढ़ाने के मामलों पर काफी पहले से केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा न्यायालयों तक का दरवाजा खटखटा चुके अभिभावकों ने अब आरोप लगाया है कि स्कूलों में एक बार फिर यूनिफॉर्म से लेकर किताब, जूते, मोजे की दुकानें खुल गई हैं और स्कूल प्रशासन अभिभावकों पर यहीं से महंगा सामान खरीदने के लिए दवाब बना रहे हैं.
हरियाणा अभिभावक एकता मंच की ओर से फरीदाबाद सहित अन्य जिलों में जिला शिक्षा अधिकारियों को पत्र लिखकर प्राइवेट स्कूल प्रबंधकों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है. इस पत्र में मंच की ओर से कहा गया है कि स्कूलों की ओर से एक अप्रैल 2022 से शुरू हो रहे नए शिक्षा सत्र में स्कूल फीस में काफी बढ़ोतरी कर दी है. इससे अभिभावक खासे परेशान हैं. अब स्कूल संचालकों द्वारा एनसीईआरटी की किताबों की जगह प्राइवेट पब्लिशर्स की महंगी किताबों को खरीदवाने से उनकी परेशानी को और बढ़ा दिया है.
अभिभावकों का कहना है कि जब पेपर एनसीईआरटी की किताबों के सिलेबस के आधार पर आता है तो फिर स्कूलों में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें क्यों लगाई जा रही हैं. वैसे भी प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों की कीमत एनसीईआरटी की किताबों से काफी ज्यादा है. अभिभावकों का यह भी आरोप है कि जो कॉपी बाजार में 20 रुपये की कीमत में मिल रही है, स्कूल वाले उसके कवर पेज पर अपने स्कूल का नाम लिखकर उसे 60 रुपये में बेच रहे हैं. नए छात्र पुराने छात्रों की किताब से पढ़ाई ना कर सकें इसके लिए पुरानी किताबों के एक दो पाठ्यक्रम को बदल दिया गया है. यानी स्कूल संचालक लूटने का हर प्रकार का हथकंडा अपना रहे हैं.
हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने स्कूल संचालकों पर आरोप लगाया है कि वे अपने स्कूल में नियमानुसार एनसीईआरटी की किताबें ना लगाकर कमीशन खाने के चक्कर में प्राइवेट प्रकाशकों की महंगी व मोटी किताबें लगा रहे हैं और अभिभावकों पर उन्हीं को अपने स्कूल के अंदर खुली दुकानों या बाहर अपनी बताई गई दुकानों से ही खरीदने का दबाव डाल रहे हैं. बाजार में जो कॉपी या स्टेशनरी कम दाम में मिलती है उसे भी अपनी बताई गई दुकान से ही महंगे में खरीदवाने के लिए मजबूर किया जा रहा है. जिन किताबों की कोई जरूरत नहीं है उन्हें भी खरीदने के लिए कहा जा रहा है.
मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने कहा कि स्थानीय शिक्षा विभाग के अधिकारियों को इन सब बातों की जानकारी है लेकिन वे मौन साधे हुए हैं. मंच की ओर से जिला शिक्षा अधिकारी को पत्र लिखकर स्कूलों की इन मनमानी की जांच करके दोषी स्कूल संचालकों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की मांग की गई है. वहीं मंच के प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट ओपी शर्मा ने कहा कि केंद्रीय शिक्षा विभाग की ओर से नर्सरी से लेकर कक्षा 12 तक के बच्चों के बस्ते का वजन तय कर दिया गया है, इसके बावजूद कमीशन खाने के चक्कर में छात्रों के मासूम कंधों पर भारी बस्ते का बोझ लादा जा रहा है. ऐसा करके उनके स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है. इस पर तुरंत रोक लगनी चाहिए.
ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन आईपा के जिला अध्यक्ष एडवोकेट बीएस विरदी ने कहा है कि सीबीएसई,शिक्षा विभाग व हुडा के निर्देशों के विपरीत सभी निजी स्कूलों ने अपने स्कूल के अंदर अपनी किताब, ड्रेस, जूते, मोजे आदि की दुकानें खोल रखी हैं. कई स्कूलों ने किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए स्कूल से बाहर अपने ही लोगों से किताब कॉपी स्टेशनरी की दुकानें खुलवा रखी हैं और अभिभावकों को इन्हीं दुकानों से किताब कॉपी स्टेशनरी खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है. मंच की महिला सेल की संयोजक पूनम भाटिया ने कहा है कि स्कूल के अंदर खुली दुकान या स्कूल द्वारा बताई गई दुकान से प्राइवेट प्रकाशकों की किताबों के साथ कॉपी व अन्य स्टेशनरी का सेट नर्सरी से पहली कक्षा तक के बच्चों को दो से तीन हजार रुपए, कक्षा दो से पांचवीं तक चार से पांच हजार रुपये, कक्षा नौवीं से 12वीं तक सात से 10 हजार रुपये का सेट दिया जा रहा है जबकि बाजार में एनसीईआरटी किताबों के साथ यही सेट 600 रुपये से लेकर 1000 रुपये तक है. यह खुल्लम-खुल्ला लूट है.
हरियाणा अभिभावक एकता मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने अभिभावकों से कहा है कि वे नियम के मुताबिक सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही खरीदें इसके अलावा कॉपी व स्टेशनरी जहां से भी सस्ती मिलती है वहीं से खरीदें. ऐसा करने पर अगर स्कूल प्रबंधक उन्हें परेशान करते हैं तो वे तुरंत जिला शिक्षा अधिकारी के पास लिखित में शिकायत दर्ज करें और उसकी एक कॉपी मंच के जिला कार्यालय चेंबर नंबर 56 जिला अदालत फरीदाबाद में भी दें जिससे दोषी स्कूलों के खिलाफ उचित कार्रवाई कराई जा सके.
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Tags: Haryana education, Parents, Private schools